एक प्यार ऐसा भी …(भाग -2) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : –

इस कहानी में  निम्मी और राजू दो 13-14 साल के बच्चे हैँ… राजू का पिता पप्पू  बाहर शहर जाकर बेलदारी करता हैँ…. सुबह का गया वो रात को ही घर लौटता हैँ… घर में माँ रहती हैँ… जो कि  गर्भवती हैँ… उसका 9वां महीना चल रहा हैँ…. कभी भी बच्चा हो सकता हैँ उसे…. बाबा हैँ ज़िन पर ज्यादा चला नहीं जाता… ज्यादातर समय वो  खाट पर ही गुजारते हैँ…. माँ के कहने पर राजू ने सरकारी स्कूल में जाना शुरू किया हैँ… रास्ते में निम्मी मिल गयी… उसके पैरों में कांटा चुभने से राजू अपना गमछा फाड़कर मरहमपट्टी करता हैँ… फिर उसे अपनी सायकिल की डंडी पर बैठा लेता हैँ… राजू और निम्मी की सायकिल बढ़ चली हैँ स्कूल की ओर….

अब आगे…..

स्कूल पहुँचकर निम्मी की सहेलियां निम्मी से पूछती हैँ…

ए री निम्मी …. आज तू किसके साथ आयी हैँ स्कूल…. इसे पहले तो ना  देखा…. तेरा भाई हैँ क्या ….?? निम्मी की सहेली रीना बोली…

भाई शब्द सुन राजू के चेहरे पर गुस्सा आ जाता हैँ….

अरे नहीं री रीना… तू जानती नहीं इसे ये हमारे गांव का राजू हैँ…. तू दूसरे गांव से आती हैँ ना … इसलिये तुझे ना पता…. बाकी तो सब स्कूल में जाने हैँ इसे…. निम्मी राजू की तरफ देखते हुए बोली…

राजू अब थोड़ा रिलैक्स था….

अच्छा… चल बढ़िया हैँ… अब तुझे अकेले ना आना पड़ेगा….. आ जाया करेगी इसके साथ सायकिल पर ….

ये दिमाग का थोड़ा ऐसा ही हैँ…. पता नहीं कब तक लायेंगा मुझे…..फिर कभी रास्ते में गिरा ही ना दे सायकिल से मुझे….

निम्मी हंसते हुए बोली….

राजू सभी के मौजूद होने की वजह से कुछ ना बोल पाया….. बस दांत पीसकर रह गया….

चल जल्दी बैठ ज़ाते हैँ आगे…. नहीं तो बाकी बच्चे अपना थैला रख लेंगे…. निम्मी की सहेली मोहिनी बोली….

सभी बच्चे दौड़ते हुए कक्षा में गए… जल्दी से झपट्टा मारकर सबने अपनी अपनी जगह घेरी ….

राजू अभी भी अपना थैला लिए खड़ा था…

तू भी बैठ जा ना पीछे राजू…. नहीं तो आशीष और उसकी टोली आ जायेगी तो तुझे जमीन पर ही बैठना पड़ेगा… अभी ज्यादा बेंच ना आयी हैँ स्कूल में…. नीचे ही टाट डालकर बैठना पड़ेगा समझा…. निम्मी राजू को अपनी बड़ी बड़ी आँखों से समझाते हुए बोली….

मैं नहीं बैठ रहा पीछे….. मैं तो तेरे पास ही बैठूँगा …. समझी ….

सभी बच्चे राजू की इस बात पर हंस पड़े…. तुझे पता नहीं हैँ क्या  राजू…. लड़का लड़की के साथ नहीं बैठता…. एक लड़की रानी बोली….

पहले तो सब बैठते थे…. राजू बोला…

तब सब छोटे थे …. अब सब सयाने हो गए हैँ… इतना भी नहीं समझता क्या तू ….. रानी राजू को समझा रही हैँ….

मुझे नहीं पता कुछ  … मैं निम्मी के साथ ही बैठूँगा …. आज उसे चोट लगी हैँ पैर में… उसका ख्याल भी तो रखना हैँ…. राजू बड़ी मासूमियत से बोला…. आज वो अपनी हट पर था कि बैठेगा तो निम्मी के साथ ही…..

निम्मी राजू को घूरकर देखती हैँ….

तभी बाहर प्रार्थना का घंटा बजता हैँ…. सभी लोग दौड़ते हुए बाहर मैदान में कतार में खड़े होते हैँ…. राजू अभी भी क्लास में हैँ… उसने सभी के ज़ाते ही निम्मी की सहेली का थैला पीछे रख दिया … खुद का थैला निम्मी के थैले से सटाकर रख दिया….

राजू महाराजा की तरह सीना चौड़ा करते हुए बाहर आया… उसे लग रहा था कि उसने फतेह हासिल कर ली हो….

बाहर सभी ने प्रार्थना की….. वह शक्ति हमें दो दयानिधि …..

