डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -56)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

वापसी में साथ चलते हुए ,

” नैना , हिमांशु का क्या करें ?

माया ने रुआंसे स्वर में कहा था।

आजकल  खुले हाथों दोनों हाथ से अर्जित पैसे लुटा रहा है।

हमें बड़ा घर छोड़ कर छोटे घर में शिफ्ट कर जाना पड़ा है।

उसके अलग- अलग  बिजनेस में हाथ डालना और डालकर फिर उस पर ध्यान नहीं देना मुझे चिंता में डाल देता है।

” और अब मम्मी के जाने के बाद ये पिता से मिलना भी चाहता है “

नैना ने माया को सवालिया निगाहों से देखा।

” दीदी , वो उनके पिता है ! ” नैना ने होठों के कोने दबा  कर कहा।

उसे माया का ,

हिमांशु को अपने पिता से मिलने नहीं देने का प्रस्ताव  पसंद नहीं आया।

बहरहाल, 

नैना को उसकी बरसाती में छोड़ती हुई वे अपने घर चली गईं।

नैना ने चैन की सांस ली उसकी यह छोटी सी बरसाती उसके लिए किसी मंदिर से कम नही है।

नीचे ही मिसेज अरोड़ा ने उसे रोक लिया और उससे उसके नाटकों के बारे में विस्तार से पूछती हुई अपने यहां ही डिनर कर लेने का न्योता दे दिया।

नैना ने हामी भर दी ,

कपड़े बदलने सीढ़ियां चढ़ गई।

लेकिन इसके थोड़ी देर बाद ही नैना के घर से मां के गुजर जाने का फोन आ गया था।

घर के लिए तुरंत निकल जाने के सिवाए और कोई ऑप्शन नहीं था।

नैना आनन- फानन में मिसेज अरोड़ा को इस नए घटे घटना क्रम की सूचना दे कर घर के लिए निकल पड़ी।

करीब आठ घंटे बाद वह घर पहुंच चुकी है। उसने ज्यों दरवाजे पर पांव रखा , भतीजे ने दौड़ कर उसका स्वागत किया और गोद में चढ़ गया। नैना की सिसकी निकल आई। उसने उसे गले लगा लिया।

आंगन में अर्थी पर मां का शव रखा हुआ है।

नैना ने शव पर पड़े चादर को उठा कर अंतिम दर्शन किए और उनके पांव पर झुक कर अपनी पिछली सभी नादानियों के लिए माफी मांगी।

मां की इच्छा थी नैना के विवाह देखने की। 

नैना उसे पूरा नहीं कर  पाई।

” नैना” उसे देख कर अनुराधा उसके गले से लग गई। 

उसे रोता देख नैना की सिसकी भी फूट पड़ी। नैना को मां के मरने के ग़म से ज्यादा पिता के अकेले रह जाने का दुःख हुआ था।

शव यात्रा निकलने को थी। नैना ने ठंडी सांस ली।

रात भर की यात्रा और दुःख से तन- मन दोनों ही थके हुए हैं। इन दिनों उसके जीवन में एक- के उपर एक घटनाएं कुछ इस तरह घट रही हैं कि किसी एक की अनुभूति दूसरे पर हावी नहीं हो पा रही है।

कभी- कभी उसे लगता है। कि अब बस मंजिल एक हाथ की दूरी पर है तभी  नियति उसे पीछे घसीट लेती है।

थकी हुई सी नैना घर की औरतों के साथ घाट पर से लौटते लोगों का इंतजार करती रही ।

जिन्हें लौटने में शाम हो गई थी। एक – एक कर बारी-बारी से जब सब नहा धो कर फुर्सत से बैठे थे। तब पिता और भी झुके हुए लगे थे ,

” नैना दुबली हो गयी हो ” वो हल्के से मुस्कुरा कर रह गए।

” सुना है अनुराधा को तुम प्रतिमाह उसकी ट्रेनिंग के लिए पैसे भेज रही हो ?  तुम्हें दिक्कत नहीं होती है  “

” नहीं , मेरा प्रमोशन हो गया है। साथ ही सैलरी भी बढ़ गई है “

उसने झिझकते हुए कहा और अपने नाटकों में काम करने की बात बहुत सफाई से छिपा गई ।

घर के लोग खास कर के अनुराधा उसे कौतूहल से देख रही है।

इस बीच गर्म चाय बन कर आ गई थी।

नैना ने गर्म-गर्म चाय की घूंट भरी, उसे भीतर की धुंध छंटती सी लगी।

आगे …

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