एक प्यार ऐसा भी …(भाग -1) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : – पूरे दिन गांव में डोलता रहता हैँ….. आज ही तेरे बापू से कहती हूँ उस सरकारी स्कूल में तेरा दाखिला करवा आयें… वो मास्साब और मैडम जी आयी थी ना बोलने की अब सरकारी स्कूल में बहुत  अच्छी पढ़ाई हो रही हैँ…. राजू की माँ हाथ में लिए बेलन से राजू को मारते हुए बोली…

अम्मा…. तुम रोटी ही पकाओ …. देखो कैसे रोटी चूल्हा पर राख हो रही… जाओ फूंकनी मार आओ… मैं ना पढ़ रहा कहीं … यहीं अपनी बकरियां चराऊंगा …. तुम पर और बापू पर एक भी बकरी पकड़ी ना ज़ाती हैँ…. मैं सकूल चला गया तो कौन करेगा ये सब काम…हाट के काम, खेत में पानी डालना … बोरा सिलना … बापू तो सुबह सुबह शहर निकल जायें हैँ बेलदारी करने… मेरे सहारे ही तो सब ज़िम्मेवारी छोड़कर ….

तब तक बापू भी बेलदारी करके आ गए… अपना डब्बा वाला झोला अंदर ले आयें…. सायकिल बाहर ही खड़ी कर आयें…..

खाना तैयार हैँ?? बोल राजू की अम्मा. …

हां आ जाओ हाथ मुंह धो …. अभी ही बनाना शुरू करी रोटी… गर्मागर्म खा लो… थोड़े देर बाद शीत पड़ने लगेगी…. तो बन गयी फिर रोटी…. अम्मा बोली….

साग काये का बनायी हैँ?? बापू पप्पू बोला…

बैंगन आलू का साग हैँ… अब आ भी जाओ… अंदर रसोई से थाल कटोरा लेते आना…..

बापू आकर बैठ गया थाल में गर्मागर्म रोटी लेकर ….. और कटोरे में साग….

तू अभी राजू से क्या बोल रही?? खाना खाते हुए पप्पू बोला….

यहीं कह रही कि सरकारी स्कूल में दाखिला करा आओ इसका…. यहां पूरे दिन आवारा की तरह गांव में डोलता रहता हैँ…. सबसे झगड़ा करने लगा हैँ…. तुम चले जाओ हो सुबह ही…. मैं बहू होकर पूरे दिन गांव में इसे खोजती फिरती क्या अच्छी लगूँ हूँ… बोलो….

कह तो सही रही… ऐसा कर राजू… कल से तू स्कूल जा…. बकरियां तो शाम को ही चराने जाता हैँ तू …. तब तक तो आ भी जायेगा तू पढ़कर….

अगर मास्साब ने डंडे से मारा तो कभी ना जाऊंगा फिर मैं बापू …. इतनी जोर से मारे हैँ…. हाथ लाल पड़ जाता हैँ……

तो तू सारी कॉपी बनाके जाया कर तो ना मारेंगे….. अच्छा मैं कह दूँगा कि ना मारे मेरे राजू को… तू सुबह ही चले जाना… मैं बाद में जाकर नाम लिखा आऊंगा…..

ठीक हैँ… अम्मा मेरा थैला निकाल दो … रूल और मिटरौनी के पांच रूपया दे दो… कॉपी तो पहले वाली ही ना भरी… उसी में कर लूँगा….

मेरा लाल पढ़ने जायेगा… ठीक हैँ सबेरे ही तेरा खाने का डब्बा लगा दूँगी….

बहू लला सरकारी स्कूल में जा रहा… वहां खाना मिले हैँ….

खाट पर बीड़ी पीते राजू के बाबा बोले….

फिर भी तू ले जाना… पता ना पेट भरे ना भरे मेरे लाल का… धीरे से राजू को पुचकारते राजू की माँ बोली….

अगले दिन आँखों में काजल लगा नहा धोकर तैयार खड़ा था राजू…. .

