कैसा ये इश्क है ( भाग – 11) – संगीता अग्रवाल : hindi stories with moral

hindi stories with moral : आज केशव को काम करते एक महीना हो गया उसे उसकी तनख्वाह मिली थी बहुत खुश था वो क्योकि ये तनख्वाह उसकी खुद की मेहनत की थी किसी की सिफारिश की नही । उसने घर वालों के लिए कुछ ना कुछ खरीदने की सोची और बाजार की तरफ चल दिया। उसने माँ के लिए शाल , पिता के लिए कमीज और रिया के लिए प्यारा सा सूट खरीदा । तभी उसे बाजार मे फूल वाला मिल गया और उन फूलो को देख उसे फिर से मीनाक्षी की याद आ गई । उसके कदम स्वतः ही फूल वाले की तरफ बढ़ गये और मन अतीत मे पहुंच गया।

” वाओ केशव कितने सुन्दर फूल है थैंक यू थैंक यू थैंक यू !” जब भी केशव उससे मिलने जाता फूल लेकर जाता और मीनाक्षी की हर बार यही प्रतिक्रिया होती।

” पागल हो तुम बिल्कुल अरे बस फूल ही तो है इससे ज्यादा तो मैं तुम्हे कुछ दे भी नही पाता !” केशव उससे कहता ।

” केशव ये तुम्हारे लिए सिर्फ फूल है मेरे लिए तुम्हारा प्यार है और इन फूलो को देख मुझे पता है क्या लगता है ?” मीनाक्षी कहती।

” क्या !!”

” यही की इन फूलो की तरह तुम्हारे साथ मेरी जिंदगी भी खिली खिली रहेगी तुम अपने प्यार से हमेशा मुझे संभाल कर रखोगे !” मीनाक्षी उसकी आँखों मे देख कहती।

” अच्छा जी इतना विश्वास है इस फकड़ पर तुम्हे जो तुम्हे एक गिफ्ट तक नही दे सकता तो मिस मीनाक्षी ये भी सोच समझ लेना कि फूल मुरझाते भी है  !” केशव हँसते हुए कहता ।

” मेरे केशव को कुछ मत कहो तुम और मैं जानती हूँ हमारे प्यार का फूल कभी नही मुरझायेगा क्योकि तुम उसे मुरझाने नही दोगे !” मीनाक्षी झूठा गुस्सा दिखा कहती।

” मैं तुम्हारे विश्वास को हमेशा बनाये रखूंगा मीनू । और हमारे प्यार के फूल कभी नही मुरझायेंगे !” ये बोल केशव उसे गले लगा लेता।

” साहब फूल चाहिए क्या मैडम के लिए ले लीजिये ताजे फूल है !” तभी फुलवाले की आवाज़ से वो वर्तमान मे आया । आज उसे शिद्दत से मीनाक्षी की याद आ रही थी । आज दिल दिमाग़ पर हावी होने की कोशिश करने लगा था और अंतत दिल की जीत हुई और केशव ने मीनाक्षी की पसंद के गुलाब खरीद लिए और घर की तरफ चल दिया।

” बहुत सुन्दर चीजे लाया है तू बेटा बस ऐसे ही तरक्की करता रहे तू !” जब उसने माता पिता को गिफ्ट दिये ती उन्होंने आशीर्वाद दिया।

” भैया भाभी के लिए क्या लिया आपने ?” उसके बैग मे से गुलाब झाँकते देख काशवी ने उसे छेड़ा !

” उसके लिए क्यो लाऊंगा !” बैग को छिपाते हुए केशव बोला तो उसके माता पिता के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

” अच्छा बेटा तू हाथ मुंह् धो मैं खाना लगाती हूँ !” सरला जी बोली।

” माँ मुझे कुछ काम है आप लोग खा लीजिये खाना मैं थोड़ी देर मे आता हूँ !” केशव ये बोल जल्दी से निकल गया मानो एक मिनट भी रुका तो उसका राज खुल जायेगा उसके जाते ही सभी हंस पड़े।

” ईश्वर अब सब अच्छा करे !” कैलाश जी हाथ जोड़ बोले।

” हां सच मे ये दोनो सब मन मुटाव भुला एक हो जाये हमें और क्या चाहिए !” सरला जी बोली।

