कैसा ये इश्क है ( भाग – 8) – संगीता अग्रवाल : hindi stories with moral

hindi stories with moral : ” अरे बेटा तू ?” तभी उसके घर का दरवाजा खुला और उसके पापा बाहर आये ।

” पापा आप कहाँ जा रहे हो इस वक़्त ?” उसने जल्दी से अपने दुपट्टे से आँसू पोंछे और मुस्कुरा कर बोली।

” कहीं नही बेटा बस मन बेचैन सा हो रहा था बहुत अजीब सा लग रहा था जैसे किसी अपने के साथ कुछ गलत हुआ हो  तो बस ऐसे ही दरवाजे तक आया था पर तू इस वक़्त कैसे वो भी ये बैग लेकर ?” सुरेंद्र जी बोले।

” ओह्हो पापा सब सवाल यही पूछ लोगे क्या मैं अपने घर नही आ सकती कभी भी इसके लिए भी समय देखना होगा मुझे । मुझे आपकी याद आ रही थी तो मैने केशव से मुझे यहां छोड़ने को बोल दिया !”मीनाक्षी झूठ बोलते हुए पापा के गले लग गई क्योकि अगर वो एक मिनट भी ओर पापा की नज़रो के सामने रहती तो उसका झूठ खुल जाता । वो समझ गई उसके पापा को जो एहसास हुआ वो उसे लेकर ही हुआ है ऐसे ही तो होते है माँ बाप बिन कहे समझने वाले । पर अभी वो नही चाहती थी उसके पापा उसके चेहरे को पढ़ हकीकत पता कर ले।

” अच्छा केशव बेटा भी आया था तो तूने उसे अंदर क्यो नही आने दिया दरवाजे से क्यो लौटाया।” सुरेंद्र जी बोले।

” पापा उन्हे कुछ काम था इसलिए वो चले गये अब क्या यही खड़े सवाल पूछते रहोगे अंदर नही जाने दोगे !” मीनाक्षी अपने आँसू पोंछ हँसते हुए पापा से अलग हुई और बोली।

” अच्छा अच्छा चल अंदर मैं बैग लेकर आता हूँ !” सुरेंद्र जी भी हँसते हुए बोले हालाँकि वो समझ गये थे उनकी बेटी झूठ बोल रही है और वो अभी अभी बहुत रोई है !

” मम्मी , माधव कहाँ हो आप दोनो !” घर मे घुसते हुए मीनाक्षी चिल्लाई और आवाज़ मे वही अल्हड़ता थी जो शादी से पहले थी पर सुरेंद्र जी उसमे भी एक दर्द महसूस कर पा रहे थे वो समझ गये थे बेटी कुछ बताना नही चाह रही अभी इसलिए वो भी चुप थे । वैसे भी बेटियां शादी के बाद बहुत सयानी हो जाती है जो कभी जरा जरा सी बात अपने माता पिता को बताया करती थी वही बड़ी से बड़ी बात छिपा जाती है ।

” अरे बेटा तू यहाँ , इस वक़्त वो भी अकेले और ये बैग ?” अनिता जी ने आते ही पूछा ।

” ओह्हो मम्मी आते ही सवालों की झड़ी जैसे मैं अपने घर नही जाने कहा आ गई पहले बेटी को गले लगाओ , लाड लड़ाओ जैसे बाकी मायें करती है बेटी के मायके आने पर !” मीनाक्षी ये बोल माँ के गले लग गई ।

” बेटा माँ हूँ चिंता होती है इसलिए स्वाल किया वैसे तो हर माँ की तरह मैं भी तरसती ही हूँ तुझे गले लगाने को पर तू आती ही नही यहाँ !” अनिता जी बेटी का माथा चूम बोली।

” अब आई हूँ ना और खूब सारे दिन रुकूंगी जितना मर्जी लाड लड़ा लेना !” मीनाक्षी हंस कर बोली।

” अब लाड बाद मे लड़ाना अभी बेटी को कुछ खिला दो देखो भूख से चेहरा कुम्हलाया है इसका !” सुरेंद्र जी बोले।

” चल तू बैठ मैं तेरे लिए कुछ खाने को लाती हूँ !” अनिता जी बोली।

” नही मम्मी मैं खाकर आई हूँ । पापा को तो हमेशा मेरा चेहरा कुम्हलाया ही लगता है ये बस थकान है थोड़ी क्योकि ऑफिस से आई हूँ आराम करूंगी तो सही हो जाऊंगी वैसे ये माधव कहाँ है  आया नही मुझसे मिलने ? ” मीनाक्षी हंस कर बोली ।

” वो अभी पढ़ने गया है दोस्त के यहाँ सुबह आएगा  बेटा जाओ तुम अपने कमरे मे आराम करो !” सुरेंद्र जी बोले। मीनाक्षी अपने कमरे की तरफ बढ़ गई।

” ऐसे अचानक मीनू का यहाँ आना अजीब नही लगा आपको ?” अनिता जी ने पति से पूछा।

” अजीब तो बहुत कुछ था भाग्यवान उसका यहाँ आना , यूँ खिलखिलाना और चुपचाप अपने आँसू पोंछ डालना !” सुरेंद्र जी एक आह भरते हुए बोले।

” क्या वो रो रही थी तो आपने पूछा क्यो नही मैं पूछती हूँ अभी उससे जाकर !” अनिता जी व्याकुल हो बोली।

