घर की मिठास (भाग 2) – लतिका श्रीवास्तव: hindi stories with moral

hindi stories with moral : तीन दिनों बाद ही पापा का जन्मदिन है इस बार पापा पचास वर्ष पूरे कर लेंगे … भैया मैने पापा की इस पचासवीं सालगिरह के लिए एक सरप्राइज़ प्लान किया है सुबह सुबह ही वीना वरुण के पास फुसफुसाकर कह ही रही थी तभी मां हाथ में आरती की थाली लेकर आ गईं और सबको आरती देने लगीं अनिमेष जो लेटा हुआ था उठ बैठा मां इतनी सुबह से स्नान ध्यान भी हो गया आपका मैं तो अभी बिस्तर पर ही हूं संकुचित हो गया वह….फिर जल्दी से  वरुण की देखादेखी दोनों हाथो से आरती के दिए से आरती लेने की कोशिश करने लगा इसी में उसकी हथेली थोड़ी सी जल गई… अरे संभाल के अनी वीना जा जल्दी बरनोल लेकर आ इसके लगा दूं कहीं फोला ना पड़ जाए बिचारे की कोमल हथेली में..मां सारा काम छोड़ अनिमेष की हथेली पकड़ कर बैठ गई।

ओहो मां मैं इतना छोटा बच्चा नहीं हूं कि इतने में ही मेरी हथेली जल जायेगी आप अपनी पूजा कंप्लीट कर लीजिए…अनिमेष हंसने लगा और हथेली छुड़ाकर उठ खड़ा हुआ।

मां बरनौल तो लगता है खत्म हो गई है वीना के कहते ही मां चिंतित हो उठी अरे तो जा पड़ोस से बीना चाची से मांग ला जा दौड़ के

थोड़ी ही देर में बरनोल के साथ बीना चाची खुद ही आ गईं थीं अरे अनिमेष बेटू का हाथ जल गया क्या लाओ लाओ हम ही बरनोल लगा देते है।

अनिमेष आश्चर्य में था किस जमाने के लोग हैं ये सब इतना ख्याल मुझ अपरिचित के लिए !! कितना लाड़ करते हैं अपनी संतानों का खुद को पूरी तरह समर्पित कर देते हैं..!! क्या यहां के बच्चे बिगड़ नही जाते होंगे इतने लाड़ दुलार से!! लेकिन तभी वरुण का अपने घर वालो के प्रति आत्मीय व्यवहार देख और सोच कर उसके कौतूहल पर विराम लग गया था और इतनी ही देर में उसकी हथेली पर बरनोल भी।

वरुण तू ऐसा कर अनिमेष को बाजार घुमा ला और साथ में ये सामान भी लेते आना अब तू है तो पापा तो बाजार जाने से रहे और अनिमेष क्या खाता है वह भी उससे पूछ कर  ले आना ..नाश्ते के बाद ही मां ने वरुण को थैले और समान की लिस्ट पकड़ाते हुए कहा तो अनिमेष एक बार फिर आश्चर्य में पड़ गया।

ये किस जमाने में जी रहे हो आप लोग आजकल तो ऑनलाइन हर सामान आ जाता है कहीं जाने की जरूरत ही क्या है मुझे बाजार जाना पसंद नहीं है ना ही मेरी आदत है अनिमेष थोड़ा खीज ही गया था।

हां बेटा ऑनलाइन सब कुछ आ जाता है यहां भी आ सकता है दुकानदार पूरा सामान घर पहुंचा जायेगा लेकिन बाजार जाना वहां की हलचल महसूस करना और फिर अपनी पसंद का छांट छांट कर सामान लेना इन सबमें ही तो असली आनंद है पिता जी ने हंसते हुए कहा तो  सोहन भी हंसने लगा हां अनिमेष भैया जब आप हम लोगो के साथ बाजार चलेंगे तभी आपको भी समझ आएगा चलिए जल्दी …..!

तभी एनी का मोबाइल बज उठा देखा तो उसकी मम्मी का फोन था

हेलो मॉम कहते हुए अनिमेष अपनी मम्मी को वरुण के घर का पूरा हाल चाल सुना रहा था जिसे सुनते ही उसकी मम्मी बिगड़ पड़ीं “ऐनी तुम होटल क्यों नहीं  गए ये किस जमाने के लोग हैं इतने छोटे घर में इतने सारे लोग कैसे रह रहे हैं तुम नीचे जमीन पर सोते हो सारी कुकिंग वरुण की मम्मी करती हैं नो एनी पता नहीं वो किस तरह का ऑयली खाना तुम्हे खिला रही हैं…

मॉम मैं आपसे बाद में बात करता हूं अभी शॉपिंग करने जा रहा हूं अनिमेष ने मां को टालना चाहा था।

अरे सुनो तो एनी क्या शॉपिंग करनी है तुम्हें तुम शॉप नहीं जाना डस्ट एलर्जी हो जायेगी तुम्हें वहां का मार्केट साफ सुथरा नहीं रहता…!!

