राधा की विधवा जेठानी ममता जी ने अपनी देवरानी से सुबह होते ही कहा “राधा तू बच्चों का नाश्ता बना इतने मैं इन्हे तैयार कर देती हूं फिर तू रमन का लंच लगा दियो मैं इन्हे बस तक छोड़ आऊंगी!”
” नहीं नहीं दीदी मैं कर लूंगी आप बैठिए मैं बस अभी आपकी चाय बनाती हूं!” राधा बोली।
” अरे राधा बन जाएगी चाय मुझे कौन सा कहीं जाना है तू पहले इन सब कामों से फ़्री हो तब तक मैं इन शैतानों को रेडी करती हूं!” ममता जी हंसते हुए बोली।
असल में राधा के परिवार में राधा के पति , सास – ससुर, भैया भाभी और दो बच्चे छः साल का काव्य और तीन साल की आव्या थे। भैया यानि उसके जेठ जी पिछले महीने कैंसर की वजह से स्वर्ग सिधार गए जबसे राधा शादी होकर आई उसकी सास ने उसे बेटी की तरह रखा घर के कामों में सहयोग दिया यूं तो राधा की जेठानी ममता जी भी बहुत प्यार करती थी उसे पर उसने कभी अपने जेठानी को खुद से कोई काम करते नहीं देखा।
” लाओ राधा बच्चो का दूध दो !” ममता जी बच्चों को तैयार करके बोली ।
बच्चों का दूध और टिफिन दे राधा रमन का खाना पैक करने लगी साथ साथ उसका नाश्ता भी तैयार कर रही थी और एक गैस पर चाय चढ़ा दी उसने।
” लो रमन तुम्हारा नाश्ता दीदी आपकी चाय… आप नाश्ता तो अभी देर से करोगी ना !” राधा बोली।
” दे ही दो राधा तुम्हारा भी काम निमटे वरना दुबारा रसोई चढ़ानी पड़ेगी!” ममता जी बोले।
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ममता जी रोज राधा की ऐसे ही मदद करने लगी राधा को कभी कभी बुरा भी लगता और वो मना करती पर वो प्यार से उसे कहती कोई बात नहीं राधा ।
“सुनो आप दीदी से बात करो ना कोई बात है जो उन्हें परेशान कर रही!” एक रात राधा रमन से बोली।
” क्यों कुछ हुआ क्या भाभी ने कुछ कहा तुम्हे!” रमन बोला।
” नहीं पर जो इंसान एक ग्लास पानी भी नहीं लेता था खुद से वो मेरे साथ इतने काम कराए कुछ तो गड़बड़ है!” राधा बोली।
“अरे तुम्हे कोई परेशानी हो तो तुम खुद पूछ लो ना !” रमन बात टालता हुआ बोला।
रमन तो सो गया पर राधा को नींद नहीं आ रही थी वो उठ कर बाहर आई तो देखा ममता जी के कमरे की लाईट जल रही है।
“दीदी आप सोए नहीं अब तक तबियत तो ठीक है आपकी!” राधा कमरे का दरवाजा खटखटा कर बोली।
” अरे राधा अंदर आ जाओ … क्या बात है तुम इस वक़्त जाग रही हो आओ बैठो!” ममता जी बोली।
” मुझे नींद सी नहीं आ रही थी तो सोचा थोड़ा टहल लूं पर तुम आप क्यों जगी हैं ” राधा बोली।
” बस ऐसे ही राधा मुझे भी नींद नहीं आ रही थी!” ममता जी बोली।
” भाभी आपसे एक बात पूछनी थी!” राधा हिचकते हुए बोली।
” हां राधा बोलो संकोच क्यों कर रही हो!” ममता जी बोली ।
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“दीदी मुझसे कोई गलती हुई है क्या आप मुझसे नाराज़ हैं या मेरी कोई बात बुरी लगी आपको ?” राधा बोली
” नहीं तो राधा पर क्यों पूछ रही तुम ऐसा!” ममता जी हैरानी से बोली ।
” दीदी इतने दिन से देख रही हूं आप मेरी हर काम में मदद करती हैं जबकि भैया जब थे आप एक ग्लास पानी भी नहीं लेकर पीती थे!” राधा सिर नीचा कर बोली।
” हाहाहा तो तुम्हे लगा मैं तुमसे नाराज़ हूं… देखो राधा जब तक तुम्हारे भैया थे घर मे कमाई दुगनी थी नौकर चाकर थे अब जब नौकर चाकर नहीं है तो मुझे दोहरी जिम्मेदारी निभानी है मेरे लिए जैसे रमन वैसे तुम। और फिर मेरा तुम सब के अलावा है ही कौन।
,” दीदी !” राधा आंखों में आंसू भर केवल इतना बोली।
” हां राधा अब घर की थोड़ी जिम्मेदारी मुझे उठानी चाहिए न तुम्हे सुबह इतने काम होते रमन भी मदद नहीं कर पाता है तो मेरा फर्ज है कि मैं अपनी बहन जैसी देवरानी की थोड़ी मदद कर उसकी कुछ परेशानी तो हल कर सकूं, समझी बुद्धू मैं नाराज़ नहीं हूं तुमसे!” ममता जी प्यार से राधा का सिर पर हाथ फेरते हुये बोली।
राधा अपनी जेठानी के गले लग गई वो मन ही मन सोच रही थी जेठानीऐसी भी होती है? आज उसे अपनी जेठानी में अपनी बड़ी बहन नजर आ रही थी।
कैसी लगी आपको ये कहानी बताइएगा जरूर
आपकी दोस्त
संगीता