एक प्यार ऐसा भी …(भाग -3) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : – राजू दौड़ता हुआ अपने घर आ गया हैँ… उसके पीछे पीछे निम्मी भी राजू और अपना पढ़ने वाला  थैला लिए जल्दी जल्दी तेज कदमों से आगे बढ़ती जा रही हैँ… राजू के माँ के बेटी हुई हैँ….उसका बापू बाहर बेलदारी करने गया हैँ… गांव का आदमी बताता हैँ कि राजू की अम्मा को….

अब आगे…

राजू घर के आंगन में सायकिल फेंक अन्दर की तरफ भागता हैँ… अंदर पहले से ही कई औरतें मौजूद हैँ…. वो भीड़ में से जगह बनाते हुए माँ के पास गया… जिसके बगल में छोटी सी उसकी बहन सोयी हुई थी…. राजू ने अपनी चाची से पूछा. ..

चाची मेरी अम्मा ठीक तो हैँ??

लला… खून ज्यादा बह गया हैँ तेरी अम्मा का… इसे अस्पताल ले जाना पड़ेगा तुरंत…. नहीं तो बचेगी ना तेरी अम्मा……

तेरे बापू से कितनी बार कहा कि फ़ोन लेकर जाया कर ….. पर आजतक उसने फ़ोन ना लिया… उसे कैसे खबर करें ….. बता राजू…. बगल में रहने वाले रिश्ते में दूर के ताऊ के बेटे लगते विक्रम भईया बोले….

मेरी अम्मा को कुछ नहीं हो सकता भईया …… अभी तक लेकर क्यूँ ना गए आप लोग अम्मा को…. राजू सभी की तरफ कातर निगाह डालते हुए बोला…..

लला…. पैसा चाहिए भर्ती कराने को तेरी अम्मा को….. तेरा बापू वैसे ही पी लेता हैँ…. बाद में पैसा देने से मुकर गया तो अगर अभी हम दे भी दिये तब का करेंगे हम……. इसलिये ही रुक गए…. शराबी आदमी को कोई पैसा ना देना चाहे….

तो मेरा भरोसा कर लो ताऊ चाचा……. मैं कुछ भी करूँ मैं दे दूँगा सबका पैसा….राजू गिड़गिड़ाता हुआ बोला…

जब सबने मुंह फेर लिया तो राजू  सीधा बाहर आया…

खाट पर सर पर हाथ रखकर बैठे अपने बाबा से बोला….

बाबा पैसा लाओ… अम्मा को भर्ती कराना हैँ…….

लला…. मुझ पर …. 2000 रूपये हैँ… जे लै ले…. और कहां से लाऊँ…. अपनी अम्मा को बचा ले राजू…. बाबा की आँखों में ही आंसू आ गए थे….

तभी निम्मी भी घबराती हुई राजू के पास आयी….

क्या हुआ राजू…. तेरी अम्मा सही तो हैँ??

ना निम्मी मेरी अम्मा को खून कम पड़ गया हैँ…. पैसा ना हैँ इतना… बापू भी ना आयें अभी …मेरी अम्मा बच तो जायेगी निम्मी ….राजू बोलते हुए सिसक रहा था….

कुछ ना होगा तेरी अम्मा को….रुक राजू… मैं दो मिनट में आयी… निम्मी सरपट अपने घर की ओर भागी… हांफती हुई थैले में कुछ छुपाती हुई लायी….

ले राजू पैसे….. निम्मी ने पता नहीं कितने हजारों रूपये राजू के हाथों में थमा दिये …..

तू कहां से लायी ?? चोरी करके लायी क्या घर से ?? बोल निम्मी ….

तुझे क्या मतलब… तू बस अम्मा का ईलाज करा … सब बाद में बताऊंगी…..

राजू प्यार भरी निगाह निम्मी पर डालते  हुए अम्मा के पास गया……

सभी के सहारे से उसे उठाया….. चाचा के रिक्शे में अम्मा को बैठाया…..

चाची … मेरी बहन का ख्याल रखना….मैं अम्मा को अभी सही करा के लाया….

जा रे तू राजू…. तेरी छोटी लली  को हम देख लेंगे… चाची ने हाथ हिलाते हुए कहा ….

राजू मैं भी चलूँ लला …. राजू के बाबा बोले..

ना बाबा…. तुम घर पर रहो… बकरियां चरा आना…. और पानी पिला देना उन्हे …..

