दूसरा मौक़ा – रश्मि प्रकाश   Moral stories in hindi

 वह बत्तीस वर्ष की एक जिंदादिल महिला थी .. पति तो शादी के एक साल बाद ही गुजर गए। ससुराल वालों ने भी मुंह मोड़ लिया था। मायके में माता पिता का साथ मिल रहा था पर कहते हैं ना जब पति ना हो तो बहुत कुछ बदल जाता है .. उसकी जिन्दगी में भी बहुत बदलाव आ गए थे। जिन्दगी के सारे उतार चढ़ाव देखने के बाद उसका नजरिया भी समाज और लोगों के प्रति बदल चुका था।

कौन उसके बारे में क्या कहता है , सोचता है उसको अब फर्क ही नहीं पड़ता था।अब तो वो अपने बारे में सोचती भी है और  खुश रहने की भी पूरी कोशिश करती है।

हम बात कर रहे हैं रम्या की जिसने सुख से ज़्यादा दुख देखे पर कभी इसे ज़ाहिर नहीं होने दिया क्या उसकी ज़िंदगी में सुख लिखा ही नहीं था..?

रम्या की जिन्दगी इतनी आसान नहीं थी बहुत कुछ गुजरा था उसके उपर तब जाकर वो एक जिंदादिल महिला बनी।

 जब शादी हुई तो रम्या चौबीस वर्ष की रही होगी.. सुन्दर रम्या के लिए शादी के लिए रिश्ते भी खूब आ रहे थे पर उसे तो सजीला किशोर भा गया था… पर कहते हैं ना शादी तो भगवान की मर्जी से होती हैं जहाँ लिखा होगा वहाँ ही होगा। 

बस यही रम्या की किस्मत में लिखा था .. उसकी शादी माँ बाप ने अच्छी नौकरी देख सुरेश से तय कर दी.. यूँ तो किशोर भी नौकरी कर रहा था पर सुरेश उससे उँचे पद पर कार्यरत था।

ऐसे में रम्या सुरेश की अर्धांगिनी बन कर उसके घर आ गई।

धीरे धीरे प्यार के पलों में सराबोर हो महीने बीतने लगे।एक दिन बहुत बारिश हो रही थी सुरेश अपनी बाइक से घर आ रहा था सड़क के बीचों बीच गड्ढा दिखाई नहीं दिया बाइक के साथ वो भी गिरा हेलमेट दूर छिटक गया …सिर पर जो चोट लगी उसके बाद सुरेश फिर कभी आँखे ही नहीं खोल पाया।

देखते देखते रम्या की खुशियों को किसी की नजर लग गई।

सच ही कहते हैं लोग ज़िन्दगी सुख कम दुख ज़्यादा देती है वही रम्या की ज़िन्दगी में भी दिखने लगा।

ससुराल वालों ने रम्या से कन्नी काट लिया था.. बस फिर से वो ससुराल की देहरी लांघ कर मायके की देहरी में आ गई।

अब समस्या थी जिन्दगी गुजारने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा ये सोच कर वो अपने आस पास के दोस्तों से पता करके एक अस्पताल में रिसेप्शनिस्ट का काम करने लगी जहाँ उसकी एक सहेली तनवी भी काम करती थी। 

वक्त गुजरने लगा और जिन्दगी भी सरल हो गई थी पर समाज के ताने बाने में वो बहुत परेशान रहने लगी थी ऐसे में एक दिन माँ ने कहा,‘‘ देख रम्या सुरेश के जाने के बाद तेरी ज़िन्दगी दुख से भर गई थी ….पर अब तेरी जिन्दगी में बहुत कुछ बदला है तू नौकरी करने लगी है.. लोग तो बातें बनाएंगे ही …बेटा पति के ना रहने से ऐसे भी हमारे समाज के लोगों की मानसिकता लड़की के लिए बदल जाती है .. तू चाहे तो दूसरा ब्याह कर लें …कह तो मैं तेरे पापा से बात करूं …तभी सबकी सोच बदल पाएगी नहीं तो फिर खुद को उन बातों से दूर करने की कोशिश कर और अपना काम कर मस्त रह… तू जो चाहे फैसला कर हम तेरे साथ है।”

‘‘ माँ ब्याह का तो अब मैं सोचती भी नहीं हूँ…. वैसे भी विधवा से ब्याह कौन करेगा फिर सुरेश की यादें ही मेरे लिए बहुत है उसके साथ जितने दिन रही सुख के दिन थे माना कम समय का साथ और सुख लिखा था पर उसने मुझे बहुत प्यार दिया .. वो हमेशा कहता खुश रहा करो जो मन करे वो करो बस आज से मैं वही करूँगी जिसमें मुझे खुशी मिले.. समाज की बात पर गौर कर के खुद को तकलीफ़ नहीं दूंगी।”

उस दिन के बाद से रम्या बस अपने आप में मस्त रहने लगी.. सबसे हँसती बतियाती कौन क्या कह रहा है इस बात पर गौर करना उसने बंद कर दिया ।

सौ लोग सौ बातें करते थे पर रम्या तो बस काम और घर में खुद को व्यस्त रखती और फालतू बातों से कोसों दूर रहती।

एक दिन तनवी ने रम्या से कहा,‘‘ सुन रम्या कोई है जो तेरे बारे में सारी जानकारी रखता है.. वो कई बार बीच बीच में आकर तुम्हें देखता रहता है.. मैं उसे जानती तो नही पर किसी ने बताया वो भी इसी अस्पताल में तीसरे तले पर काम करता है। मुझे पहले तो लगा काम से आता होगा पर जब हम दोनों की ड्यूटी का वक्त अलग अलग होता तो मैंने उसे किसी से तेरे बारे में पूछते हुए सुना था उसकी पीठ मेरी तरफ थी इसलिए चेहरा नहीं देख पाई। पर वो कमल जरूर उसे जानता होगा जिससे वो तेरे बारे में पूछ रहा था।चल कमल से पूछते हैं क्या पता तू उसे जानती हो पर वो तेरे सामने नहीं आना चाहता हो।”

दोनों कमल से पास जाकर उस आदमी के बारे में पूछताछ करने लगी .. कमल ने  जो नाम बताया उसे सुन कर रम्या चौंक गई। 

इतने सालों बाद वो यहाँ इस जगह… ! 

