ज़िन्दगी,सुख, दुख के जोड़ घटाव का नाम – माधुरी गुप्ता : Moral stories in hindi

हम सबकी जिंदगी आशा, निराशा,दुख,सुख के पालने में ही बीतताी रहती है। हरेक की लाइफ में दुख,सुख,बारी बारी से आते जाते रहते हैं ।यह तो हमारी सोच पर निर्भर करता है कि हम इन दोनों परस्थितियों में अपने को कितना बैलेंस करते हैं। बहुधा देखनेमें आता है कि सुखके दिनों को जल्दी भूल जाते है,और दुख के समय को अपने उपर अधिक समय तक लपेटे रहते हैं,इससे सुख का मजा भी किरकिरा होजाताहै।

इसीलिए ज्ञानी लोगों का कहना है कि न सुख आने पर अधिक उछलना चाहिए ,और न दुखआने पर मन को मलिन करना चाहिए,इस बावत रहीम कवि ने बहुत अच्छी लाइनें कहीं है

रहिमन चुप है बैठिए,देख दिनन को फेर,

जब नीके दिन आंऐगे,बनत न लागे देर।

अर्थात अच्छे दिन का इंतजार चुपचाप करना चाहिए,हरेक की लाइफ में अच्छे ,बुरे दिन बारी बारी से आते ही रहते है।

रेखा की जिंदगी इसका जीता जागता उदाहरण है।रेखा तीस साल की हो चुकी थी ,लेकिन उसका रिश्ता कहीं पक्का हो हीनही पा रहा था। रेखा की मां उसकी शादी की चिंता में रात दिन परेशान रहती,कि बिन बाप की बेटी को पता नही कोई अच्छा घर-परिवार मिलेगा कि नही।

एक दिन रेखाकी मां के मुंह बोले भाई आए उसकी मां को परेशान देखकर कारण पूछा तो रेखा की मां ने

बताया कि भैया क्या बताऊं रेखा की उम्र बढ़ती जा रही है ,लेकिन अभी तक कोई रिश्ता नहीं मिल पाया।बस इसी चिंता में हूं।जो एक दो रिश्ते हाथ में आते हैं उनकी दहेज की मांग इतनी ज्यादा होती है कि मेरी हिम्मत जबाव देने लगती है।

समझ नहीं आता कि क्या करूं। रेखा के मामा ने ढांढस बंधाया कि आप चिन्ता मत करो मेरी पहचान में एक परिवार है जो दान दहेज के खिलाफ हैं उनका बेटा वेस्ट मैनेजमेंट में इजीनियर है वे लोग भी अपने बेटे के लिए सूटेविल मैच देख रहे हैं,हो सकता है बातचीत करने पर वहां बात वन जाय फिर अपनी रेखा भी कहां किसी से कम है।कद काठी एकदम से फिट है। ऊपर से जॉव भी कर रही है।

धैर्य रखो, भगवान ने चाहा तो यहां रेखा का रिश्ता जरूर से पक्का हो जायगा।मैउन लोगों से मिल कर आगे की बात करता हूं।

मामा नेमीचंद ने लड़के वालों से बातचीत की रेखा के बारे में बताया, तो अजय व उसकी मां ने रेखा के घरवालों से मिलने की इच्छा जाहिर की। निश्चित दिन व समय पर दोनों परिवारों ने एक-दूसरे से मिलकर बातचीत की,अजयव उसकी मां ने यह स्पष्ट कर दिया कि वे लोग किसी तरह के दहेज के पपक्ष में नहीं है और सिम्पल तरीके से शादी चाहते हैं।

रेखा व उसकी मां इस रिश्ते से बहुत खुश थे,अजय व उसकी मां ने चट मंगनी पट ब्याह करने को कहा।अगले पन्द्रह दिनों बाद की तारीख तय हो गई शादी के लिए।

इस बीच अजय व रेखा अपने अपने ऑफिस से लौटने के बाद एक-दूसरे के साथ कॉफी पीने चले जाते और आगामी भविष्य की सुनहरी योजनाओं पर चर्चा करते।

एक दिन रेखा ऑफिस से लौटी तो देखाकि उसकी मां ढेह सारी साड़ियां खरीद कर लौटी थी।रेखा ने देखा तो मां से कहा मां जबउन लोगों की कोई डिमांड नही तो आप क्यों इतना खर्चा कर रही हो।

अरे बेटा,माना कोई डिमांड नही है तो क्या एकदम खाली हाथ थोडे ही बेटी को बिदा किया जाता है, शगुन का कुछ-न-कुछ देना तो बनता ह है।

