रात के साढ़े नौ बज रहे थे। जब नैना ऑटो से उतर कर सीधी मिसेज अरोड़ा के पास पहुंची थी।
” मिसेज अरोड़ा , मैं अगले महीने से आपकी रेंट बढ़ाने की डिमांड पूरी कर दूंगी मैं बेफ्रिक हो कर रह सकती हूं ?
“ओ हां- हां बल्कि कुछ जरूरत है तो बोल दिया करना “
नैना ने धन्यवाद की औपचारिकता पूरी कर सीढ़ियों की ओर बढ़ गई।
पिछले कुछ दिनों से हिमांशु और माया दी की खबर नहीं मिली है।
नैना ने कल ही उन दोनों से मुलाकात करने की सोच ली।
अगले दिन अपने प्रोग्राम के मुताबिक नैना माया दी के सामने थी।
माया उसे देख कर खुश हो गईं ,
” कहां रही नैना इतने दिन ? यूं केम हियर आफ्टर ए लौंग टाइम “
नैना हामी में सिर हिला दी। उसकी निगाहें हिमांशु को ढूंढ रही थीं। संकोच से वह पूछ नहीं पाई।
तभी हिमांशु मुस्कान के साथ आ कर अपनी कुर्सी पर बैठ गया। इस समय वह वाकई बहुत आकर्षक लग रहा था।
उसे देख कर … नैना को शारीरिक पुलक महसूस हुई।
माया ने आया से कह कर चाय नाश्ते का इंतजाम किया फिर चाय पीकर उठ खड़ी हुई ,
तुम लोग बैठो बातें करो मैं आती हूं। मुझे कुछ काम है। ऐसा बोल कर निकल गईं।
शायद उन्हें अकेले में बात करने का मौका देना चाह रही थी।
मम्मी की मृत्यु के बाद उससे एकांत में नैना की यह पहली मुलाक़ात थी।
कुर्सी पर बैठी नैना के बैठने की मुद्रा बदल गई है। वो गुजरे हुए कल की याद से बेचैन है।
” चलो ! ” हिमांशु ने कहा।
” कहां “
“मेरे साथ ” हिमांशु ने उसके हाथ थाम माथे पर एक चुंबन अंकित कर दिया।
” घर तो लाॅक कर लो ” नैना ने मीठी मुस्कान बिखेरी।
एक ताजी सी सुबह की ताजगी महसूस कर रही है।
हिमांशु उसे ले कर पार्क की ओर बढ़ गया।
आगामी क्षणों का रोमांच उसकी देह को तरंगित कर रहा है। हिमांशु ने जेब से रुमाल निकाल कर उसकी आंखों पर बांध दिया।
नैना ने अपने मुख को हथेलियों से ढ़ंक रखा है आंखें बह चली है।
इन प्रेमिल क्षणों के लिए वह कब से तरस रही है।
पार्क के पेड़ों के घने झुरमुट में हिमांशु घुटनों के बल बैठा हुआ हाथ में अंगूठी लिए हुए ,
” विल यूं बी माइन ” कह उठा।
नैना आंखों से रुमाल हटा कर ,
” हां! हां! हां! “
कहती हुई उससे लिपट गई।
अंगूठी पहनाते हुए हिमांशु ने उसे बांहों में भर लिया। वह पल उन दोनों के लिए उत्सव बन गया था।
नैना खुश थी यह सोच कर ,
” जो परिचय पहले मिलना चाहिए था वह देर से ही सही अब मिल गया “।
उसके लिए वह खास दिन था जब उसकी बरसों की चाह पूरी हुई है।
प्रिय पाठकों!
नैना ने उस दिन को खास मान कर सही किया या नहीं ?
इसका पता तो बाद में चलेगा ?
हां हिमांशु के लिए ‘पल’ खास होते हैं ‘दिन’ नहीं।
आगे …
अगला भाग
डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -53)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi