गर्व- आरती झा आद्या  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : एक महानगर का रेड लाइट एरिया जहाँ सभ्य समाज के लोगों का रात के वीराने में आना जाना लगा रहता था। वहाँ की सबसे सुन्दर लड़की शब्बो रानी थी। यूँ तो उसका नाम शबनम था, पर सभ्य समाज ने शायद अपनी सहूलियत के लिए उसका नाम शब्बो रानी रख दिया था। एक दिन उसके पास एक पत्रकार विनय का आना हुआ।

जिसे ऐसी महिलाओं पर लेख लिखने का अवसर प्राप्त हुआ था और वो इनकी जुबानी इनकी कहानी सुनकर ही लेख लिखना चाहता था। शब्बो की कहानी के बीच में ही एक चार साल का बच्चा अम्मी अम्मी कहता आया, जो विनय को तिरछी नजर से देखता अपनी अम्मी का पल्लू पकड़ कर खड़ा हो गया। शब्बो ने उसे पुचकार कर बाहर खेलने भेज दिया।

“ये बच्चा”… बोल विनय बात अधूरी छोड़ देता है।

“मेरा बच्चा है साहब। बाप के बारे में मत पूछना साहब,  सभ्य समाज का ही कोई होगा। ऐसे बहुत से बच्चे हैं यहाँ साहब, जो कि बड़े होकर पेट भरने के लिए अपनी माँ बहन का ही सौदा करने लगते हैं।” बोलती शब्बो की ऑंखें ॲंगारा हो गई थी।

“क्या हैवानियत है”.. विनय का मन खराब हो जाता है।

“हैवानियत नहीं है साहब। जो देखेंगे वही करेंगे ना, यहाँ से बाहर का समाज इन्हें स्वीकार नहीं करता है।” शब्बो बिलख पड़ी।

अब से मेरी प्राथमिकता ये बच्चे ही होंगे। अगर मैं इन बच्चों को शिक्षित करने की कोशिश करुँ तो क्या तुम सब मेरा साथ दोगी।” विनय शब्बो से पूछता है।

नेकी और पूछ पूछ साहब, कौन औरत नहीं चाहती कि उसके बच्चे को सही राह मिले!” शब्बो आँखों के नीर पोछते हुए कहती है।

“ठीक है दो महीने बाद दीपावली है। मेरा इंतजार करना और बच्चों को तैयार रखना। उस दिन मैं इन बच्चों को लेने आऊँगा” कहकर विनय चला जाता है। 

दीपावली के दिन सुबह सुबह ही विनय और उसके कुछ साथी बच्चों को लेने पहुँच गए। 

“बच्चों को कहाँ रखोगे साहब और दीपावली का दिन ही क्यूँ? वहाँ उपस्थित महिलाओं में से एक ने पूछा। 

“मैंने अपने घर को बच्चों के रहने के लिए उपलब्ध करा दिया है। आज से बच्चों के जीवन की नई शुरूआत होगी। श्री राम रावण का वध कर आज के ही दिन अपने घर लौटे थे। ये बच्चे भी शिक्षा के द्वारा अच्छाई और बुराई में आज से ही फर्क़ करना सीख सकेंगे। ये अमावस्या इनके लिए प्रकाश लाएगा। इसीलिए इनकी शिक्षा आज से ही प्रारम्भ होगी। आज यह दिन हमारे लिए और बच्चों के लिए हमेशा गर्व भरा दिन होगा।” कहकर विनय अपने गर्व भरे नेक कदम के साथ बच्चों को लेकर एक नए जीवन के आगाज के लिए चल पड़ा। 

 

आरती झा आद्या 

दिल्ली

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