डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -88)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

अगले कुछ दिनों में नैना, शोभित और खुद कुसुम ने भागदौड़ कर सारी तैयारी पूरी कर ली।

ज़ीशान के मतानुसार पहले कोर्ट में जा कर रजिस्ट्री मैरिज की कार्रवाई पूरी की गई।

उसी दिन सांझ को लग्न था।

जब राॅय बाबू की इच्छानुसार सादे समारोह में कुछ करीबी नाते – रिश्तेदारों एवं उसके घरवालों की उपस्थिति में शुभो दृष्टि की रस्म निभाई जानी थी।

चारों तरफ व्यस्तता की हलचल में बेले- चमेली की खुशबू फ़ैल रही थी। शोभित ने आंतरिक सजावट में कुसुम की एक नहीं सुनी है।

खानपान का भी खूब आयोजन किया गया है। मुस्लिम बिरयानी से लेकर स्पेशल बंगाली मिठाई की व्यवस्था है। पंडाल के एक तरफ डी…जे की धुन पर थिरक  रहे लोगबाग तो दूसरी तरफ शहनाई मीठी धुन भी बज रही है।

नैना ने अपने हाथों से कुसुम को सजाया है।

रूपवती रानी जैसे छरहरे बदन पर स्वस्थता की धमक, उज्जवल श्याम रंग , घनी काली लटों के बीच सिंदूर और चावल निर्मित कुंकुम से सुंदर कलाकारी कर नायक की प्रतीक्षा रत नायिका सी सजावट जिसने भी देखी बस देखता रह गया।

दुल्हन – दूल्हे की सुहागरात बाहर ही मनेगी ऐसा तय हुआ था।  वे दोनों उस दिन ही भारत म्रमण पर निकलने वाले थे। रात दस बजते-बजते सभी फंक्शन खत्म हो गए थे।

विदाई होनी बाकी थी।

विदा होते वक्त नैना कुसुम को आम लड़कियों की तरह फूट-फूटकर रोते देख हैरान रह गई। बड़े लोग भी इस तरह की भावनाओं में बहते हैं ?

कुसुम बारी-बारी से सबसे गले लगती रोती रही सबसे अंत में नैना के पास आ, उसे गले लगा कर कानों में फुसफुसाई ,

” बाबा ने शोभित के अलावा भी दो-तीन लोगों से तुम्हारी इन्क्वायरी की है।

लगभग सबों ने तुम्हारी तारीफ की है और कहा है,

अगर रोल अच्छा होगा तो नैना उसमें जान डाल देगी “

” अब तुम्हें अपनी सार्थकता सिद्ध करनी होगी नैना “

नैना के सामने बड़ी चुनौती है।

वो बहुत थक गयी थी ।  राॅय बाबू ने शोभित से उसे उसके घर छोड़कर आने को कहा,

” थोड़ा आराम कर लो , अगले हफ्ते से नाटक के मंचन की तैयारी भी शुरू करनी है”

घर पहुंच कर नैना ने हिमांशु और जया दी को फोन पर राॅय बाबू की नाट्य कंपनी से हुई अपने अनुबंधों के विषय में सूचना दी थी।

जया आजकल अपनी सर्विस और बिटिया के पालन- पोषण में बिजी रहने लगी है।

रोहन कुमार की बदली दिल्ली से बाहर चंडीगढ़ हो जाने की वजह से घर बाहर सब उसी को संभालना होता है। 

उन दोनों की बातचीत फोन पर ही होती है।

हिमांशु प्रसन्न हुआ,

” मुझे तुम पर गर्व है।  पिछले दिनों तुम्हारे अच्छे काम के वजह से ही यह संभव हो पाया है। मैं तो तुम्हें कुछ मदद करने की स्थिति में हूं नहीं। वैसे तुम खुद अब व्यवस्थित हो चुकी हो “

“हिमांशु ने ही शायद मेरी इस उपलब्धि की खबर माया को दी होगी”

दो दिनों बाद उनका फोन आया था।

आगे …

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