कैसा ये इश्क है ( भाग – 9) – संगीता अग्रवाल : hindi stories with moral

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आज की रात किसी को नींद नही आई ना मीनाक्षी को ना केशव को , ना ही दोनो के घरवालों को । मीनाक्षी समझ नही पा रही थी उसे क्या करना है केशव को तो एहसास भी नही था गुस्से मे उसने क्या खोया है । इधर केशव के माता पिता बेटे से गुस्सा थे और बहू की फ़िक्र थी उन्हे । और मीनाक्षी के माता पिता बस ये जानते थे कुछ गलत हुआ है पर क्या वो नही पता ।  कुछ महीने पहले प्यार से सींचे रिश्ते ये हश्र तो किसी ने नही सोचा था । जो रिश्ता शादी से पहले प्यार , त्याग , फ़िक्र का होता है शादी होते ही उसमे ईगो क्यो आ जाती है ?

अगले दिन मीनाक्षी सुबह उठी नही क्योकि वो सोई ही सुबह के 4 बजे के आस पास थी । अनिता जी ने नौ बजे उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया।

” क्या मम्मी सोने दो ना !” दरवाजा खोल मीनाक्षी वापिस बिस्तर पर लेटते हुए बोली।

” बेटा ऑफिस नही जाना क्या नौ बज रहे है कुछ खाया भी नही तूने मैने तेरी पसंद का नाश्ता बनवाया है चल उठ !” अनिता जी लाड मे बोली।

” क्या माँ आपके पास आई हूँ और आपको ऑफिस भेजनें की लगी है मुझे नही जाना ऑफिस मुझे तो आज आपके पास रहना है !” ये बोल मीनाक्षी माँ की गोद मे सिर रखकर लेट गई। अनिता जी उसके बालो मे ऊँगली फेराने लगी।

” बेटा माँ के साथ रहना सारा दिन पर पहले कुछ खा तो लो चलो देखो मैं नाश्ता यही लिवा लाया !” तभी वहाँ सुरेंद्र जी घरेलू सहायक के साथ आये और बोले । सहायक नाश्ता रख चला गया।

” अरे वाह क्या ठाठ है तेरे दी हमें तो कभी बिस्तर पर नाश्ता नही मिला माँगने पर मिली तो बस डांट और इधर तुझे खुद से नाश्ता कराया जा रहा है सही है !” तभी वहाँ माधव आया और बोला।

” आ गया तू , तुझे बहन की याद भी आती है या नही !” भाई को देख मीनाक्षी उठते हुए बोली और उसके गले लग गई ।

” अब मैं तो अकेले रहने के मजे ले रहा था कुछ दिन मुझे क्या पता था तू फिर से यहां कब्जा जमा लेगी !” माधव बहन को गले लगा छेड़ते हुए बोला।

” मारूंगी फालतू बोलेगा तो इस घर पर और मम्मी पापा के प्यार पर मेरा भी उतना हक है जितना तेरा समझा ना …क्यो मम्मी पापा ?” मीनाक्षी बोली।

” बिल्कुल बेटा …अब चलो फ्रेश होकर आओ फिर हम सब आज यही नाश्ता करेंगे एक साथ !” अनिता जी बोली।

थोड़ी देर बाद सब नाश्ता कर रहे थे हंसी खुशी का मौहौल था । अनिता जी और सुरेंद्र जी सोच रहे थे मीनाक्षी खुद से कुछ बोले।

” वैसे दी आप अचानक कैसे आ गई बताया भी नही आपने मैं लेने आ जाता वरना । वैसे तो आपको फोन करते रहो आने के लिए आती नही आप अब अचानक प्रोग्राम बना लिया !” माधव खाते खाते बोला।

” बस ऐसे ही कुछ दिन तुम लोगो के साथ रहने का मन किया तो चली आई !” मीनाक्षी ने संक्षिप्त उत्तर दिया !

” तो मैं आज कॉलेज बंक कर लेता हूँ पता चले आप कल ही वापिस भी चल दो कि मुझे ससुराल की याद आ रही है !” माधव ऐसे मुंह बनाता बोला की सबकी हंसी छूट गई।

” कोई जरूरत नही बंक करने की अभी मैं कुछ दिन यही रुकूंगी समझा तू !” मीनाक्षी उसे डपटते हुए बोली तो माधव ने मुंह बना लिया । ऐसे ही हंसी खुशी के माहौल मे नाश्ता हुआ । अनिता जी और सुरेंद्र जी समझ गये बेटी खुद से कुछ नही बताएगी इसलिए उन्होंने कैलाश जी से पूछने का निर्णय लिया । माधव तैयार हो कॉलेज निकल गया मीनाक्षी थोड़ा और सोने की बोल लेट गई और सुरेंद्र जी और अनिता जी बाहर गार्डन मे आ गये।

” हेलो कैलाश जी कैसे है आप सब ?” सुरेंद्र जी ने मीनाक्षी के ससुर को फोन लगा पूछा।

