जहाँ चाह वहाँ राह – मेघा मालवीय : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : हमारे पडोस में विनोद जी का परिवार रहता है। वो लोग आज से  शायद20-25साल पहले आकर बसे है।   मतलब पहले वो अपने माता पिता के साथ रहते थे फिर वो लोग कही ओर जाकर  बस गए। फिर विनोद जी अपनी पत्नी और 1 बेटे के साथ , 20 साल पहले आकर बसे अच्छा परिवार है मध्यम वर्गीय, पर कल एसे ही उनके बारे में बातें छिड़ी तो पता चला कि जब वो शादी करके अपनी नवविवाहिता पत्नी को लेकर आये थे तो परिवार ने उन्हें अपने साथ नहीं रखा कारण ये था की विनोद जी ने  प्रेम विवाह किया था और वो भी एक बच्चे की माँ के साथ,
मन मै उत्सुकता हुई पूरी कहानी जानने की
कहानी इस प्रकार शुरू हुई
विनोद जी अध्यापक थें तो ठीक-ठाक कमाते थें और उनकी पत्नी सुधा भी।
जब विनोद जी 24-25साल के थें तब उनकाे अपने घर से 200किमी दूर पोस्टिंग मिलीं  तब वह अपने घर के लोगों को घर के भोजन को बहुत याद करते रहते थे, पर 200किमी आना जाना आज जितना आसान है तब नहीं था तो सिर्फ त्योहारों पर ही जाना होता था। तभी उसी दौरान सुधा जी की पोस्टिंग भी वही हुई। उस समय काफी अच्छी दिखती थीं, लंबे काले  घने बाल, बड़ी-बड़ी आखें , भरा पूरा शरीर, गेहूंए रंग के साथ चहरे की अच्छी बनाबट  मतलब कुल मिलाकर बहुत  खूबसूरत तो नहीं पर कम भी नहीं,
तो सलवार कमीज पहनें सिर पर छोटी सी बिंदी लगाए अच्छी लगती थीं।
जब वो विध्यालय में आयीं तो उसके  1 साल बाद सबको पता चला की वो तलाक शुदा और माँ  हैं,  वो भी इसलिए क्योंकि विध्यालय का दूसरा सत्र उन्होंने अगस्त में ज्वाइन किया  क्यों की उनकें बेटे को पीलिया हो गया था।
इधर विनोद जी सुधा जी की सादगी पर पहले ही अपना दिल हार चुके  थे।
फिर जब उन्हें पता लगा की वो एक जिम्मेदार शिक्षिका के साथ 3 साल के बेटे की माँ भी है तो उनके मन में सुधा जी के लिए और इज्जत और  बड गयी।
फिर जब विनोद जी दिपावली के अवकाश पर अपने घर पहुंचे तो उनके पिता ने उनकी शादी की बात की तो विनोद जी ने कुछ कहा नहीं  क्यों कि उनके मन में क्या था ओर क्या नहीं ये उन्हें खुद नही पता था। वे बिना कुछ बोेले लौट गए।
फिर उनकी माँ ने  उनके पिता से कहा की वो क्या बोलेगा आप तो करवा दो  फाल्गुन के बाद  ।
इधर विनोद जी को सुधा जी से बातें करना उनकों सुनना अच्छा लगता था।
उसी दौरान स्कूल के बच्चों को घूमने ले जाने का कार्यक्रम बना सारे बच्चे ओर सारे शिक्षक गण गए सुधा जी का बेटा सुधा जी के माता पिता के साथ रहता था। तो वो भी गईं थीं।
सब लोग घूमने पहाड़ों वाली जगह गए थै वहाँ सुधा जी एक बच्चे को बचाने के चक्कर में दुर्घटना की शिकार हो गई पर ये वहुत बड़ी  दुर्घटना नहीं थी।
पर सुधा जी को  चोटिल देख कर  विनोद जी का मन  बहुत  व्याकुल हुआ उन्हें एेसा लगा मानो कुछ जो उनकों बहुत प्यारा  है उनसे छिनने वाला है। जब वो वहां से आए तो उन्हें समझ नहीं आ रहा था की एेसा क्यों पर जल्द ही उन्हें समझ आ गया  ।
उन्होंने बिना देरी किये सुधा जी को अपने मन की बात बता दी और उन्हें शादी का प्रस्ताव दिया पर सुधा जी बिना कुछ बोले घबराकर वहाँ से चलीं गईं।
उनमें एक ओर छलावा सहन करने की ताकत नही थी पर विनोद जी कहाँ माननेवाले थै।
उन्हें पता था की सुधा जी भी उन्हें पसंद करती पर पर स्वीकार करने से डरती है। वो सुधा जी बिना बताये उनके घर वालो से मिलने चले गए ओर अपना दिल खोलकर उनके आगे रख  दिया। उन्होंने कहा की वो सुधा जी को उनके बेटे के साथ अपनायगें खुशी से,
अन्धा  क्या चाहै दो आंख  वो लोग भी अपनी बेटी को फिर  से घर बसाते हुए दैख ना चाहते थै तो उन्हे कोई आपत्ति नहीं हुई।
बल्कि उनहोंने सुधा जी को नयी शुरुआत करने के लिए समझाया, फिर सुधा जी मान गयीं अपने परिवार की बात। पर विनोद जी का परिवार नहीं समझा उनकी मन स्थिती, पर विनोद जी ने अपने परिवार की सहमति के बिना ही सुधा जी से विवाह कर लिया था ।
आज  उनकी  शादी को 25 वर्ष हो गए । और अब सब साथ ही रहते है माँ है पिता जी नही रहैं। और बहनों की शादी हो गई ओर 2 भाई  शहर में रहते है सपरिवार।

क्योंकि विनोद जी की छोटी बहन के  विवाह के समय उनके पिता ने उनके विवाह ओर सुधा जी को उनके बेटे सहित ससम्मान अपना लिया  था। 

मेघा मालवीय

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