डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -49)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

बातों में कब रात गुजर गयी पता ही नहीं चला अगले तीन दिनों तक नैना सपना के साथ

गुजारने के बाद खुश हो कर अपनी बरसाती में लौटी थी।

औफिस आते- जाते एक हफ्ते भी नहीं बीते थे।

एक दिन औफिस से लौटते वक्त नैना जल्दी- जल्दी  सीढ़ियां चढ़ती चली जा रही थी।

जब मिसेज अरोड़ा ने उसे रोकते हुए अपने चेहरे पर मुस्कुराहट ला कर मुखातिब हुई,

” नैना महंगाई बहुत बढ़ गई है , हमें किराया बढ़ाना होगा ,

या तो तुम ही बढ़ा दो नहीं तो …  फिर दूसरी जगह देख लेना “

नैना एकाएक यह सुन कर मानों धड़ाम से जमीन पर गिरी।  उसे काटों तो खून नहीं,

अभी एक साल भी नहीं हुआ है। सारी मंहगाई की मार सिर्फ एक उसकी बरसाती के लिए ही है।

फिर सारी रात वह अपनी बरसाती में करवटें बदलती रही।  यह बरसाती उसके लिए सुरक्षित जगह साबित हुई है ।

वह इसे छोड़कर कहां जाएगी ?

वह चाहे तो कुछ पैसे बढ़ा सकती है पर अभी-अभी उसने कुछ पैसे घर अनुराधा  के आग्रह पर  उसकी कम्प्यूटर ट्रेनिंग के लिए भेजना शुरू किया है।

इस तरह चिंता और फिक्र से वह सारी रात अनिद्रा से जूझती रही।

यह अतिरिक्त बोझ उस पर इतना। घना और गहरा है कि सबको परेशान करके रख देगा यह सोच कर उसे रोना आ गया ।

मन ही मन उसे फिर से  अपने भीतर दबे आक्रोश पर  गुस्सा आ गया ।

” जिस बोझ को एक बड़े बैल पर रखा जाना चाहिए था, मानों उसे बछड़े पर रख दिया गया है  “

वह तकिए में सिर छिपा कर रोती रही।

अब उसे  ज्यादा  पैसों की आवश्यकता होगी।

सुबह औफिस जाने के समय उसका सिर भारी और चेहरा क्लांत हो रहा था।

आखिर कुछ तो सोचना पड़ेगा यह सोच कर अपने औफिस में कलिग से बातें की लेकिन ठोस नतीजे के रूप में कुछ भी सामने नहीं आया था।

शाम होने को आई है , आसमान पर लाली छाने को  है। नैना औफिस की खिड़की से बाहर देख रही थी सूरज डूबने को है। उसे तत्काल शोभित की याद आई।

साथ ही उसके दिए गए ऑफर का ध्यान आते ही नैना के कदमों में जैसे चाबी भर गये।

दीवार घड़ी ने पांच का घंटा बजाया।

नैना ने टेबल पर रखे अपने कागज समेट कर बैग के हवाले किया और औफिस से निकल कर सड़क पर आ गई।

सामने ही ऑटो खड़ी थी। जिस पर सवार होकर  शोभित के घर का पता बता दिया।

करीब आधे घंटे में नैना शोभित के घर के सामने खड़ी थी।

वहां पहुंच कर उसने शोभित को

“हैलो” ‌‌  किया।  शोभित उसके इंतजार में ही बैठा था। ,

” कहां थी इतने दिनों तक ?

जिस सुबह हमारी बातें हुईं उसी रात तुम घर से बाहर चली गई  थी।

मैं पिछले पंद्रह दिनों से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूं “

” माफ करना ,  तुम्हें असुविधा हुई , हर्ट तो नहीं हो गये  ?  “

” मैं तैयार हूं ” नैना ने कहा।

शोभित ने आगे बढ़कर उसकी तरफ चेयर कर खिसका दी और खुद सोफे पर बैठ गया।

” मुझे बहुत खुशी हुई। सच्चाई यह है कि मेरे मन से भारी बोझ उतर गया “

” यह प्ले कौन सा है ?  मैं पहले तुम लोगों की रिहर्सल देखना चाहूंगी “

” यह प्ले , स्त्रियों के उपर चल रहे गृह युद्ध के प्रभाव के बारे में है “

” तुम चाहो तो इस शनिवार को चल कर देख सकती हो। “

नैना ने हामी में सिर हिलाया।

शोभित ने एक फाइल उसकी तरफ बढ़ाई और मुस्कुरा कर बोला ,

” स्क्रिप्ट ? “

” मैं आज रात को ही पढ़ लूंगी “

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