” नही भाग्यवान बेटी बड़ी हो गई है कुछ ही महीने मे वो खुद जब अपने आँसू छिपा रही है तो हमें भी इंतज़ार करना होगा  । वैसे लोग कहते है शादी के बाद बेटियां पराई हो जाती है पर वो होती नही खुद को पराया कर लेती है अपने दुख दर्द छिपा कर उन्हे लगता है उनके माता पिता परेशान ना हो पर वो ये नही जानती उनके माता पिता उनका चेहरा देख दिल का हाल जान जाते है । अभी तुम चलो कमरे मे कल देखते है वो क्या बताती है वरना कैलाश जी से बात करूंगा मैं !” सुरेंद्र जी बोले और अपने कमरे की तरफ चल दिये अनिता जी को भी मजबूरी मे बेटी के पास जाने का विचार त्यागना पड़ा।

इधर मीनाक्षी कमरे मे आ फूट फूट कर रो दी मानो  इतने घंटो से रोका सैलाब बह निकला हो।

” पापा मम्मी मुझे माफ़ कर दो आपकी बेटी ने आज आपसे झूठ बोला बहुत बड़ा झूठ क्योकि सच बोलने की हिम्मत नही मुझमे कैसे बताऊं आपकी बेटी हार गई वो भी उस रिश्ते से जिसपर उसे गर्व था !” वो खुद से बोली ।

वो जमीन पर बैठी आंसू बहाये जा रही थी तभी उसका फोन बजा उसने नंबर देखा तो उसकी ननद का नंबर था। वो समझ गई उसकी सास सरला जी ने ही फोन किया होगा ।

” हेलो …हाँ मां !” फोन उठा वो बुझे स्वर मे बोली।

” कैसी है मेरी बच्ची और कहाँ है तू मुझे बहुत फ़िक्र हो रही थी तेरी कितनी देर से फोन मिला रही पर मिल भी नही रहा था !” सरला जी घबराई आवाज़ मे बोली।

” माँ मैं ठीक हूँ , पापा के यहाँ हूँ आप बिल्कुल चिंता मत कीजिये मेरी आप केशव का और अपना सबका ध्यान रखो !” मीनाक्षी अपना रोना रोकने की नाकाम कोशिश करती हुई बोली। उसकी हिचकी ने उसका साथ ना दिया।

” नाम मत ले उसका मुझे आज खुद पर अपनी कोख पर शर्म आ रही है कैसा बेटा जना है मैने जिसे अपनी सर्वगुण सम्पन्न पत्नी की कद्र नही !” सरला जी गुस्से मे बोली।

” माँ ऐसा मत कहिये आपका बेटा है वो मेरे साथ जो हुआ उसके कारण आप उनके प्रति रोष मत रखिये !” मीनाक्षी बोली।

” नही बेटा जो केशव ने किया वो गलत है बहुत गलत उसके लिए मैं उसे माफ़ नही करूंगी बस तू अपना ख्याल रखियो और इस बात का ध्यान भी ये तेरा घर कल भी था और कल भी रहेगा । और मैं तेरी माँ रहूंगी हमेशा !” सरला जी बोली।

” जी माँ आप भी अपना ध्यान रखियेगा रखती हूँ फोन प्रणाम !” मीनाक्षी ने ये बोल फोन काट दिया।

अब उसके दिमाग़ मे यही चल रहा था कि कल क्या होगा आज तो मम्मी पापा के सवालों को टाल दिया पर कल फिर उन्ही सवालों से सामना होगा तो क्या करेगी वो । ये सब सोचते सोचते उसका सिर फटने लगा तो हार कर उसने सिर झटक दिया और बिस्तर पर आकर लेट गई । पर उसे नींद नही आ रही थी नींद तो उधर केशव को भी नही आ रही थी  आज शादी के बाद पहली बार वो अपने बिस्तर पर अकेला था । मीनाक्षी से गुस्से मे भले वो बात नही करता था पर वो उसके साथ तो होती थी पर आज ना वो थी ना उसका एहसास । जा चुकी थी वो उसे छोड़ के ।

” क्या सोच रहा है तू मीनाक्षी की याद आ रही है तुझे ?” अचानक उसके अंतर्मन से आवाज़ आई ।

” मुझे क्यो आती उसकी याद वैसे भी खुद गई है वो अपनी मर्जी से !” केशव बोला।

” अपनी मर्जी से ? या तेरे मजबूर करने से !  क्या कुछ नही किया उसने तेरे लिए क्या कुछ नही सहा पर आज तूने हद कर दी और उसका पछतावा तुझे बहुत जल्द होगा !” अंतर्मन ने कहा।

” मैने कुछ नही किया …कुछ नही किया मैने समझे तुम !” केशव चिल्लाया उसका चिल्लाना सुन घर वाले भागे आये।

” क्यो चिल्ला रहा है इतनी रात गये !” कैलाश जी बोले।

” कुछ नही आप जाइये !” केशव ने संक्षिप्त उतर दिया।

” बौरा गया है ये बिल्कुल बेवजह चिल्लाना और सबको परेशान करना इसकी आदत बन गई है । कहे देता हूँ केशव की माँ इसे संभाल लो वरना तो अपना सब कुछ खो देगा ये !” कैलाश जी भड़कते हुए बोले । अनिता जी किसी तरह उन्हे कमरे मे ले गई।

तड़प दोनो तरफ है दोनो तरफ दिल जल रहे है

फिर भी रिश्ते अपना आखिरी दम भर रहे है ।

दोस्तों केशव की नादानी ने दो प्यार करने वालों को अलग कर दिया पर क्या वो फिर एक होंगे ?

जानने के लिए पढ़ते रहिये

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