डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -54)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

न जाने कितनी देर यूं ही हाथों में हाथ डाले हम बैठे रहे।

लगा,  जैसे कभी भी इस ढ़लती – रंगीन शाम के बाद रात और फिर  सबेरा  नहीं हो। 

तभी नैना ने मुझे कई नाटकों में शोभित के साथ  काम करने की बात बता कर हैरान कर दिया।

हालांकि अंदर ही अंदर मैं ईर्ष्या …से दग्ध हो गया था।

लेकिन उसकी मजबूरी थी।

मेरे पांव भी ठीक से जमे नहीं हैं। इसलिए  चुप रह गया।

हवा में ठंडक  बढ़ गई थी। जो देह में हल्की सी सिहरन पैदा कर रही थी।

नैना का साथ हल्की ऊष्मा प्रदान कर रहा था। उसकी आंखों में भी रंगारंग तरलता थी।

जो मेरी आहत भावनाओं को शीतलता प्रदान कर रही थी।

जब हम दोनों घर पहुंचे , वहां माया  बाहर से लौट कर खाना लगवा रही थी।

हम भी कुर्सी पर जम गये । घर का पुराना नौकर चपातियां बना कर ले रहा था।

अचानक माया,

”  हिमांशु, तुम अपने बिजनेस पार्टनर से  क्यों  नही मिले  ?”

वह मुझे मेरे  साथी से फोन  पर बातचित के दौरान तय हुई मुलाकात के पूरे नहीं करने से रिग्रेट करते हुए  देख दुखी थी।

मैं अपने पार्टनर से क्षमा मांगते हुए  ,

” माफ कीजिएगा आज नहीं आ पाऊंगा , परिवार के साथ बैठा हूं…  हां- हां कल शाम में मिलूंगा “

यह कह कर मैंने फोन काट दिया।

और वापस आ कर कुर्सी पर बैठ गया।

मैं सब कुछ भूल करअपने और नैना के बीच की खुशी उसके साथ बांटना चाहता था।

पर वो तो किसी और ही मूड में नजर आ रही थीं।

” कल चला जाउंगा तुम फिजूल में परेशान न हो , वैसे भी उसकी बेकार की बातें सुनकर मेरा दिमाग भन्ना जाता है “

इस पर माया ने  मुझे घूर कर देखा।

” देखो नैना , माया किस तरह गुस्से में घूर रही है ” मैं ने बनावटी गुस्से में उसे देखा।

नैना मुस्कान दबाती हुई नजरें नीची कर के पानी पीती रही।

” हिमांशु ,

जिंदल ने मुझे फोन करके बताया, उसने तुमसे  छत्तीसगढ़ में एजेंसी दिलाने  की बात की थी। पर तुमने उसे कोई जवाब नहीं दिया “

माया ने फिर हिमांशु को टोका।

” माया मुझे  घर छोड़कर  और कहीं जाने के लिए मत कहो,

मैं अपना सर्वश्रेष्ठ यहीं नैना के साथ दे सकता हूं।  वैसे भी अब मां नहीं रहीं तो तुम्हें खुश रखने और अकेले नहीं रहने देने की जिम्मेदारी भी  हमारी  है “

” मुझे शांति और भरा-पुरा घर चाहिए  ” हिमांशु संजीदा हो गया।

” वैसे भी भगवान् का दिया हुआ बहुत है।

” देखा तुमने नैना,

” जिंदल  के साथ इसका आज दस बजे का एप्वाइंटमेंट था। वहां जाना था इसे ये गया ही नहीं “

नैना आशंका  से भर गई।

माया ने न चाहते हुए भी अनजाने में  हिमांशु के जिंदल के पास  न जाने का ठीकरा नैना के सिर पर फोड़ दिया था।

” आपने मुझे पहले क्यों नहीं बताया था दीदी ?  नैना ग्लानि भाव से बोली।

” हिमांशु ने तुम्हें कुछ … नहीं कहा  ? “

उसकी नजर नैना की उंगलियों पर जा टिकी ,

” यह तो मां की अंगूठी ? “

पलक झपकते वह सारी बात समझ गई। उसके माथे पर अधिकार से चुंबनों की बौछार कर बोली,

” तुम इसकी प्रेमिका हो , भावी पत्नी हो उसे तैयार करना तुम्हारा अधिकार भी है और कर्तव्य भी है “

नैना के कपोल शर्म से लाल हो गए।

” दीदी ऐसा भी होता है कहीं  विवाह के पहले  अधिकार वो आपकी नहीं तो  मेरी सुनेगा ? “

मैं सोच रहा था … ,

” आदमी को  विश्वास जरूर  डिगा कर रखना चाहिए वरना जिंदगी में  खालीपन भर जाता है” 

परिणाम स्वरूप…

अभी- अभी शाम कितनी मदभरी थी और अब … कितनी चुभन भरी ।

आगे  …

अगला भाग

डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -55)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!