तब तक अनिमेष ने फोन काट दिया था।

लेट्स गो वरुण कहता वह मां के हाथ से थैला लेता हुआ सोहन की तरफ बढ़ गया था।

अभी अभी तो आप साफ मना कर रहे थे भैया अचानक चलने के लिए तैयार हो गए सोहन ने हंसकर मजाकिया लहजे में कहा तो वरुण हंसने लगा।

आंटी ने कहा होगा इंडिया का मार्केट घूम आना क्यों एनी !!

सुनते ही अनिमेष जोरों से हंस पड़ा यस वरुण तुम्हें तो सब पता है।

अरे निमेष बेटा तुम ये मास्क मुंह में बांध लो  यहां की डस्ट भी तुम्हारा ज्यादा स्वागत करने लगेगी पिता जी ने हंसकर मास्क लपक कर अनिमेष को दिया तब तक मां की हिदायत गूंज उठी वरुण बाजार में कुछ खाने की जरूरत नहीं है अनिमेष के लिए कुछ खास बना रही हूं मैं..!!

थैंक यू पिता जी अनिमेष का दिल भर आया पिताजी कितना ख्याल रखते हैं सोचकर और तभी कानों में अपनी मॉम के वाक्य गूंज उठे ।

बाजार की सजधज देखते बनते थी ।

अनिमेष बहुत आश्चर्य से चारों तरफ की हलचल देख रहा था इतने सारे लोग चारो ओर दिखाई पड़ रहे थे कितने सारे लोग  यहां हर तरफ दिखाई देते रहते हैं और कितनी आत्मीयता है इन सबमें परस्पर …!! हां विदेशों जैसी स्वच्छता कम है लेकिन दिल के बहुत साफ हैं ये सब।

भैया आइए आप यहां बैठ जाइए सोहन ने उसका हाथ पकड़ कर एक बड़ी सी किराना शॉप में ले जाते हुए कहा ।उसे बहुत आश्चर्य हुआ जब शॉपकीपर ने उठकर उसका स्वागत किया और आप हमारे यहां पहली बार आए हैं बताइए क्या लेंगे कहते हुए तुरंत उसका स्वागत किया और उसके लिए कोल्डड्रिंक मंगवाई।

इतना अपनत्व है इन सबमें … कौन सी दुनिया में रहते हैं ये सब …वरुण के घर के लोग पास पड़ोसी तो हैं ही अब साथ में सारे परिचित ये दुकानदार भी उसे गहरे स्नेह से अपना रहे हैं.. कितने निस्वार्थ लोग हैं… सोच कर ही अनिमेष भावुक हो गया।

वरुण बहुत गंभीरता से मां की दी गई लिस्ट का एक एक सामान निकलवा रहा था परख रहा था और अलग रखवाता जा रहा था…!!

तीन तरह के पोहे के पैकेट देख कर अनिमेष भी नजदीक आ गया था एक खुला पोहा है एक मोटा पोहा और एक पतला पोहा है बताने पर वरुण भी गड़बड़ा गया कौन सा लूं!!

सोहन तू ही बता!! पूछने पर सोहन की समझ में भी नही आया ।

मां से ही पूछ लेता हूं वरुण ने मां को वीडियो कॉल लगा कर पोहे दिखाने शुरू कर दिए

मां ने पतला वाला पोहा लाने बोला और तभी अनिमेष को देख कर हंसने लगी अरे मेरा अन्नी बेटा तो थक गया ।

नहीं मां आज आपके हाथ का पोहा खाऊंगा मैं आज तक मैंने ये पोहा खाया ही नही है….अनिमेष के कहते ही मां तो निहाल ही हो गई बस तू आजा मैं तब तक पोहा तैयार रखती हूं।

साथ में अदरक वाली चाय भी मां हंसकर लाड़ से अनिमेष ने कहा और खुद ही आश्चर्य कर उठा कि अपनी खुद की मॉम से तो उसने कभी कुछ पका कर खिलाने की फरमाइश नहीं की और अभी एक दो दिनो में ही वरुण की मां से इतना फ्री कैसे हो गया..!!

लौटते समय रास्ते में सोहन ने पिताजी की पचासवीं सालगिरह के कार्यक्रम को मनाने की गुप्त योजना जो उसने और वीना ने मिलकर बनाई थी उसके बारे में थोड़ा सा बताया तो वरुण के साथ अनिमेष भी जोश में आ गया …. मां पिताजी के सो जाने के बाद चारों की गुप्त गोष्ठी होगी जिसमें पूरा कार्यक्रम तय होगा … यह योजना बनाते तीनों घर आ गये थे..!