उसी समय रेखाके फोन पर अजय का वीडियो कॉल आया,रेखा मैंने अपनी शेरवानी फाइनल करलीहै,फोटो भेज रहा हूं ताकि तुम भी अपने लिए इसी रंग का लहंगा ले सको। रेखा का मूड अजय का फोन आने से एकदम खुश हो गया।

शादी का दिन नजदीक आरहा था।रेखा ने एक सप्ताह की छुट्टी लेली थीअपने ऑफिस से,सब कुछ एकदम वढिया चल रहा था कि रेखा के मामा जी एकदिन आए और कहने लगे कि उन लोगों ने कहा है कि लड़की को कार में बिदा करदें।

रेखा की मां तो कार की बात सुनते ही बेहोश हो गई,और रेखा ने भी तुरंत अजय को फोन लगाया ,और कहा कि ये कैसा बेहूदा मजाक है,एक तरफ तो आप लोग दहेज नहीं लेना पसंद कर रहे थे ,और अबये एकदम से कार की डिमांड।कार कोई खिलौना थोड़े ही है जो जाकर मार्केट से तुरंत खरीद लो।हम लोग इतनी भारी रकम कहां से जुटाऐंगे।

मुझे ऐसे दोगले चरित्र के लोगों से शादी करने में कोई दिलचस्पी नहीं है।अब ये रिश्ता टूटा ही समझो।

हलो,रेखा ये सब तुम क्या कह रही हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा,हमारे यहां से किसी कार की फरमाइश नही की गई है, तुम लोगों को जरूर कोई गलतफहमी हुई है शादी होने से पहले ही तुम रिश्ता तोड़ने की बातें कर रही हो, तो ऐसे में आगे निभाव कैसे होगा।

जब शादी ही नहीं हो रही तो निभाने की बात ही नही उठती,यह कह कर रेखा ने अजय की बात सुने बिना ही फोन बंद कर दिया।

इस अचानक हुई घटना से रेखा का दिल टूट गया था। अतः उसने अपना ट्रांसफर दूसरे शहर में करबा लिया , जिससे भूले से भी कभी अजय नामक शख्स से मुलाकात न हो।इस शहर में आए हुए रेखा को दो महीने हो चले थे,वह पिछली घटनाओं को भूलने की कोशिश करती फिर भी कभी कभी दिल में टीस सी उठ ही जाती।

एक दिन ऑफिस से आने पर देखा कि सोसायटी के सारे लोग नीचे जमा है,उसने वॉचमैन को बुला कर पूछा कि क्या कोई घटना घट गईं है जो सारे लोग यहां जमा हैं।

वॉचमैन नेबताया कि मैडमजी कोई घटना नहीं घटी है,पास के शहर से कोई अजय नामके वेस्ट मैनेजमेंट इंजीनियर आए हैं,हमारी सोसायटी के लोगों को सूखा कचरा,व गीलाकचरा कैसे अलग अलग डिब्बों में डालना है,जिससे उस कचरे को रीसाइक्लिंग करके यूज किया जा सके।

अजय नाम सुनते ही रेखा के मुंह का स्वाद खराब हो गया,लगा जैसे किसी ने कुनैन खिला दी हो।फिर अगले ही पल अपने बिचारों को झटका दिया,इतनी बड़ी दुनिया में क्या एक ही अजय थोड़े ही है जो मैं परेशान हो रही हूं।

एक कुर्सी लेकर सबसे पीछे बैठ गई,सुनना तो जरूर है कि ये शख्स बता क्या रहा है बैसे भी इस सोसायटी के लोग पढ़ें लिखे होने के बावजूद भी कचरे के बारे में बहुत ही लापरवाही बरतते हैं कही भी कुछ भी कचरा फेंक देते है, इसीलिए रेखा ने ही इस सोसायटी में आने के बाद सोसाइटी के प्रेसीडेंट से इस बाबत बात की थी।यह अजय बस उसी सिलसिले में यहां आया है।

लेकिन जब अजय ने बोलना शुरू किया तो रेखा का विश्वास एकदम पक्का हो गया कि अरे,ये तो वही अजय है जिसने उसका दिल तोड़ा था।

थोड़ी सी देर अजय की बातें सुनने के बाद रेखा अपने फ्लैट में आगई, क्योंकि उसका सिर दर्द करने लगा था।शायद इसका कारण अतीत की कडबी यादों का हाबी होना हो।

तीन दिन तक अजय सोसायटी के लोगों को गीले कचरे व सूखे कचरे को कैसे अलग अलग फेंकना है,यह समझाता रहा।चौथे दिन सन्डे था, सोसायटी के लोगों ने रेखा को कहा कि आज आप अजय के साथ मिलकर सोसायटी के हरेक फ्लैट में जाकर डिटेल से सारी बातें समझाने में मदद करेंगी।