खैर हिम्मत कर के वो उस व्यक्ति से मिलने पहुंची।

अपने सामने रम्या को देख एकबारगी वो भी चौंक गया!!!

‘‘ तुम यहां कैसे और कब से हो? मेरे बारे में पता करते रहते हो,फिर मुझसे मिलने क्यों नही आए? “रम्या ने सीधे सवाल दाग दिया 

‘‘ वोऽऽ वोऽऽ जब मैं पहली बार तुमको यहाँ देखा तो यकीन ही नहीं हुआ तुम हो? बस इसलिए आकर तुम्हारे बारे में पता करता रहता था पर किसी ने कभी भी सही से कुछ नहीं बताया.. ये बताओ शादी के बाद तो तुम ससुराल चली गईं थीं बच्चे वचचे कितने है? मैं तो इस शहर में कुछ महीनों पहले ही आया हूँ जहां नौकरी करता था वहाँ मेरा मन ही नही लगा।’’ किशोर ने कहा

‘‘ ओहह,तुमने भी तो शादी कर ली होगी ? बीवी बच्चे कहाँ है? ’’ इतना पूछ कर रम्या अपने पति के हादसे के बाद की सारी बातें किशोर को बता दी

‘‘ मैंने शादी ही नहीं की… कोई पसंद ही नहीं आई फिर.. माँ पापा सब नाराज हुए बैठे हैं कह रहे हैं पैंतीस वर्ष का होने वाला अब कब ब्याह करेगा.. !’’हँसते हुए किशोर ने कहा

‘‘ अच्छा कौन थी जो तुम्हें पसंद आ गई थी?’’रम्या उसकी आँखो में आँखे डाल पूछ बैठी

‘‘ वहीं जिसे मैं पसंद आ गया था!’’ किशोर ने भी रम्या की आँखों में आँखे डाल बोल बैठा

मतलब मेरी पक्की सहेली ने ही मुझे उल्लू बनाया उसे तनवी पर गुस्सा आने लगा क्योंकि ये बात उसने बस  तनवी से ही कही थी कि उसे किशोर पसंद है!!

‘‘ आज तो तनवी की खैर नहीं… ’’मन ही मन भुनभुनाती हुई रम्या बोली

‘‘ रम्या क्या तुम अब मुझसे शादी करोगी?’’ किशोर ने बिना वक्त गंवाए पूछ लिया

‘‘ इस उम्र में ब्याह!! तुम क्या बोल रहे हो किशोर?? सब क्या सोचेंगे? रम्या घबराते हुए बोली

‘‘ रम्या तुम कब से इन बातों को सोचने लगी वो तो पहले भी जिंदादिल थी आज भी जिंदादिल है.. मानता हूँ सुरेश के साथ का वक्त तुम्हारी जिन्दगी का महत्वपूर्ण पल होगा पर उसके जाने के बाद तुमने कितनी मुश्किलें सही …सबके ताने सुन कर फिर से खुद को इस लायक बनाया कि जिंदादिली से जी सको …तो दूसरों की परवाह क्यों कर रही हो? एक बार मेरा हाथ थाम कर तो देखो सच कहता हूँ जिन्दगी भर खुश रखूँगा ,मेरे घर में सब जानते है कि मैं बस तुमसे ही शादी करना चाहता था….तनवी मुझे हर बात बताया करती थी इसलिए ही तो मैं यहां आया हूँ ।”

’’मतलब तुम्हें सब बातें पता थी फिर भी अनजान बनकर पूछ रहे थे… ।” रम्या गुस्सा करते हुए बोली

 ‘‘ सच सच बताओ ….करोगी मुझसे शादी? पसंद तो मैं तुमको पहले भी था …अब हूँ और नहीं ये बताओ?’’ किशोर ने पूछा

कुछ देर सोच कर रम्या ने कहा,‘‘ किशोर अगर तुम्हारे घर वालों को आपत्ति नही है तो मैं तुमसे शादी करने को तैयार हूँ… वैसे भी जिन्दगी में खुशियां सामने से चलकर आए तो उसे मना करना समझदारी नहीं बेवकूफी होगी … क्यों सही कह रही हूँ ना!’’ रम्या ने कहा

किशोर भावातिरेक में रम्या का हाथ पकड़ कर हौले से दबा कर हाँ में सिर हिला दिया।

 आज रम्या किशोर के साथ खुश हैं एक बच्चे की माँ भी बन गई है।

दोस्तों कहानी चाहे काल्पनिक हो या सच्ची अगर ऐसा किसी की ज़िन्दगी में सुख के पल आए तो उसे क्या करना चाहिए आप बताएँ क्योंकि हम सभी जानते हैं ना ज़िन्दगी का कोई भरोसा है ना सुख का ना दुख का कब किसके पाले में क्या आ जाए इसलिए अगर ज़िन्दगी उस दुख से उबार कर फिर से ख़ुशी और सुख देने का मौका दे तो उसे क्या करना चाहिए?

आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।

धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

#वाक्यकहानीप्रतियोगिता 

# ज़िन्दगी सुख कम दुख ज़्यादा देती है

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