” नैना , तुमने इतनी बड़ी खुशी की बात मुझे नहीं बताई । कम से कम एक फोन ही तो कर दिया होता “
माया का आरोप भरा स्वर,
” दीदी , पिछले दिनों बहुत ही थका देनें वाला साबित हुआ है।
नैना के स्वर अनुनय भरे,
” हिमांशु कैसा है ?”
” ठीक है एक नये बिजनेस की उम्मीद लगा रखी है “
“उम्मीद तो उसे हमेशा ही रहती है, ये बताओ उसका काम कैसा चल रहा है? “दीदी वो … मैं क्या … हरिचरण के घर दोस्तों की जमघट … मुझे वहां हिमांशु का बैठना जरा भी पसंद नहीं “
आगे बोलती हुई लड़खड़ा गयी।
“नैना तुम जरूर कुछ छिपा रही हो ? “
” दीदी कैसी बातें कर रही हो ? वह सह नहीं पाई भरे गले से,
” दीदी , प्लीज कुछ समय दें सब संभल जाएगा। “
हिमांशु की बिगड़ती स्थिति देख मन पर जो बोझ था वह खुद व खुद हल्का होने को उतारू है।
वह क्लांत हो कर बैठ गयी।
अगर माया सामने बैठी होती तो देख पाती।
नैना के चेहरे पर कितनी पीड़ा भरी दुर्बलता के भाव हैं।
उसने जिस बिखराव के छींटें हिमांशु में देखे हैं ,
उसे माया के समक्ष किस प्रकार खोल कर के कह दे।
कुछ क्षण मौन पसरा रहा ,
” नैना , चुप हो सो गई क्या ? यूं ही तुमसे बातें करने की इच्छा हुई “
“नहीं दीदी, दरअसल कुसुम की शादी और रिहर्सल सब मिल कर थोड़ी थकान हो गई “
” हां मालूम है ,
कुसुम और जीशान के निकाह एवं कुसुम के बाबा की उदार सहृदयता दोनों ही बहुत नाम कर रहे हैं “
“फिर नैना, तुम भी तो प्रेम की नित नई परिभाषाएं जानने को उत्सुक हो कर गढ़ती रहती हो “
इस बार माया का स्वर चंचल है।
नैना खिलखिला कर हंस पड़ी। उसकी उन्मुक्त खिलखिलाहट की तरंगों से दिल्ली से लेकर चेन्नई तक के तार आलोड़ित हो गए हैं।
“अच्छा अब मैं फोन रखती हूं। अभी हिमांशु की खोज में और जगह कौल करके देखती हूं
फिर बातें करूंगी “
उधर से फोन कट गया था।
नैना ने भी फोन रख दिया। उसे हिमांशु की चिंता ने घेर लिया है। मुन्नी को चाय बनाने के लिए कह सोफे पर लेट गई।
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डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -90)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi