जिया लागे ना – के कामेश्वरी  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : यह बात बिल्कुल ही सही है कि हम सफर के साथ न होने का दर्द कोई नहीं बाँट सकता है । हम सफरचाहे पति हो या पत्नी दोनों को ही एक दूसरे का साथ ज़रूरी होता है । किसी एक के भी न होने परउसके दर्द की कोई सीमा नहीं होती है । 

रामकिशन और राधिका की शादी जब हुई थी तब राधिका सिर्फ़ अठारह साल की ही थी । बहुत हीशर्मीली छुई-मुई सी थी । सास जेठ जेठानी और पति के साथ उसने अपनी ज़िंदगी के खूबसूरत सफरकी शुरुआत की थी । अपने सफर में वह व्यस्त हो गई थी । कालान्तर में उसके घर में भी बहुत सारेबदलाव भी आ गए थे । जेठानी ने अपने लिए अलग से घर ले लिया और अपने पति के साथ मिलकरअलग रहने लगी ।

रामकिशन और राधिका ने भी अपने लिए अलग से घर बना लिया था । इस बीचराधिका तीन तीन बच्चों की माँ बन गई थी । और इधर जेठानी बेऔलाद रह गई थी उसके कोई भीबच्चे नहीं हुए थे । जेठानी देवरानी के बीच जो उथल-पुथल जलन हो जाती है वैसे ही जेठानी राधिकासे बहुत जलने लगी थी और सास को उसके ही घर में ही रहने के लिए मजबूर कर दिया था । राधिकाने इसका कोई विरोध नहीं किया था । अपने तीनों बच्चों के साथ साथ वह सास और आने जाने वालेरिश्तेदारों सभी की अच्छे से देखभाल करने लगी थी । इन सबके बीच उसने अपनी सेहत का ध्यान हीनहीं रखा था। 

रामकिशन तो इतने आलसी थे कि एक गिलास पानी की भी उठाकर नहीं पीते थे । रामकिशन के सुबहउठते ही बेड कॉफी पीने के लिए देने से लेकर ब्रश करने से पहले ब्रश पर पेस्ट लगाकर देना , दाढ़ीबनाने के लिए भी वही उनकी मदद करती थी और नहाने के लिए पानी तैयार करके टॉवेल पकड़ाने केकाम से लेकर ऑफिस जाने के लिए कपड़े तैयार रखने जैसे सारे काम राधिका करके देती थी ।राधिका के भाई हमेशा उससे कहते थे कि क्या राधिका तुमने तो अपने पति को आलसी बना दिया है । 

राधिका किसी की बात पर बुरा नहीं मानती थी सिर्फ़ हँस देती थी । राधिका और पति के बीच भीरूठना मनाना चलता था । लेकिन मजाल है कि कभी भी बच्चों या दूसरों के सामने अपनी भावनाओंको उजागर करे । जैसे हमने पढ़ा है कि घर परिवार और बच्चों की ज़िम्मेदारी के बीच राधिका ने अपनीसेहत पर ध्यान ही नहीं दिया था। उसका नतीजा यह हुआ कि राधिका को चालीस साल में ही शुगरकी बीमारी हो गई थी । फिर भी उसने किसी को भी शिकायत का मौक़ा नहीं दिया था । 

 रामकिशन जी के तीनों बच्चे पढ़ लिख गए थे । बड़ी बेटी की शादी हो गई थी वह अमेरिका चली गईथी । बेटा और आख़िरी बेटी भी बाहर जाकर बस गए थे । अब पूरी ज़िम्मेदारी ख़त्म करके यह दोनोंअपनी ज़िंदगी जीना चाह रहे थे परंतु राधिका को हाई शुगर की बीमारी के कारण आए दिन अस्पतालके चक्कर काटने पड़ते थे । बच्चे दूर थे इसलिए रामकिशन जी को ही उसे अस्पताल ले जाना पड़ताथा । पहले जो व्यक्ति एक गिलास पानी भी उठाकर नहीं पीते थे आज वे ही राधिका को लेकरअस्पतालों के चक्कर काट रहे थे । इसी बीच कई बार बच्चों के पास जाकर भी आ गए थे। बच्चों नेउन्हें अमेरिका में ही रहने के लिए कहा और ग्रीनकार्ड दिलवाया परंतु राधिका को इंडिया में रहना पसंदथा। नाती पोतों को जब तक ज़रूरत थी वहाँ जाकर रहती फिर उसने बच्चों से कहा कि अब तुम लोगही अपनी सहूलियत के हिसाब से आ जाया करो हम नहीं आ सकते हैं । 