केशव अपने घर से निकल कर सीधा मीनाक्षी के घर के बाहर बने पार्क मे पहुंचा।

मीनाक्षी ऑफिस से आकर फ्रेश होकर बैठी ही थी कि उसका फोन बजा । स्क्रीन पर केशव का नंबर देख वो हैरान रह गई । एक बार को पिछली बाते याद कर उसका मन कसेला सा भी हुआ पर क्योकि पहल केशव ने की थी तो उसने फोन उठाना जरूरी समझा।

” हेलो मीनू ! कैसी हो ?” झिझकते झिझकते केशव बोला।

” ठीक हूँ !” मीनाक्षी ने संक्षिप्त उत्तर दिया।

” मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ !” केशव बोला।

” क्यो कोई ओर इल्जाम कोई और भड़ास बाकी है क्या !” मीनाक्षी बोली।

” प्लीज मीनू भूल जाओ उन सब बातो को मैं उसके लिए बहुत शर्मिंदा हूँ मैं तो तुमसे माफ़ी माँगने की भी हिम्मत नही कर पा रहा क्योकि मैने बहुत गलत किया है तुम्हारे साथ !” केशव बोला।

” केशव हमारा प्यार बहुत कमजोर था जो जरा सी हवा से टूट गया !” भरे गले से मीनाक्षी बोली।

” नही मीनू हमारा प्यार कमजोर नही बल्कि आज मैं उसे और मजबूत कर दूंगा बस एक बार सब भूल तुम नीचे पार्क मे आ जाओ !” केशव बोला।

” क्या …तुम नीचे हो अंदर क्यो नही आये ऐसे बाहर क्यो खड़े हो !” मीनाक्षी आश्चर्य से बोली।

” तुम्हारे घर वालों से नज़र मिलाने की हिम्मत नही मुझमे क्योकि मेरी हिम्मत तो तुम हो और तुम ही दूर हो मुझसे पहले तुमसे नज़र मिला लूँ और तुम्हारी नज़रो मे वही प्यार देख लूं तब सारी दुनिया से नज़र मिला लूंगा मैं प्लीज आ जाओ मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ !” केशव बोला। केशव की आवाज़ मे मीनाक्षी को वही प्यार महसूस हुआ जो शादी से पहले था इसलिए वो एक बार को सब भूल दौड़ पड़ी केशव के पास ।

” बेटा कहाँ भागी जा रही हो ?” उसे ऐसे जाते देख सुरेंद्र जी बोले।

” लगता है बेटी की फिर से एक बार विदाई का पल आ गया है मत रोकिये उसे !” अनिता जी बोली।

मीनाक्षी केशव से कुछ कदमो की दूरी पर रुक गई । सामने उसका वो प्यार था जिसके लिए उसने सब ऐशो आराम भी छोड़ दिये थे । वो प्यार जिसकी तरफ वो खिंची जाती थी पर आज केशव की बाते याद कर उसके कदम नही बढ़ पा रहे थे।

” जानता हूँ मीनू ये फासले मेरे द्वारा खड़े किये गये है तो इन्हे मैं ही मिटाऊंगा !” ये बोल केशव एक एक कदम उसकी तरफ बढ़ने लगा ।

” मीनू अपने इस पागल पति को माफ़ कर दो और एक बार फिर से अपने केशव को पूरा कर दो !” उसके पास आ केशव घुटनो के बल बैठता बोला उसके हाथ मे गुलाब था बिल्कुल उसी तरह जब उसने मीनू को परपोज़ किया था। पर उस दिन मीनू ने जितनी तेजी से गुलाब लिया था , आज वो हिम्मत नही कर पा रही थी । उस दिन उसके तन मन के तार बज उठे थे और आज उसके कानो मे केशव के इल्जाम गूंज रहे थे। मिनाक्षी ने फूल लेने की जगह गर्दन घुमा ली ।

” नही केशव अब इन फूलो से भी डर लगता है क्योकि हमारा प्यार का फूल मुरझा गया !” वो बोली।

