आज भी औफिस से लौटते समय सपना का फोन आया था ,
” नैना , क्या कर रही हो ? तुम तो आज कल नजर ही नहीं आ रही हो ना दोस्तों से मिलना ना बातचीत ?
तुम और जया भाभी एक साथ घर गये थे ना ? तुम लौट आई भाभी नहीं लौटी ? “
उसने एक ही सांस में सारी बातें कह डाली।
” अब तक तो तुम ही बोलती जा रही हो मुझे मौका मिले तब तो कुछ कहूं ? “
उधर से चुप्पी।
नैना ने ठहरी हुई आवाज फोन पर सपना को अपने घर वापसी के बाद से अभी तक घटी हुई सारी घटना के बारे में सुना दिया।
दिल्ली में एकमात्र सपना ही उसकी सहेली बनी है। जिससे वो अपने मन की हर बात बेधड़क कह जाती है।
उधर सपना ने शायद उसकी आवाज में बसी हुई हताशा गौर कर ली थी ,
” सुनो नैना,
देवेंद्र एक हफ्ते के टूर पर बाहर गये हैं । तुम आ जाओ यहां दो- चार दिनों के लिए एक साथ रहेंगे तो तुम्हारा भी मन थोड़ा संभल जाऊंगा और मेरे बेटे को भी कंपनी मिल जाएगी “
नैना को भी इस वक्त कुछ इसी तरह के चेंज की जरूरत महसूस हो रही है। एक पल को दिमाग में आया वहां रह कर शोभित के प्रस्ताव पर भी विचार कर पाएगी।
बिना कुछ सोचे उसने हामी भर दी।
अगली शाम … घुटनों के बल पर बैठी हुई नैना सपने के बेटे को पालने में झुला रही थी।
नन्हा सा प्यारा ‘आकाश’ उसे टुकुर- टुकुर देख रहा है।
मार्च के महीने में एअरकंडीशन कमरा को ज्यादा ही ठंडा कर रहा था।
” नैना , मैं ने तुम्हारी पसंद के भरवां करेले, पीली अरहर की दाल और सरसों के साग भी बनाए हैं चलेंगे ना ? “
नैना खुश हो गई , यह सोच कर कि इसे जया दी के घर में साथ रहते हुए मेरी पसंद अभी तक याद है।
जबकि घर- औफिस के चक्करों में वो खुद ही भूल बैठी है।
कम्पनी की तरफ से मिला हुआ सपना का घर पूरी तरह से सुसज्जित है। जिसकी मालकिन के रूप में सजी सपना को देखना इस समय उसे बहुत सुखदायक लगा।
अचानक… यह सुनकर,
” नैना, मैं क्या मोटी हो गई हूं ? ” नैना ने पल भर के लिए उसे देखा ,
सपना हर दृष्टि से तृप्त और छलछलाती हुई लग रही है।
” किसने कहा ? “
” देवेन्द्र ने “
खिलखिला उठी नैना ,
” छेड़ रहा होगा तुम्हें
इसमें भला छेड़ने की कौन बात है ? ऐसे क्यों छेड़गा मुझे ?
अब तुम्हें देवेंद्र नहीं छोड़ेगा तो क्या मैं छेड़ूंगी ?
नैना हंस पड़ी।
” तुम्हारा वजन उतना ही बढ़ा है जितना एक ताजी बनी हुई मां का बढ़ना चाहिए … यार “
सपना को कुछ तसल्ली हुई। उसने सो रहे बेटे को हल्की चपत लगाई ,
” सब इसी की कारस्तानी है “
बेटा रो पड़ा ,
नैना ने उसे रोते देख, सपना की पीठ पर प्यार से एक धौल जमाई और उसे गोद में ले कर घुमाने लगी।
उसके घुमाने और गीत गुनगुनाते हुए सुलाने की प्रक्रिया से बच्चा सो गया।
उसे छाती से चिपकाई हुई नैना ने उसके गालों पर चुंबन की बरसात कर दी है।
ऐसा करके नैना को एक अजीब सा सुख मिल रहा है।
योंकि बच्चा सो गया था। लेकिन उसने बच्चे को गोद से नहीं उतारा।
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डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -48)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi