किस्मत का न्याय – गीता वाधवानी : Moral stories in hindi

राह चलती लड़कियों को छेड़ना, गंदे गंदे जुमले बोलना, स्पर्श करने की कोशिश करना, चोरी चकारी यही सब काम थे उसके-नाम था उसका टीकम टिल्लू, यार दोस्त उसे टिल्लू ही कहते थे। 

नजदीक की एक गली में, पढ़ी-लिखी, सुंदर अच्छे खानदान की लड़की काजल रहती थी। वह जब प्रतिदिन अपने ऑफिस के लिए निकलती टिल्लू उसका पीछा करता और उसे छेड़ता। काजल उसे इग्नोर करती रहती। आखिरकार कब तक वह उसका अत्याचार सहन करती, एक दिन उसने परेशान होकर टिल्लू की बेइज्जती कर दी और उसे उसकी औकात याद दिला दी। 

टिल्लू ने उस अपमान को अपने मन में बसा लिया और मन ही मन बोला एक दिन में इस बात का बदला जरूर लूंगा। 

      थोड़े दिनों बाद काजल का रिश्ता उसके साथ ऑफिस में काम करने वाले हर्षित से तय हो गया। टिल्लू उसकी हर गतिविधि पर नजर रखे हुए था। हर्षित का एक छोटा भाई सुमित भी था। टिल्लू एक दिन जानबूझकर रास्ते में स्कूटर पर जा रहे हर्षित और सुमित से टकरा गया और इस बात पर हाथापाई करने लगा।

सुमित ने बीच बचाव करने की कोशिश की तब टिल्लू ने सुमित के पेट में एक नुकीला धारदार चाकू घोंप दिया। यह सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि हर्षित कुछ नहीं कर पाया। टिल्लू वहां से भाग गया। हर्षित ने लोगों की मदद से अपने भाई सुमित को अस्पताल पहुंचाया लेकिन तब तक सुमित दम तोड़ चुका था। 

हर्षित ने ठान लिया था कि मैं इस गुंडे को पकड़वाकर जेल की हवा खिलाऊंगा उसके बाद ही चैन की सांस लूंगा। उसने पुलिस थाने जाकर रिपोर्ट दर्ज करवाई। काजल ने भी टिल्लू की सारी नीच हरकतें पुलिस को बताईं। लड़कियों को छेड़ने की शिकायतें पुलिस के पास पहले भी आ चुकी थी। पुलिस ने टिल्लू को दूसरे शहर भागने से पहले ही धर दबोचा।

उस पर केस चला और उसे 10 वर्ष की सजा हो गई। ऐसे खतरनाक अपराधी को भी पुलिस पैरोल पर न जाने क्यों भेजती है। एक बार टिल्लू के पिता ने उसके लिए अर्जी दी और वह बाहर पैरोल पर आ गया। एक बार पिता के गुजर जाने पर मां ने अर्जी दी। पिता की मृत्यु पर जेल से बाहर आया  टिल्लू, दोबारा जेल नहीं जाना चाहता था और वह जेल जाने से बचने के लिए मन में योजनाएं बना रहा था। 

मां से बोला -“मां अब तो मैं कुछ दिन यहां हूं, जा तू मामा के साथ चली जा।” 

मां ने कहा-“दिमाग खराब है तेरा, अभी तेरे बाप की 13वीं भी नहीं हुई है, मैं नहीं जा रही।” 

टिल्लू सोच रहा था की मां ने मना करके मेरी योजना पर पानी फेर दिया। तब वह मां को बताएं बिना रोज कहीं चला जाता था और वह एक ऐसे छोटे से घर की तलाश में लग गया था, जो खाली पड़ा हो और आसपास थोड़ी बहुत रौनक हो। 

और किसी मोहल्ले में एक ऐसा कमरा उसे खाली पड़ा हुआ नजर आ गया। दो-तीन दिन उसने उसकी निगरानी की। उसके बाद चुपचाप रात के अंधेरे में उसका ताला तोड़कर वहां रहने लगा। ऐसे मोहल्लों में कौन क्या कर रहा है कोई इतना ध्यान नहीं देता। फिर भी एक आध पड़ोसियों ने पूछा, बल्कि यह कहना चाहिए कि बताया-“लगता है किराए पर आए हो।” 