” नही मीनू मुझे माफ़ कर दो अब मैं इस फूल को और तुम्हे हिफाजत से रखूंगा दोनो को मुरझाने नही दूंगा प्लीज मेरी जिंदगी मे लौट आओ केशव मीनाक्षी के बिन अधूरा है !” केशव लगभग गिड़गिड़ाते हुए बोला। मीनाक्षी का दिल कर रहा था वो आगे बढ़कर केशव को गले लगा ले किन्तु उसका दिमाग़ पुरानी बातो को याद कर उसे रोक रहा था । कितनी अजीब होती है एक इंसान के लिए दिल दिमाग़ की जंग जबकि उसे पता हो ना उसका दिल गलत ना दिमाग़ ।

” प्लीज मीनू मान जाओ देखो अब मैं अपने दम पर नौकरी भी करने लगा हूँ अब हमारे बीच दूरी की कोई वजह ही नही है मान जाओ !” केशव ने मिनाक्षी को अपनी तरफ घुमा कर बोला।

” केशव तुम्हे नौकरी मिल गई ये बहुत अच्छी बात है पर मेरे आत्मसम्मान को जो तुमने छलनी किया उसका क्या? क्या कुसूर था मेरा सिर्फ इतना ना कि मैने तुमसे प्यार किया पर आज उस प्यार के कारण ही मैं ना केवल दुनिया बल्कि अपने घर वालों और खुद के सामने भी शर्मिंदा हूँ !” मीनाक्षी ने रोते हुए कहा।

” जानता हूँ मीनू और मैं खुद आज अपनी नज़र मे शर्मिंदा हूँ तुम मुझे माफ़ नही कर सकती तो मुझे कोई सजा दो जिससे मेरा गुनाह कुछ कम हो जाये !” केशव भरी आँखों से बोला।

” केशव मुझे समय चाहिए सब सोचने के लिए जल्दबाज़ी मे मैं कोई फैसला नही कर सकती !” मीनाक्षी कुछ सोचते हुए बोली।

” ठीक है मीनू मैं इंतज़ार करूंगा तुम्हारी दी सजा का और मेरा घर इंतज़ार करेगा अपनी रौनक के वापिस लौटने का मुझे उम्मीद है तुम जल्दी कोई फैसला लोगी पर तब तक के लिए एक विनती है तुमसे मुझसे फोन पर बात कर लिया करना , मुझसे मिल लिया करना !” केशव थके शब्दों से बोला।

” हम्म !” ये बोल मीनाक्षी अपने घर की तरफ बढ़ने लगी।

” ये फूल तो लेती जाओ कम से कम मुझे एक उम्मीद जो जगे !” केशव बोला।

” ये फूल उस दिन लूंगी जिस दिन यकीन होगा अब हमारे प्यार का फूल कभी नही मुरझायेगा किसी परिस्थिति मे नही !” ये बोल मीनाक्षी तेजी से निकल गई । केशव को भी मजबूरी मे लौटना पड़ा ।

वक्त अपनी रफ़्तार से गुजर रहा था और मीनाक्षी को केशव का घर छोड़े दो महीने होने को थे । पर अब एक बात अच्छी थी कि केशव और मीनाक्षी रोज फोन पर बात करते थे । हफ्ते मे एक बार दोनो मिल भी लेते थे किन्तु मीनाक्षी अभी थोड़ा सहज नही थी इधर केशव हर संभव कोशिश कर रहा था कि मीनाक्षी उसकी बातो पर यकीन कर ले और उसके साथ वापिस लौट जाये। इधर दोनो के माता पिता भी जानते थे उनकी बातो और मुलाकातों के बारे मे पर अब वो चाहते थे दोनो जल्दबाज़ी मे नही सोच समझ कर फैसला करे !

” मीनू प्लीज अब बस अब तो मुझे माफ़ कर दो और लौट आओ मेरे पास वापिस !” एक दिन केशव मीनाक्षी को उसके ऑफिस से लेकर घर छोड़ने आया तब उसके घर के बाहर खड़ा बोला।

” केशव लौटना मै भी चाहती हूँ पर अंदर ही अंदर डरती हूं कही साथ रहकर फिर से वही सब ना हो !” मीनाक्षी ने अपने मन की बात कही।