प्रार्थना खत्म होते ही सभी लोग क्लास में आकर बैठ गए… निम्मी पास में राजू को देख गुस्सा हुई… राजू शरारत भरी नजरों से निम्मी को देख कंधे उचकाकर हंसने लगा…. निम्मी कुछ कहती उस से पहले ही  मास्साब का हाथ में डंडा लिए कक्षा में  प्रवेश हुआ….

मास्साब को देख सभी बच्चे उठकर सुप्रभात बोले… मास्साब ने भी अभिवादन स्वीकार कर सभी को बैठने का इशारा किया ….

सर जी बच्चों की उपस्थिति चढ़ाते,,,,उससे पहले ही उनकी निगाह राजू पर गयी….

हां तो फिर आ गया तू ईद का चाँद….. कितने दिन आयेगा…. नाम चढ़ाऊँ य़ा नहीं य़ा अभी भी बकरियां ही चरानी हैँ…

बोल रे राजू…..

राजू खड़ा हुआ… मास्साब बस मारना ना … अब मैं बड़ा हो गया हूँ… शर्म आती हैँ मार खाने में…. अगर ना मारेंगे तो रोज आऊंगा….

चल ठीक …. ना मारूँगा … अब तो वैसे ही ऊपर से ही ओर्डर हैँ बच्चों को ना मारने का…. तभी तो ये आशीष और उसकी टोली मुझ पर भी चढ़ बैठते हैँ….गुंडे बने घूमते हैँ… अभी आयेंगे सब नवाबों की तरह दस बजे… पूछो लेट क्यूँ हुए तो कहेंगे आ तो गए ये काफी ना हैँ का …. ये बता तू जब गया था तब दूसरे दरजे में था… बैठ गया हैँ तू छठवीं में…. तुझे तो कुछ आता भी ना होगा राजू…. तू तीसरी कक्षा में जाकर बैठ…. सर जी राजू से बोले….

निम्मी यह सुन मुंह दबाकर हंसने लगी….

राजू बोला…. ना मास्साब … मैं भले ही पढ़ने ना आया… पर बाबा ने जोड़, घटाना , गुणा , भाग , हिन्दी की किताब थोड़ी थोड़ी पढ़नी सीखा दी हैँ…. आप पूछ लो… पर मैं पढूँगा निम्मी के साथ ही….

क्यूँ निम्मी क्या लगती हैँ तेरी जो उसके साथ ही पढ़ेगा … पता है रोज आती हैँ वो स्कूल…. सबसे होशियार लड़की हैँ पूरे स्कूल की… और तू ये निम्मी के बगल में क्यूँ बैठ गया हैँ… जा पीछे जाकर बैठ….

मास्साब… मैं भी होशियार हो जाऊंगा… पर पढूँगा इसी दर्जे में…. आगे ही बैठूँगा … आपका पढ़ाया समझ तो भी आयेगा….

बैठ जा आगे… पर अगर किसी छोरी के घर से शिकायत आयी तो तुझे पीछे जाना होगा….

ठीक हैँ मास्साब…. पर निम्मी को  भी मेरे साथ पीछे ही बैठाना ….

मास्साब समझ रहे थे कि ये क्षणभंगुर आकर्षण हैं इस उमर का और कुछ नहीं…. उन्होने कुछ ना बोला…. श्यामपट पर खड़िया से पढ़ाना शुरू कर दिया सर जी ने….

सभी बच्चे अभी भी राजू और निम्मी को देखकर हंस रहे थे….

निम्मी बहुत ही शर्म महसूस कर रही थी….

तभी कोई आदमी कक्षा में आया…..

मास्साब सुनो ….. ज़रा राजू को भेज दो घर ……

क्यूँ आज तो सालों में दर्शन हुए हैँ इसके….. पढ़ाना शुरू भी ना किया बुलाने आ गए तुम …. सब कुशल मंगल तो हैँ राजू के घर पर ??

वो मास्साब……. राजू का  बापू बेलदारी करने शहर निकल गया हैँ…. इसकी अम्मा को लड़की हो गयी हैँ उसके ज़ाते ही……. तो इसके  बाबा ने बोली कि बुला ला … मास्साब इसकी अम्मा को…..

क्या हुआ मेरी अम्मा को…. राजू घबरा गया… बिना मास्साब से पूछे वो दौड़ता हुआ सायकिल ले घर की ओर भागा …

सर जी… मैं भी जाऊँ क्या … पता नहीं ताई को क्या हुआ हैँ…. मन घबरा रहा हैँ…. राजू बहुत प्यार करता हैँ अपनी अम्मा से… घबराता हुआ गया हैँ…… चोट ना लग जायें उसे… निम्मी सर जी से बोली….

ठीक हैँ चली जा निम्मी तू भी …. शाम को मैं भी आता हूँ….

निम्मी राजू और अपना थैला उठाकर सरपट दौड़ चली….

आगे की कहानी पढ़ने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें

एक प्यार ऐसा भी …(भाग -3)

एक प्यार ऐसा भी …(भाग -3) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

एक प्यार ऐसा भी …(भाग -1)

एक प्यार ऐसा भी …(भाग -1) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!