दिल का रिश्ता-हेमलता गुप्ता । Moral stories in hindi

माताजी.. आज आपको आईसीयू वार्ड से निकाल कर कॉटेज वार्ड में शिफ्ट कर रहे हैं, अब तो खुश हैं आप..? 15 दिन से आईसीयू में पड़ी हुई विमला देवी से जब डॉक्टर साहब ने ऐसा कहा तो वह उनकी बात ना समझ पाने के कारण अपनी बेटी की तरफ देखने लगी और बोली …गुड्डू.. कॉटेज वार्ड क्या होता है.?

मां कॉटेज वार्ड वह होता है जहां आप पूरे कमरे में अकेली रह सकती हैं, जहां आपको सारी सुविधाएं मिलेंगी, टीवी फ्रिज सोफा और कोई भी मिलने वाला कभी भी आपके पास आ सकता है,और एक नर्स आपके लिए हमेशा उपलब्ध रहेगी! वहां कॉटेज वार्ड में आपकी सेहत भी जल्दी ही सुधर जाएगी! जब विमला जी की बेटी गुड्डू ने उनसे ऐसा कहा तो विमला देवी तो अचानक से घबरा गई और बोली… नहीं नहीं मुझे नहीं जाना कोई कॉटेज वार्ड में, मैं तो यही ठीक हूं

, अब भगवान ने जितनी जिंदगी दी है, या तो मैं यहीं से चली जाऊंगी या फिर मुझे अपने घर लेकर चलो, पर मैं यहां से दूसरे कमरे में नहीं जाऊंगी! मां तुम समझती क्यों नहीं हो..? जब तुम इस बेड को खाली करोगी तभी तो दूसरा जरूरतमंद यहां  आएगा और सोचो तो सही तुमसे मिलने के लिए दूसरे कमरे में तो कोई भी आ सकता है, यहां तो यह मिलने भी नहीं देते! नहीं नहीं.. मुझे नहीं पता कुछ भी, एक बात बता 15 दिन में तेरे अलावा मुझसे मिलने और कौन आया है,

जिस दिन में भर्ती हुई थी तब से लेकर तू अब तक मुझे यह कहती आ रही है मां बाहर भैया भाभी, मामा जी मौसा जी सभी आए हुए हैं, तुमसे मिलने के लिए,! लेकिन डॉक्टर साहब  सिर्फ एक को ही मिलने की इजाजत देते हैं, इसलिए मैं हीं तुमसे मिलने आई हूं! बस बस.. रहने दे.. कितना झूठ बोलेगी?

15 दिन में मुझे यह तो समझ में आ गया कि मेरे दोनों बेटे दोनों बहूओ में से एक भी मुझे यहां मिलने नहीं आया, एक बार बड़ा बेटा यहां भर्ती करवा कर चला गया, उसके बाद अपनी मां की शक्ल तक देखने नहीं आया, और यह जो आसपास मरीज लेटे हुए हैं, मेरा इनसे चाहे खून का रिश्ता ना हो किंतु मेरा उनसे दिल का रिश्ता बन गया है, यहां कितने प्रकार के मरीज आते हैं, कोई अपने जीवन को बचाने के लिए आता है और किसी किसी को भगवान अपने पास बुला लेता है

, मैं यहां हर तरह की जिंदगी देखती हूं , कोई मौत से लड़ रहा है, कोई अपनी जिंदगी से लड़ रहा है! यहां के डॉक्टर नर्स सभी मेरा कितना ध्यान रखते हैं, तुझे पता है… बगल वाले बेड पर एक 3 साल के बच्चे की दिल की सर्जरी होनी है, वह 20 दिन से यहां भर्ती है, कई बार इस बच्चे की मां बाहर चली जाती है, तब वह मुझे उसका ध्यान रखना को कहकर जाती है ,अब तू बता मैं इस बेड पर से उत्तर भी नहीं सकती तो मैं क्या उसका ध्यान रखूंगी, किंतु उस मां को एक आशा है कि मेरे होते हुए उसके बच्चे को कुछ नहीं होगा,

वह इसी भरोसे पर बाहर चली जाती है क्योंकि यहां की डॉक्टर उसकी मां को भी उसके पास नहीं रहने देते! और यह जो बगल वाले बेड पर यह बूढ़े बाबा लेते हुए हैं मेरी तो इन से खूब अच्छी जान पहचान हो गई है, यह बहुत अच्छे इंसान हैं यह मुझे बहुत अच्छी-अच्छी ज्ञान की बातें बताते रहते हैं, हम दोनों तो यह समझ लो कि वह क्या कहते हो तुम …फ्रेंड बन गए हैं! हम दोनों ने तो एक दूसरे के फोन नंबर भी ले लिए हैं, यहां से जाने के बाद हम एक दूसरे को फोन किया करेंगे!  बेटी तुझे पता है इसके बेटा बहू इसे रोज मिलने आते हैं, कभी एक बेटा आता है कभी दूसरा बेटा आता है! कभी बहू  आती हैं , तब इनकी चेहरे की चमक देखते ही बनती है,

  मेरे अंदर भी आशा जागती है की क्या पता शायद मेरे बेटा बहू भी मुझसे मिलने आए, जब उनके बेटे बहु मिलने आ सकते हैं तो मैंने ऐसा क्या बिगाड़ा है कि मेरे बेटा बहू मुझसे मिलने नहीं आते? केवल भर्ती करवा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है, अगर तेरे पापा इतना पैसा मेरे नाम नहीं छोड़ कर जाते तो शायद यह तो मुझे इतने महंगे अस्पताल में भर्ती भी नहीं करवाते!