इधर शुगर की अधिकता के कारण राधिका को हार्ट अटैक भी आया था । बच्चों ने उनका इलाजकरवाया था । बच्चों ने माता-पिता से बहुत ही कहा कि वे उनके साथ उनके घर चले परंतु राधिका कोबिलकुल भी पसंद नहीं था । उसका कहना था कि तुम लोगों के बच्चे भी अब बड़े हो गए हैं और उनकीअपनी दुनिया बन गई है वे अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गए हैं इसलिए हमें वहाँ समय काटना मुश्किल हैयहाँ तो हम पुराने लोगों के साथ मिलकर समय बिता लेंगे वैसे भी पति पत्नी में इतना प्यार था कि वेदोनों अपनी पुरानी बातों को याद करते हुए ही दिन बिता लेते थे । 

बच्चों को तो टाल दिया था असली बात यह है कि इस घर में उन्होंने अपनी ज़िंदगी के पचास वर्षबिताए थे। वह इस घर से अलग जाना नहीं चाहती थी । 

उन दोनों की जोड़ी को लोग मिसाल की तरह मानते थे क्योंकि वे दोनों वाकिंग से लेकर शापिंग तकसाथ जाते थे । सुबह की कॉफी पीते हुए अपने पुराने दिनों को याद करते हुए उन्हें फिर से जीते थे ।बातों बातों में कई बार वे सोचते भी थे कि हम अकेले कैसे जिएँगे 

कहते हैं न कि विधि के विधान के आगे किसी की भी नहीं चलती है । एक दिन राधिका की तबियतअचानक से बहुत ही बिगड़ गई थी । रामकिशन उसे अस्पताल पहुँचाते इसके पहले ही वे उन्हें छोड़करचली गई थी । रामकिशन जी को मालूम था कि एक न एक दिन ऐसा होगा ही परंतु अपने आप कोसँभाल नहीं पाए थे । बच्चे तुरंत पहुँच गए थे । उन्हें अपने माता-पिता पर गर्व था।  लड़के ने विधिविधान से सारे कार्यक्रम संपन्न किया था। माँ को बनारस बहुत पसंद था इसीलिए उनकी अस्थियों काविसर्जन वहाँ जाकर किया गया था । 

अब बच्चे पिता के पीछे पड़ गए थे कि हमारे साथ चलिए अकेले कैसे रहेंगे । रामकिशन ने राधिका कीफ़ोटो की तरफ़ मुड़कर देखा जैसे उससे पूछ रहे हो कि क्या करूँ ? फिर कुछ सोचते हुए उन्होंने बच्चोंको बताया था कि इस घर में हम दोनों पचास सालों से ज़्यादा साथ गुज़ारा है। मुझे लगता है कि वहअभी भी मेरे आसपास है तो प्लीज़ मुझे मजबूर मत करो मैं यहीं रहना चाहता हूँ तुम्हारी माँ की यादों केसहारे जीना चाहता हूँ । 

बच्चों ने पिता की बातों का मान रखा उनकी सारी सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए सारा इंतज़ामकिया और समय समय पर पारी पारी तीनों बच्चे अपने पिता के साथ वक़्त बिताने आ जाते थे । कुछसाल ऐसे ही बीत गए बच्चे भी बड़े हो गए उनके बच्चों की शादियाँ भी हो गई थी । 

तो दोस्तों हम सफर के साथ न होने पर कोई भी उनका दर्द बाँट नहीं सकता है पर दर्द को कम करने कीकोशिश ज़रूर कर सकता है । समय के चलते दुख सहने की शक्ति भी मिल जाती है । आज भीरामकिशन अकेले अपनी पत्नी की यादों में ज़िंदगी जी रहे हैं और कितने साल ?

के कामेश्वरी 

#जीवनसाथी के ना होने का दर्द कोई नहीं बाँट सकता

 

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