” क्या अब भी तुम्हे मुझपर यकीन नही आया । मीनू तब मैं तनाव मे था क्योकि मेरी जिंदगी मे कुछ भी मेरे मन मुताबित नही था पर अब परिस्थिति अलग है अब मैने अपने दम पर नौकरी हांसिल की है वो भी पहले से बेहतर !” केशव बोला।

” जानती हूँ केशव तुम मे काबिलियत है बस तब समय खराब था । अब जब तुम्हे नौकरी मिल गई है तो यकीन मानो मुझसे ज्यादा कोई खुश नही होगा लेकिन मन मे एक हिचक अब भी है !” मीनाक्षी बोली।

” जानता हूँ मीनू मेरी गलती बहुत बड़ी थी तो ये हिचक तो होगी ही पर अगर तुम मुझे माफ़ नही कर सकती तो प्लीज मुझे सजा दो मैं अब नही रह सकता तुम्हारे बिना !” केशव मीनू का हाथ पकड़ रोते हुए बोला।

आज केशव को काम करते एक महीना हो गया उसे उसकी तनख्वाह मिली थी बहुत खुश था वो क्योकि ये तनख्वाह उसकी खुद की मेहनत की थी किसी की सिफारिश की नही । उसने घर वालों के लिए कुछ ना कुछ खरीदने की सोची और बाजार की तरफ चल दिया। उसने माँ के लिए शाल , पिता के लिए कमीज और रिया के लिए प्यारा सा सूट खरीदा । तभी उसे बाजार मे फूल वाला मिल गया और उन फूलो को देख उसे फिर से मीनाक्षी की याद आ गई । उसके कदम स्वतः ही फूल वाले की तरफ बढ़ गये और मन अतीत मे पहुंच गया।

” वाओ केशव कितने सुन्दर फूल है थैंक यू थैंक यू थैंक यू !” जब भी केशव उससे मिलने जाता फूल लेकर जाता और मीनाक्षी की हर बार यही प्रतिक्रिया होती।

” पागल हो तुम बिल्कुल अरे बस फूल ही तो है इससे ज्यादा तो मैं तुम्हे कुछ दे भी नही पाता !” केशव उससे कहता ।

” केशव ये तुम्हारे लिए सिर्फ फूल है मेरे लिए तुम्हारा प्यार है और इन फूलो को देख मुझे पता है क्या लगता है ?” मीनाक्षी कहती।

” क्या !!”

” यही की इन फूलो की तरह तुम्हारे साथ मेरी जिंदगी भी खिली खिली रहेगी तुम अपने प्यार से हमेशा मुझे संभाल कर रखोगे !” मीनाक्षी उसकी आँखों मे देख कहती।

” अच्छा जी इतना विश्वास है इस फकड़ पर तुम्हे जो तुम्हे एक गिफ्ट तक नही दे सकता तो मिस मीनाक्षी ये भी सोच समझ लेना कि फूल मुरझाते भी है  !” केशव हँसते हुए कहता ।

” मेरे केशव को कुछ मत कहो तुम और मैं जानती हूँ हमारे प्यार का फूल कभी नही मुरझायेगा क्योकि तुम उसे मुरझाने नही दोगे !” मीनाक्षी झूठा गुस्सा दिखा कहती।

” मैं तुम्हारे विश्वास को हमेशा बनाये रखूंगा मीनू । और हमारे प्यार के फूल कभी नही मुरझायेंगे !” ये बोल केशव उसे गले लगा लेता।

” साहब फूल चाहिए क्या मैडम के लिए ले लीजिये ताजे फूल है !” तभी फुलवाले की आवाज़ से वो वर्तमान मे आया । आज उसे शिद्दत से मीनाक्षी की याद आ रही थी । आज दिल दिमाग़ पर हावी होने की कोशिश करने लगा था और अंतत दिल की जीत हुई और केशव ने मीनाक्षी की पसंद के गुलाब खरीद लिए और घर की तरफ चल दिया।

” बहुत सुन्दर चीजे लाया है तू बेटा बस ऐसे ही तरक्की करता रहे तू !” जब उसने माता पिता को गिफ्ट दिये ती उन्होंने आशीर्वाद दिया।

” भैया भाभी के लिए क्या लिया आपने ?” उसके बैग मे से गुलाब झाँकते देख काशवी ने उसे छेड़ा !