मेरे अपने जाए मुझे पराया समझ बैठे, शायद वह तो यह उम्मीद कर रहे होंगे अच्छा है की बुढ़िया वापस ही ना आए, किंतु देखना अब मेरे अंदर भी जीने की उमंग पैदा हो गई है मैं भी जीके दिखाऊंगी और मैं जीना भी चाहती हूं, और ऐसा कहते कहते विमला देवी का गला भर आया! यहां तो सभी मुझे अपने से लगते हैं इसलिए तु डॉक्टर से मना कर दे, मुझे कोई दूसरे कमरे में नहीं जाना,

मैं तो यहां सारे दिन आते जाते लोगों को देखती रहती हूं! और तुझे पता है बेटा.. यहां एक नर्स है तरन्नुम, वह मेरा अपनी मां से बढ़कर ध्यान रखती है, मेरी साफ सफाई करती है, मुझे खाना खिलाती है, समय-समय पर दवाइयां देती है, 

हमेशा मुस्कुराकर मुझसे बात करती है, कभी मुझ पर नहीं चिल्लाती, बल्कि जब मैं कभी-कभी गंदगी भी कर देती हूं तो भी वह हंसते हुए उसे साफ कर देती है, मैं उसे बेटी कहती हूं और अब मैंने  उसको भी बोल दिया है कि मुझे आंटी जी या माताजी मत कहा करो, मुझे मां कहा करो.. तो तुझे पता है.. यहां पर जितने भी डॉक्टर या नर्स और स्टाफ है सब मुझे मां का कर बुलाते हैं और मुझे ऐसा लगता है की मेरे तो कितने सारे बच्चे हैं, सिर्फ खून का रिश्ता होना ही सब कुछ तो नहीं है, दिल का रिश्ता खून के रिश्ते से  बहुत ऊपर है! खून का रिश्ता एक बार को मतलबी हो सकता है

लेकिन दिल का रिश्ता कभी मतलबी नहीं होगा! मां तुम सही कह रही हो,  फिर भी हमें यह कमरा खाली करना ही पड़ेगा! ठीक है बेटा… अब जैसी तुम्हारी और डॉक्टरों की मर्जी! उसी दिन शाम को विमला देवी को आईसीयू में से निकाल कर कॉटेज वार्ड में शिफ्ट कर दिया! जैसा कि विमला देवी को पता था.. एक दिन उनकी बेटा बहू नाम मात्र के लिए मिलने आए और 2 दिन तक कोई भी नहीं आया! 

बेटी जो कि वही रहती थी कब तक मिलने आए, उसके भी घर में काम रहता था, फिर भी बहुत भाग दौड़ करती थी,  मां की आत्मा अपनी बेटी को इतनी भाग तोड़ करती देखकर दुखी हो जाती, उन्हें लगता मेरी वजह से मेरी बेटी कितना दुख पा रही है, किंतु विमला देवी की भी तो मजबूरी थी शौक से तो कोई भरती होता नहीं है! अस्पताल में दो-तीन दिन कॉटेज वार्ड में भर्ती रहने के बाद अचानक विमला देवी के सीने में जोरों का दर्द उठा!

पहले से ही उनके न जाने कितनी बीमारियां थी, डॉक्टर ने उन्हें तुरंत वेंटिलेटर पर ले लिया और उनके बेटों को फोन कर दिया! शायद डॉक्टर को भी पता था कि वह ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रह पाएंगी,  विमला देवी तो अपने बेटों की राह देखते देखते ही चल बसी! जब तक उनके बेटे पहुंचते विमला देवी के शरीर में जवाब दे दिया! तब डॉक्टर ने कहा सॉरी….

इनको  घर ले जाइए! बेटे बेटियां सभी जोर-जोर से रो रहे थे, किंतु समझ नहीं आया की यह आंसू दिल के थे या पानी के! विमला देवी ने अपने बच्चों के पालन पोषण में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, पर  ऐसा क्या हो गया की अपने बच्चे ही उनसे दूरिया बनाने लग गए! विमला देवी तो स्वयं ही एक सक्षम महिला थी वह किसी के ऊपर भी आश्रित नहीं थी, किंतु पिछले 2 सालों से उन्हें न जाने कितनी बीमारियों ने घेर लिया और आज वह इन सारी बीमारियों से मुक्ति पा गई! आज विमला देवी की आत्मा तो प्रसन्न होगी ही किंतु उससे ज्यादा शायद उनके बेटे बहू की आत्मा प्रसन्न हो !

हेमलता गुप्ता स्वरचित . 

  कहानी प्रतियोगिता दिल का रिश्ता

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