रेखा यह सुन कर चौंक गई ,पता नही कैसे अजय का सामना कर पाएगी।

खैर सोसायटी के प्रेसीडेंट की बात को मानना जरूरी था,सो उसने अपने मन में निश्चय किया कि वह अजय के साथ तो जरूर रहेगी लेकिन उससे कोई बातचीत नहीं करेगी।

अजय व रेखा एक एक फ्लैट में जाकर सबसे कचरे के बारे में बातचीत कर रहे थे।अजय ने नोटिस किया कि इतने टाइम साथ रहने के बावजूद रेखा अजय की बातों का जवाब सिर्फ हा या हूं में ही दे रही थी। जब आखिरी फ्लैट की बिजिटहो गई,तो अजय ने रेखा की तरफ देखते हुए कहा कि यदि आपको कोई एतराज़ नहीं हो तो हम आपके फ्लैट में बैठ कर एक कप चाय पी सकते हैं।रेखा से न नही कहते बना।

रेखा के फ्लैट में घुसने से पहले अजय ने देखा कि उसके फ्लैट के दरबाजे पर किसी सुनरदम नाम के व्यक्ति की नेमप्लेट लगी हुई है,उसने अपने मन में सोचा शायद रेखा ने किसी साउथ इंडियन से शादी कर ली है।

रेखा जब चाय लेकर आई ,तो अजय ने रेखा के सामने प्रश्न किया, क्या करते हैं आपके सुनदरम साहब,।

रेखा ने चौंकते हुए कहा कि कि ये तो फ्लैट के ऑनर का नाम है वह तो यहां किराये पर रह रही है।

सॉरी मैं तो कुछ और ही समझ बैठा था।

अच्छा ,आप बताइए कि आपके घर परिवार में कौन कौन है।घर , परिवार,कौन से घर परिवार की बात कररही हो तुम रेखा।तुमसे रिश्ता टूटने के बाद किसी से मन जुड़ ही नही पाया।और मां तो अभी तक सिर्फ तुम्हारी ही याद करती हैं,और ये जो कार में बिदा करने की डिमांड तुम्हारी मां ने थी उसका क्या।

अरे रेखा,ये सब तो तुम्हारे उस कंस मामा का किया धरा था।उसी मामा ने हम लोगों केबीच गलतफहमी पैदा करके रिश्ता तुडबाया।

तुम्हारे तथाकथित मामा ने पहले तो मेरी मां से तुम्हारे बारे में गलत सलत बातें कही,कि यह लोग आपके लायक नहीं हैं ,मैंअजय के लिए मेरे करीबी रिश्तेदार की लड़की का रिश्ता करा दूंगा, बे लोग खूब सम्पन्न हैं बहुत अच्छी शादी करेंगे।

फिर तुम्हारे घर जाकर मेरी मां का नाम लेकर लड़की को गाड़ी में बिदा करने की झूठी बात कही ,जिसे सुनकर तुम तो एकदम से आगबबूला हो गई और फौरन रिश्ता तोड़ने की बात करने लगी।

अरे ये तो वहुत गलत हुआ,मैने तो न जाने गुस्से में तुमको व तुम्हारी मां को क्या क्या उल्टा सीधा कह दिया।सॉरी मुझे इस तरह रिएक्ट नही करना चाहिए था।कम से कम तुम्हारी बात तो सुननी थी।लेकिन अब इनबातों को करनेकी क्या फायदा, क्यों फायदा क्यों नहीं हैं जब रिश्ता किसी गलतफहमी के कारण टूट सकता है तो सब कुछ ठीक होने पर दोबारा जुड़ भी तो सकता है।

सच अजय क्या सच में ऐसा हो सकता है तुमने क्या सोचा कि मैं यहां कचरेकी बात करने आया हूं।

तुम्हारे शहर छोड़ने के बाद कहां कहां नही ढूंढ़ा तुमको फिर पता चलने पर ही यहां आने का प्रोग्राम बनाया,ताकि तुमसे रूबरू आमने सामने बैठकर बात कर सकूं।और तुम्हारी गलतफहमी दूर कर सकूं।

अरे ,बाबा,सॉरी कहा तो अब कया मुझे फिर से रूलाने का इरादा है,नही बसअब तो सिर्फ हम दोनों को हंसना ही है और एक दूसरे की कम्पनी में खुश व सुख से रहनरहना है।चलो इसी खुश खबरी पर एक कप चाय तो औरपिलाओ।

हां अब ये मत कहना कि ज़िन्दगी सुख कम दुख ज्यादा देती है। जिन्दगी तो बराबर सबकुछ देती है हमलोग ही अपनी नासमझी से दुखी होते रहते हैं।

स्वरचित व मौलिक

माधुरी गुप्ता

नई दिल्ली

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!