” उसके लिए क्यो लाऊंगा !” बैग को छिपाते हुए केशव बोला तो उसके माता पिता के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

” अच्छा बेटा तू हाथ मुंह् धो मैं खाना लगाती हूँ !” सरला जी बोली।

” माँ मुझे कुछ काम है आप लोग खा लीजिये खाना मैं थोड़ी देर मे आता हूँ !” केशव ये बोल जल्दी से निकल गया मानो एक मिनट भी रुका तो उसका राज खुल जायेगा उसके जाते ही सभी हंस पड़े।

” ईश्वर अब सब अच्छा करे !” कैलाश जी हाथ जोड़ बोले।

” हां सच मे ये दोनो सब मन मुटाव भुला एक हो जाये हमें और क्या चाहिए !” सरला जी बोली।

केशव अपने घर से निकल कर सीधा मीनाक्षी के घर के बाहर बने पार्क मे पहुंचा।

मीनाक्षी ऑफिस से आकर फ्रेश होकर बैठी ही थी कि उसका फोन बजा । स्क्रीन पर केशव का नंबर देख वो हैरान रह गई । एक बार को पिछली बाते याद कर उसका मन कसेला सा भी हुआ पर क्योकि पहल केशव ने की थी तो उसने फोन उठाना जरूरी समझा।

” हेलो मीनू ! कैसी हो ?” झिझकते झिझकते केशव बोला।

” ठीक हूँ !” मीनाक्षी ने संक्षिप्त उत्तर दिया।

” मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ !” केशव बोला।

” क्यो कोई ओर इल्जाम कोई और भड़ास बाकी है क्या !” मीनाक्षी बोली।

” प्लीज मीनू भूल जाओ उन सब बातो को मैं उसके लिए बहुत शर्मिंदा हूँ मैं तो तुमसे माफ़ी माँगने की भी हिम्मत नही कर पा रहा क्योकि मैने बहुत गलत किया है तुम्हारे साथ !” केशव बोला।

” केशव हमारा प्यार बहुत कमजोर था जो जरा सी हवा से टूट गया !” भरे गले से मीनाक्षी बोली।

” नही मीनू हमारा प्यार कमजोर नही बल्कि आज मैं उसे और मजबूत कर दूंगा बस एक बार सब भूल तुम नीचे पार्क मे आ जाओ !” केशव बोला।

” क्या …तुम नीचे हो अंदर क्यो नही आये ऐसे बाहर क्यो खड़े हो !” मीनाक्षी आश्चर्य से बोली।

” तुम्हारे घर वालों से नज़र मिलाने की हिम्मत नही मुझमे क्योकि मेरी हिम्मत तो तुम हो और तुम ही दूर हो मुझसे पहले तुमसे नज़र मिला लूँ और तुम्हारी नज़रो मे वही प्यार देख लूं तब सारी दुनिया से नज़र मिला लूंगा मैं प्लीज आ जाओ मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ !” केशव बोला। केशव की आवाज़ मे मीनाक्षी को वही प्यार महसूस हुआ जो शादी से पहले था इसलिए वो एक बार को सब भूल दौड़ पड़ी केशव के पास ।

” बेटा कहाँ भागी जा रही हो ?” उसे ऐसे जाते देख सुरेंद्र जी बोले।

” लगता है बेटी की फिर से एक बार विदाई का पल आ गया है मत रोकिये उसे !” अनिता जी बोली।

मीनाक्षी केशव से कुछ कदमो की दूरी पर रुक गई । सामने उसका वो प्यार था जिसके लिए उसने सब ऐशो आराम भी छोड़ दिये थे । वो प्यार जिसकी तरफ वो खिंची जाती थी पर आज केशव की बाते याद कर उसके कदम नही बढ़ पा रहे थे।

” जानता हूँ मीनू ये फासले मेरे द्वारा खड़े किये गये है तो इन्हे मैं ही मिटाऊंगा !” ये बोल केशव एक एक कदम उसकी तरफ बढ़ने लगा ।

