डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -50)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

नैना ने स्क्रिप्ट खोली । हिंदी  में थी। नैना बोली कर पढ़ने को हुई।

पहले ही पन्ने पर था ,

” पता नहीं क्यों आज की शाम बहुत सुहानी लग रही है। हवा की अठखेलियों में कशिश कुछ ज्यादा है। दिल में उमंगों की घटाएं छाई रही … है ”  बोलती हुई  नैना को लगा कि शोभित की एक टक निगाहें उस पर ही है।

” पर्फेक्ट ” शोभित के चेहरे पर  मीठी मुस्कान खेल रही है।

नैना अचकचा गई।

” आगे पढ़े ”   कुछ रुक कर नैना ,

” आंखों के सपने कुछ ज्यादा ही दिलकश हो उठे हैं ” फिर अपनी भाव भरी आंखें शोभित पर डाल कर ,

” तुम क्या सोचते हो शोभित “

अब शोभित ने इत्मीनान होकर पूछा ,

” कैसी हो ? कुछ दुबली लग रही हो ? “

वह ड्राइंग रूम के सोफे पर बैठ गया था। और सिगरेट सुलगा ली।

” नैना ” शोभित अटकते हुए,

” पिछले दिनों तुमने फोन नहीं किया अच्छी हो, नाराज़ तो नहीं हो ? “

हिमांशु की मां के गुजर जाने का तनाव , और पीड़ा अकेली नैना से संभाले नहीं संभल रहा था।

उसका मन भारी हो गया।

रुंधी हुई आवाज में उसने पिछली सारी बातें  बता दी।

पूरे पन्द्रह दिन बाद दोनों का मिलना हो पाया है।

उन दोनों के बीच जिस भाव भरी खामोशियों का लेन- देन अब तक हुआ है।

वह अभी किसी वाक्यों तक नहीं पहुंचा है। लेकिन शोभित ने हमेशा उसके हौंसले को बढ़ाया है।

” बैठो नैना! शांत हो जाओ ,  फिर शांत हो कर कुछ फैसला करना ,

तब तक मन हल्का करने के लिए रिहर्सल में भाग लेना शुरू कर दो “

“इस तरह इस हाल में किस तरह शोभित  ?

मुझे पूर्व में इसके कोई अनुभव भी नहीं है! लेकिन मुझे इस समय पैसों की भी सख्त जरूरत है ,

तुमसे मेरी और मेरे घर की हालत छुपी नहीं है। मिसेज चोपड़ा ने अपनी  बरसाती का किराया भी दोगुना कर दिया है “

नैना रुंधे हुए स्वर में बोल पड़ी।

शोभित ने सोफे पर बैठे हुए ही नैना की चेयर थोड़ी नजदीक खींचते हुए ,

” तुम्हारी तरह ही मुझे भी किसी ट्रेनिंग का अवसर नहीं मिला है “

कहते हुए शोभित ने जैसी शक्ल बनाई , उसे देख नैना को एकबारगी हंसी आ गई।

फिर उसने नैना को अपनी प्रारम्भिक संघर्ष की कहानी कह सुनाई।

” हां शुरू – शुरू में कदम थोड़े बहके थे। फिर कुछ ठोकरें लगी तो संभल गया “

शोभित ने सिगरेट सुलगा ली थी।

“इतना जरूर कहूंगा कि जैसा अवसर तुम्हें मिला है वैसा सबको नहीं मिलता।

चाहो तो औफिस के  साथ- साथ थोड़ी ज्यादा मेहनत करके सब्सटेंशियल पैसे कमा लो “

” सीधे तौर पर बताओ कितने पैसे को तुम सब्सटेंशियल कहते हो ? “

” उतना ही !

जितने में तुम्हारे सिर के उपर एक छत हो साथ ही तुम अपने परिवार वालों की भी उनकी जरूरत के मुताबिक हेल्प कर सको “

” मैं उलझन मैं हूं शोभित “

नैना के मुंह से एक ठंडी सांस निकल गई ।

आगे …

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