निम्मी राजू को रोता देख जोर जोर से रो रही थी…. राजू ने निम्मी की तरफ देखा तो निम्मी बोली…

तेरी अम्मा को कुछ नहीं होगा राजू…. वो ठीक हो जायेगी…. तू रो मत …..

सभी के कहने पर राजू पहले सरकारी अस्पताल ले गया माँ को…. वहां से जवाब दे दिया गया….

जल्दी से बिना देर किये वो शहर की ओर अम्मा को टैंपो में लेकर भागा….

शहर के बड़े अस्पताल में डॉक्टर ने हजारों रूपये ज़मा करवाये….

तुम गांव के गंवार लोग पहले तो खुद को डॉक्टर समझ औरत की खुद ही डिलीवरी कर देते हो… फिर जब औरत मरने वाली होती तो लेकर भागते हो अस्पतालों में….

तो क्या मेरी अम्मा सही नहीं होगी…. डॉक्टर साहब मेरा सारा खून अम्मा को चढ़ा दो ….पर  मेरी अम्मा को बचा लो…. राजू ने  डॉक्टर के पैर पकड़ लिए…

हम अभी कुछ नहीं कह सकते बेटा…. देखते हैँ… काफी खून बह गया हैँ तुम्हारी माँ का….. खून कौन देगा तुम लोगों की तरफ से…

तभी राजू का बापू भी सर पर साफी बांधे आया…. साहब मेरी मेहरारू को बचा लो…. मैं दूँगा खून ….

राजू बापू के सीने से लग गया….

तेरी अम्मा को कुछ नहीं होगा ….. दोनों बाप बेटे एक दूसरे को समझा रहे थे…..

बापू को अंदर कमरें में ज़रूरी जांचों के लिए ले जाया गया….

राजू की माँ को खून चढ़ना शुरू हुआ…. राजू बस हाथ जोड़े माँ के कमरें के बाहर ही खड़ा रहा…. वो कांप रहा था…. अपनी माँ की एक एक बात को याद कर रहा था….. कैसे सुबह सुबह आज उसकी अम्मा ने उसे काला टीका लगाकर खाने का  डब्बा देकर स्कूल पढ़ने भेजा था… बिल्कुल राजा बाबू बनाके रखती थी उसकी अम्मा उसे….. बहन मांगी थी अम्मा से… बहन तो दे दी…. पर अम्मा तुम्हारे बिना मैं कैसे बहन को संभालूँगा…

मन ही मन सोच सोचकर सिसक रहा था…..

राजू का बापू भी बेंच पर बैठा सिकुड़ा जा रहा था….

ए रे पप्पू,,,,राजू… तुम दोनों कुछ खा लो…. सबेरे से तू स्कूल से कुछ खाके ना आया…. पप्पू तू भी तो घबराता हुआ दौड़ा चला आया हैँ…. साथ में आयें ताऊ जी बोले….

ना ताऊ ना ना …. मुझपे ना खबेगा कुछ…. राजू की अम्मा सही तो हो जायेगी….?? पप्पू आँखों में आंसू भरे आशावादी नजरों से  ताऊ की तरफ देखते हुए बोला….

हां… सही हो जायेगी बऊ … तुम लोगीं से ज्यादा दुआ तो उस नैक सी दूधमुंही बच्ची की लगेगी बऊ  को जो अपनी अम्मा के दूध को तरस  रही….. भगवान ऐसा पत्थर दिल ना हैँ रे लला… हैं जायेगी सही…. सबर रख ….

तभी डॉक्टर साहब और नर्स बाहर आयें…. राजू तो गेट से ही लगा हुआ था… झट से दरवाजा खुलते ही गिर गया राजू…..

तुरंत उठ डॉक्टर से बोला…. डॉक्टर साहब मेरी अम्मा ठीक हैँ अब?? डबडबायी आँखों से डॉक्टर साहब को भगवान समझ राजू पूछता हैँ….

बेटा….. आपकी माँ  का काफी खून बह गया था…. आप लोगों ने लाने में थोड़ी देर कर दी…..

आगे की कहानी पढ़ने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें

एक प्यार ऐसा भी …(भाग -4)

एक प्यार ऐसा भी …(भाग -4) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

एक प्यार ऐसा भी …(भाग -2)

एक प्यार ऐसा भी …(भाग -2) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!