” मीनू अपने इस पागल पति को माफ़ कर दो और एक बार फिर से अपने केशव को पूरा कर दो !” उसके पास आ केशव घुटनो के बल बैठता बोला उसके हाथ मे गुलाब था बिल्कुल उसी तरह जब उसने मीनू को परपोज़ किया था। पर उस दिन मीनू ने जितनी तेजी से गुलाब लिया था , आज वो हिम्मत नही कर पा रही थी । उस दिन उसके तन मन के तार बज उठे थे और आज उसके कानो मे केशव के इल्जाम गूंज रहे थे। मिनाक्षी ने फूल लेने की जगह गर्दन घुमा ली ।

” नही केशव अब इन फूलो से भी डर लगता है क्योकि हमारा प्यार का फूल मुरझा गया !” वो बोली।

” नही मीनू मुझे माफ़ कर दो अब मैं इस फूल को और तुम्हे हिफाजत से रखूंगा दोनो को मुरझाने नही दूंगा प्लीज मेरी जिंदगी मे लौट आओ केशव मीनाक्षी के बिन अधूरा है !” केशव लगभग गिड़गिड़ाते हुए बोला। मीनाक्षी का दिल कर रहा था वो आगे बढ़कर केशव को गले लगा ले किन्तु उसका दिमाग़ पुरानी बातो को याद कर उसे रोक रहा था । कितनी अजीब होती है एक इंसान के लिए दिल दिमाग़ की जंग जबकि उसे पता हो ना उसका दिल गलत ना दिमाग़ ।

” प्लीज मीनू मान जाओ देखो अब मैं अपने दम पर नौकरी भी करने लगा हूँ अब हमारे बीच दूरी की कोई वजह ही नही है मान जाओ !” केशव ने मिनाक्षी को अपनी तरफ घुमा कर बोला।

” केशव तुम्हे नौकरी मिल गई ये बहुत अच्छी बात है पर मेरे आत्मसम्मान को जो तुमने छलनी किया उसका क्या? क्या कुसूर था मेरा सिर्फ इतना ना कि मैने तुमसे प्यार किया पर आज उस प्यार के कारण ही मैं ना केवल दुनिया बल्कि अपने घर वालों और खुद के सामने भी शर्मिंदा हूँ !” मीनाक्षी ने रोते हुए कहा।

” जानता हूँ मीनू और मैं खुद आज अपनी नज़र मे शर्मिंदा हूँ तुम मुझे माफ़ नही कर सकती तो मुझे कोई सजा दो जिससे मेरा गुनाह कुछ कम हो जाये !” केशव भरी आँखों से बोला।

” केशव मुझे समय चाहिए सब सोचने के लिए जल्दबाज़ी मे मैं कोई फैसला नही कर सकती !” मीनाक्षी कुछ सोचते हुए बोली।

” ठीक है मीनू मैं इंतज़ार करूंगा तुम्हारी दी सजा का और मेरा घर इंतज़ार करेगा अपनी रौनक के वापिस लौटने का मुझे उम्मीद है तुम जल्दी कोई फैसला लोगी पर तब तक के लिए एक विनती है तुमसे मुझसे फोन पर बात कर लिया करना , मुझसे मिल लिया करना !” केशव थके शब्दों से बोला।

” हम्म !” ये बोल मीनाक्षी अपने घर की तरफ बढ़ने लगी।

” ये फूल तो लेती जाओ कम से कम मुझे एक उम्मीद जो जगे !” केशव बोला।

” ये फूल उस दिन लूंगी जिस दिन यकीन होगा अब हमारे प्यार का फूल कभी नही मुरझायेगा किसी परिस्थिति मे नही !” ये बोल मीनाक्षी तेजी से निकल गई । केशव को भी मजबूरी मे लौटना पड़ा

दोस्तों सबसे पहले तो माफ़ी चाहती हूँ कल एक विवाह समारोह मे ग़ाज़ियाबाद जा रही थी सोचा रास्ते मे कहानी लिख लूंगी लिख भी ली थी और काफी सारी लिखी थी पर पोस्ट नही हुई नेट की वजह से अब जैसे ही फ्री हुई पोस्ट की है ।

आपको क्या लगता है केशव सुधर गया है ? क्या मीनाक्षी को अब वापिस लौट जाना चाहिए उसके पास ?

आगे क्या होगा ये जानने को पढ़ते रहिये कैसा ये इश्क है

कैसा ये इश्क है सीरीज पोस्ट – ( भाग -12)

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