घर में घुसते ही एक बहुत स्वाद भरी खुशबू से अनिमेष की नाक महक उठी… भैया आ जाइए जल्दी हाथ धोइए मां कब से पोहा बना कर आप का इंतजार कर रहीं हैं वीना ने उसे देखते ही कहा और हाथ पोछने के लिए छोटी टॉवेल लेकर आ खड़ी हुई…!

पिताजी टेबल पर प्लेटें लगाने लगे और मां तुरंत चाय चढ़ाने में व्यस्त हो गई..!

खिला खिला उल्लसित घर का कोना कोना …इतना आत्मीय परिवार मां पिताजी छोटा भाई छोटी बहन अनिमेष का तो दिल महकने लगा था..!

लो बेटा पोहे की पहली प्लेट अनिमेष को पकड़ाते हुए पिताजी ने कहा तो वीना चहक उठी भैया आप भी पोहे में ऊपर से प्याज डालेंगे वरुण भैया को तो बहुत पसंद है..

अनिमेष तो जिंदगी में पहली बार पोहा खा रहा था हां हां क्यों नहीं डालूंगा मेरी बहन .. वरुण अकेले कैसे खायेगा लाओ मेरे लिए भी प्याज ले आओ अनिमेष के कहते ही वीना तुरंत प्याज भी ले आई और नीबू भी..!तुम भी आ जाओ वीना साथ में खाओ एनी ने कहा तो मां के साथ खाऊंगी कह वीना किचन में चली गई।

सोहन तुम क्यों नहीं खा रहे हो प्लेट सामने रखे बैठे सोहन को देख अनिमेष ने आश्चर्य प्रकट किया

मैं तो चाय का इंतजार कर रहा हूं भैया चाय के साथ ही पोहा खाऊंगा तभी स्वाद आता है मुझे

हां हां जानती हूं ले चाय आ गई ला वीना सबको दे बेटा और चल सबके खाने के बाद तू अपनी और मेरी दोनों की प्लेट लगा ला मां के कहते ही अनिमेष उठ खड़ा हुआ मां क्या मैं आप की प्लेट लगा सकता हूं!! मां चकित रह गई हां हां बेटा क्यों नहीं तू भी तो मेरा राजा बेटा है लेकिन पहले खा तो ले पोहा

नहीं मां आप भी खाइए सब साथ में खायेंगे तभी पूरा मजा आयेगा सुनते ही मां तो गदगद ही हो गई बेटा साथ में खाने का विचार तो मेरे मन में कभी आया ही नहीं सबको खिलाने के बाद ही मैं सुकून से खा पाती हूं अब तो आदत सी हो गई है… सबको खाते देख कर ही मेरा तो मन और पेट दोनो भर जाता है..!!

पता नहीं मां #आप भी किस जमाने में जी रही हो घर परिवार गृहस्थी के प्रति इतना समर्पित आज के दौर में कौन रहता है…!!

मां की बात अनसुनी करते हुए अनिमेष जल्दी से मां के लिए प्लेट लगा लाया और वीना से मांग कर उसके ऊपर प्याज और नीबू भी सजा कर ले आया.. आज तो आपको सबके साथ ही खाना पड़ेगा नहीं तो मैं भी नही खाऊंगा लाड़ और स्नेह से उसने कहा तो सबने ताली बजा कर समर्थन भी किया हां हां मां सब एक साथ खाएंगे…!

कितना स्वादिष्ट पोहा है मां आपके हाथों में तो जादू है सोहन तुम सही कह रहे थें भाई सोने पे सुहागा ये अदरक वाली चाय स्वाद को बढ़ाती ही जा रही है..!सबके साथ बातें करते हुए खाने की बात ही कुछ अलग है अनिमेष कहते हुए महसूस कर रहा था।

पापा पेट बहुत भर गया अब तो रात में बस आपके हाथ का पुलाव खाने का मन है वरुण ने पोहा समाप्त करते हुए कहा तो पिताजी प्रसन्न हो गए मेरे मन की बात कह दी तूने वरुण मैं भी सोच रहा था बहुत ज्यादा तारीफ हो रही है तेरी मां की आज ऐसा पुलाव बनाऊंगा कि अनिमेष तेरी मां की तारीफ करना भूल ही जायेगा…..!!

अब….वो तो पुलाव खाने के बाद ही तय हो पाएगा पिताजी अनिमेष ने इतनी मासूमियत से कहा कि  सब हंसने लगे।

अगला भाग

घर की मिठास (भाग 3) – लतिका श्रीवास्तव: hindi stories with moral

लतिका श्रीवास्तव

7 thoughts on “घर की मिठास (भाग 2) – लतिका श्रीवास्तव: hindi stories with moral”

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!