टिल्लू-“जी ,जी बिल्कुल।” 

उसके मन में एक खतरनाक योजना जन्म ले चुकी थी। रात में चुपचाप सबसे नजर बचाकर वह अपने दोस्त को अपने घर ले आया। सुबह के धुंधलके में लोगों ने देखा कि कमरे में से आपकी लपटें उठ रही है। उन्होंने शोर मचाया और दरवाजे को हल्का सा धकेला। दरवाजा थोड़ा सा जोर लगाने पर खुल गया। आग की लपटें तेज होती जा रही थी।

लोगों ने बाल्टियां भर भर कर पानी डालना शुरू कर दिया। किसी ने पुलिस को भी फोन कर दिया था। पुलिस ने अंदर जाकर देखा तो टिल्लू जल कर मर चुका था। पुलिस ने जब छानबीन की तो उन्हें एक सुसाइड नोट भी मिला”मैं अपने जीवन से तंग आकर आत्महत्या कर रहा हूं, टिल्लू।” 

पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी। और पैरोल पर छूटे टिल्लू के मर जाने के कारण उसकी फाइल बंद कर दी। 

लेकिन सप्ताह भर बाद आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पुलिस को चौंका दिया। रिपोर्ट में लिखा था कि मरने वाला गला दबाने से मरा है और एक टांग में ऑपरेशन के द्वारा राड डली हुई है। जबकि पुलिस ने देखा कि टिल्लू की फाइल में ऑपरेशन के बारे में कुछ नहीं लिखा था। पुलिस सारी बात समझ चुकी थी और टिल्लू की तलाश कर रही थी। 

टिल्लू ने अपनी जगह किसी और को मार कर जला दिया था और कमरे में भी आग लगा दी थी। जानबूझकर उसने सुसाइड नोट ऐसी जगह रखा था कि पुलिस के हाथ में आ जाए। अब पुलिस यह जानना चाहती थी कि जो इंसान गला दबाकर मारा गया है वह कौन था। जल्दी ही पुलिस ने टिल्लू को पकड़ लिया।

वह भेस बदलकर एक धर्मशाला में छोटे से कमरे में छुपकर रह रहा था। पुलिस ने उसकी अच्छी तरह धुनाई की। तब उसने बताया कि” शराब पीते समय उसे एक सोहन नाम का, उसी की कद काठी का एक इंसान मिला था। मैं उसे शराब की पार्टी का लालच देकर अपने कमरे पर ले गया। उसे खूब शराब पिलाई और जब वह नशे में बुरी तरह टुन्न हो गया तब मैंने उसका गला दबा दिया और उसे आग लगाकर कमरे का दरवाजा भेड़कर वहां से भाग गया। मैं पुलिस की नजरों में मर कर, जेल से बाहर रहना चाहता था।” 

बाद में पुलिस को सोहम के गुमशुदा होने की रिपोर्ट दूसरे पुलिस स्टेशन से मिल गई थी। टिल्लू पर केस चल रहा था।  पुलिस उसे दूर किसी जेल में शिफ्ट करने के लिए ले जा रही थी। अचानक जीप झटके खाती हुई रुक गई। टिल्लू ने मौका देखते ही पुलिस वाले पर हमला कर दिया और खुद को छुड़ा लिया।

बहुत ही तेज गति से वह उलटी दिशा में भागा। भागते भागते वह बार-बार पीछे मुड़कर देख रहा था कि पुलिस उसका पीछा तो नहीं कर रही। तभी अचानक सामने से बहुत तेज गति से आते हुए ट्रक से वह टकरा गया और ट्रक उसे बुरी तरह कुचलता हुआ चला गया। जब पुलिस वाले उसे तक पहुंचे तब तक उसके शरीर के टुकड़े इधर-उधर बिखेर चुके थे। टिल्लू मरने का नाटक करके जीना चाहता था और किस्मत का खेल देखिए, किस्मत ने कैसे अपना न्याय कर दिया। 

दूसरों को बेदर्दी से मारने वाला, दो सेकंड में खत्म हो गया। 

स्वरचित  अप्रकाशित  गीता वाधवानी दिल्ली

 

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