कितना सुन्दर लग रहा हैँ  मेरा लाला… ला  तुझे काला टीका लगा दूँ…. राजू का खाने का डब्बा पकड़े माँ बोली….

अम्मा तेरी बड़ी सुध आयेगी सकूल में…. तू रह लेगी मेरे बिना…..ऊपर मत चढ़ना … नहीं तो गिर ज़ाती हैँ तू … जो चहिये हो मैं निकाल दूँगा आके ….

माँ ने राजू को सीने से चिपका लिया …. राजू भी माँ के गालों को चूमने लगा….

अम्मा मेरी बहन आ जायेगी ना जो तू लाने वाली हैँ कुछ दिन में…. फिर तू मुझे ज्यादा याद ना करेगी…..

बड़ी फिकर करता हैँ तू मेरी… अब जा तू … नहीं तो अबेर हो जायेगी….

सायकिल ले अम्मा , बापू, बाबा को प्रणाम  कर स्कूल के लिए निकल आया राजू….

रास्ते में निम्मी मिली….

तू कहां  जा रहा हैँ राजू??

क्यूँ तू ही पढ़ सकती हैँ… मैं नहीं ….

कितने दिन जायेगा स्कूल….देखती हूँ….

अब तो रोज जाऊंगा…. तू भी क्या सरकारी स्कूल में ही पढ़ती हैँ निम्मी ….

हां राजू…मुझे भी बैठा ले सायकिल की डंडी पर …. पैर दूख रहे हैँ…

रोज तो जैसे मेरी ही सायकिल से ज़ाती हैँ…. उस आशीष की सायकिल से डोलती रहती हैँ…. जा … मैं नहीं ले जा रहा….

ठीक हैँ…. मत ले जा…. अभी आ रहा होगा आशीष….. मैं तो उसी के साथ चली जाऊंगी….

तभी गुस्से में तेज कदमों से निम्मी आगे बढ़ती जा रही थी…. उसके पांव में काटा चुभ गया….

राजू…. बहुत दर्द हो रहा हैँ…..अम्मा…अम्मा…….. निम्मी चीख चीख कर रोने लगी….

राजू सायकिल को छोड़ निम्मी  के पास दौड़ा आया… उसने निम्मी के बहते खून को देख अपना गमछा जो अम्मा ने धूप से बचने को दिया था… उसे फाड़ दिया… निम्मी के खून पर बोतल से पानी डाल उस पर थूक लगा दिया…. फिर गमछे को कसके बांध दिया….

ए रे  राजू… तेरी अम्मा ना डांटेगी तुझे तूने नया गमछा फाड़ दिया…

तू वो सब छोड़… अभी भी तुझे दर्द हो रहा हैँ क्या निम्मी ?? राजू निम्मी के चेहरे की तरफ देखते हुए बोला….

ना रे राजू… स्कूल चल…. अबेर हो जायेगी….

निम्मी अपने कपड़ों को झाड़ उठी… अपना थैला टांग आगे बढ़ने लगी…

राजू आगे सायकिल बढ़ाकर बोला…. चल बैठ जा सायकिल की डंडी पर …. पर आज के बाद उस आशीष की सायकिल पर ना बैठेगी… समझी ….

ठीक हैँ राजू….. पर तू मुझे रोज लेकर जायेगा ना …. यह बोलते हुए निम्मी राजू की सायकिल की डंडी पर बैठ गयी…. राजू की सायकिल स्कूल की तरफ बढ़ चली थी….

अगला भाग जल्द ….

पाठकों नयी धारावाहिक कहानी की शुरूआत की हैँ… उम्मीद हैँ आप लोगों को पसंद आयेगी…. इसमें राजू और निम्मी की बचपन से जवानी तक के पवित्र प्यार को दर्शाय़ा जायेगा… बहुत उतार चढ़ाव होंगे…. और भी बहुत कुछ…. आप लोग बने रहियेगा…..

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एक प्यार ऐसा भी …(भाग -2)

एक प्यार ऐसा भी …(भाग -2) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

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