डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -62)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

नैना थकी हुई और उनींदी हो रही है। 

उसका मन किया ,

माया दी और हिमांशु को अभी-अभी यह शुभ समाचार सुना दे लेकिन सपना की उपस्थिति में हिमांशु से बात करने में उसे न जाने क्यों संकोच सा लगता है।

वह यह सोच कर कि,

” कल औफिस के लिए निकलते वक्त स्वयं जा कर  हिमांशु को बताएगी “

उसकी हेल्पर मुन्नी ने घर की व्यवस्था सुचारू रूप से संभाल ली है। रसोईघर में कूकर की सुगबुगाहट हो रही है। और लिविंग रूम में बेटू ने टी वी  चला रखी है।

तभी मुन्नी ने आ कर कहा,

” दीदी हाथ मुंह धो लो डिनर तैयार है। थकी हुई लग रही हो “

झुक कर उसकी सैंडिल उतारने लगी ।

फिर टी वी  की रिमोट ले कर उसकी आवाज कम कर दी है।  बेटू टी वी देखता हुआ सो गया था।

नैना  यह सोचती  हुई उन्मत हुई जा रही है।

” क्या सच में मेरा एक अपना घर होने जा रहा है ?

क्या मैं इतनी सौभाग्यशालनी हूं ?

जब जया दी की तीमारदारी में दिल्ली आई थी।  तो सोचा भी नहीं था।  इसी ख्वाबों की नगरी में एक मेरा घर भी होगा ?  “

पिता को इस बात की जानकारी उसने पहले दे दी थी।  जिसके जवाब में  उन्होंने  फोन पर ही ,

” नैना बेटा , अब तुम्हें क्या  छिपाऊं  ?

यह शुभ समाचार मेरे लिए ऐसे ही है,

मानों किसी को अथाह निर्जन में तांबे के सिक्के ढूंढ़ते हुए सोने के सिक्के मिल जाए “

” मैं हैरान हूं। हमारे खानदान में जहां लड़कियों को घर से बाहर निकल कर नौकरी तो क्या पढ़ने तक की मनाही थी,

वहां तुमने ना सिर्फ बाहर निकल कर पढ़ाई की , नौकरी कर रही हो और अब उसी नौकरी के बलबूते अपना घर खरीद रही हो “

” तुमने हमारे घर और खानदान दोनों की इज्जत बढ़ाई है ,

काश तुम्हारी मां जिंदा होती तो देखती। उस बिचारी की तो सारी उम्र  घिसटते हुई और तुम्हें कोसते हुए ही बीत गई  “

यह सब सुनकर नैना की आंखें भीग गई थी। क्षण भर को नजरों के सामने मां की छवि आ गयी। मन में यह ख्याल कौंधा था ,

” अगर मां रहती तो घर उन्हें समर्पित करके उनकी सारी नाराज़गी दूर कर देती “

बहरहाल  ,

नैना को यह विश्वास करने में कुछ समय लगेगा।

अगले दिन सुबह …

नैना के औफिस निकलने के पहले सपना बेटू को लेकर अपने घर के लिए निकल गई थी।

और नैना ,

सपना के निकलने के करीब एक घंटे बाद  माया एवं हिमांशु को यह खबर सुनाने उनके घर  की ओर निकल ली है।

टैक्सी में बैठ कर उसने अपना सिर पीछे टिका लिया।

जिसके साथ … ही

हिमांशु के साथ बिताए पल उसे उसके बचपन की गीली जमीन पर पहुंचा जाते हैं

जहां हिमांशु के क्वार्टर वाले घर के बागीचे स्वर्ण चंपा के फूलों से भरे रहते थे।

एकदम से सुनहरी, जिनके जड़ों में माली द्वारा पटाए गए पानी से निकली मादक सोंधी सुगंध नैना के तन- मन में भर जाया करती।

हिमांशु का प्यार हरदम किशोरी नैना के साथ रहता।

जिसके लिए प्यार स्वप्न नहीं हकीक़त था और वह सोचती ,

” अगर यह स्वप्न भी है तो वो इसे किसी कीमत पर टूटने नहीं देगी।

फर्क सिर्फ इतना था।

हिमांशु हमेशा अपने काम पर ध्यान देते जब कि नैना ने प्यार में अपनी पढ़ाई करनी तक स्थगित रख दी थी।

” जिन नैनन में श्याम बसे उनमें कछु और कहां”

इसी नादानी ने हिमांशु को वह स्कूल तो क्या उस शहर को छोड़ने पर मजबूर कर दिया था।

करीब डेढ़ घंटे बाद कार हिमांशु के घर के सामने झटके खा कर रुक गई। जिसके साथ ही वो अतीत से सीधे  वर्तमान में पहुंच गई है।

वह कार से उतर गेट खोल कर अंदर हो गई। जहां एक अनोखे सच से उसका सामना होना है

आगे …

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