” कैसे होंगे सुरेंद्र जी वो माँ बाप जिनके बच्चे अपना घर खुद उजाड़ने मे लगे हो !” कैलाश जी दुखी स्वर मे बोले।

” जी ये क्या कह रहे है आप ?” सुरेंद्र जी अधीरता से बोले।

” लगता है मीनाक्षी ने आपको कुछ नही बताया ?” कैलाश जी चौकते हुए बोले।

” उसने कुछ नही बताया पर थोड़ा बहुत भान हो गया हमें इसीलिए आपको फोन किया है पर लगता है बात हमारी सोच से ज्यादा बड़ी है !” सुरेंद्र जी बोले और अनिता जी की बेचैनी देख फोन स्पीकर पर कर दिया।

” जी मैं जानता हूँ गलती सारी केशव की है मीनाक्षी बेटा मे कोई कमी नही ना उसकी कोई गलती है पर हमारा नासमझ बेटा अपनी गृहस्थी खुद उजाड़ने पर तुला है !” कैलाश जी बोले और सब बात बता दी उन्हे बिना कुछ छिपाये।

” क्या उसकी ये मजाल उसने मेरी बेटी पर इतना गंदा इल्जाम लगाया । मेरी बेटी मेरा गुरुर है और केशव ने उस गुरुर पर चोट पहुंचाई है ये उसने अच्छा नही किया कितने नाज़ो से पाला हमने अपनी बेटी को फिर भी उसके प्यार को देखते हुए इस शादी को तैयार हो गये थे हम पर लगता है हमने गलती कर दी !” सुरेंद्र जी तेश मे बोले।

” मैं बहुत शर्मिंदा हूँ सुरेंद्र जी और आपका गुस्सा जायज है पर यहाँ बात बच्चो के भविष्य की है तो हम बड़ो को ही सब सोचना होगा !” कैलाश जी बोले।

” सही कह रहे है भाई साहब । केशव गलत है पर फिर भी हमें ठंडे दिमाग़ से काम लेना होगा क्योकि उससे हमारी बेटी का भी नाम जुड़ा है !” अनिता जी ने भी समझाया । सुरेंद्र जी बहुत गुस्से मे थे वो किसी की बात सुनने को तैयार ना थे ।

जब ठंडे दिमाग़ से बात हुई तो अपनी बेटी के बारे मे सोचते हुए ये फैसला लिया गया पहले केशव की नौकरी लगनी बहुत जरूरी है वो भी इस तरह की उसे पता ना लगे किसने लगवाई । हालाँकि ये आसान नही था पर मुश्किल भी तो नही था ।

” बेटा मेरे एक जानकार है मिस्टर गुप्ता उनके यहाँ नौकरियां निकली है अगर तू चाहे तो वहाँ अप्लाई कर दे !” कैलाश जी ने अपनी योजना पर काम करना शुरु करते हुए केशव से कहा।

” मुझे सिफारिश नही चाहिए किसी की !” केशव बोला।

” पहली बात तो बरखुरदार हम तुम्हारे बाप है किसी नही दूसरी बात दुनिया मे सभी एक दूसरे की मदद से चलते है पर हर कोई तुम्हारी तरह इसे अपने ईगो का सवाल नही बना लेता !” कैलाश जी भड़क कर बोले।

” शांत रहिये ना आप …बेटा तेरे पापा बस नौकरी बता रहे है कोई सिफारिश नही कर रहे तो मेल कर इंटरव्यू दे और अपने बल पर नौकरी हांसिल कर !” अनिता जी मे समझाया।

” ठीक है माँ !” केशव बोला और जरूरी जानकारी ले मेल भेज दिया उसने थोड़ी देर बाद इंटरव्यू का कॉल भी आ गता जो कि अगले दिन था। इंटरव्यू मे केशव सेलेक्ट भी हो गया हालाँकि ये सिलेक्शन सुरेंद्र जी की सिफारिश से ही हुआ था पर केशव का इस वक़्त व्यस्त रहना जरूरी था और वो अपने बल पर नौकरी नही हांसिल कर पा रहा ठगा तो ये नाटक करना पड़ा उन्हे।

नौकरी लगते ही केशव मे एक आत्मविश्वास सा आया । इधर मीनाक्षी ने भी दुबारा नौकरी पर जाना शुरु कर् दिया क्योकि घर पर उसका मन भी नही लग रहा था । मीनाक्षी की अपनी सास ननद से बात हो जाती थी पर उन्होंने मीनाक्षी को ये नही बताया कि उसके माता पिता भी सच जान गये है।

अब क्या होगा क्या केशव मीनाक्षी से माफ़ी मांग लेगा ? क्या मीनाक्षी केशव को माफ़ कर देगी ? क्या मीनाक्षी के माता पिता अपनी लाड़ली को दुबारा केशव को सौंपेंगे ?

जानने के लिए इंतज़ार कीजिये अगले भाग का ।

तब तक अपना प्यार केशव और मीनाक्षी के लिए बनाये रखिये

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