डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -46)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

यह रात नैना को बहुत लंबी लग रही है।

मां की अनुपस्थिति ने हिमांशु के आत्मविश्वास को हिला कर रख दिया है। नैना  ने उसकी बात का प्रतिवाद नहीं किया।

उसे हिमांशु के साथ बीते अपने वे अनेकानेक क्षण कसके ,जब वह  उसके संसर्ग में क्षत- विक्षत हुई थी। तब हिमांशु ने अपनी जीवटता का परिचय देते हुए उसकी रक्षा की थी।

पर आज उसमें वो पहली जैसी जीवटता नहीं है।

उसने हिमांशु के कंधे पर हाथ रखा इस स्पर्श ने हिमांशु के लिए मरहम का काम किया।

वह सचेत हो कर बैठ गया है।

नैना सुबह ही घर से आई है।

उसने सोचा था वह शोभित से मिलकर विनोद भाई के लिए कुछ काम की बात करेगी जो फिलहाल संभव होती नहीं दीख रही है।

यहां बैठे हुए उसे अपनी भीतरी दुनिया बहुत दूर और अंधेरे में लिपटी हुई लगी। वह कमरे से बाहर  बरामदे में  निकल आई।

उसके पीछे – पीछे हिमांशु भी चला आया।

” क्या हुआ था मम्मी को ” नैना ने संभलते हुए हिमांशु से पूछा तो वह कुछ बोल नहीं पाया । उसका चेहरा पीड़ा से विकृत हो गया।

कुछ नहीं, वो  घर की प्रोपर्टी नहीं बेचना चाहती थीं, कहती थीं, 

” वो सब प्रोपर्टी तुम्हारे पिता की मैं उसमें से कुछ भी नहीं लेना चाहती “

इसके विपरीत मैं उसे सेल कर के उन पैसों से एक  स्कूल  खोलना चाहता था। बस इसी बात का झंझट था ,

लेकिन इधर एक दिन अचानक वे तैयार हो गई थीं,

” आखिर सब कुछ तुम लोगों का ही तो है । मैं कब तक जीवित रहूंगी और सांप के समान उसपर कुंडली मार कर बैठी रहूंगी  ? “

” अचानक से वे इसके लिए तैयार किस तरह हो गई , मैं और माया दी हैरान”

तभी उन्हें ये मैसिव हार्ट अटैक आ गया था ,

कहते हुए उसकी आवाज भरभरा गई।

आंटी ने हिमांशु से उसकी नजदीकियां भांपते हुए एक दिन कहा था ,

” नैना तुमसे दुबारा मुलाकात के बाद हिमांशु संयत दिखता है, क्यों ना तुम दोनों एक बंधन में बंध जाओ  “

नैना के कान सनसना गये थे। वो संकोच वश कुछ नहीं बोल पाई लेकिन  उसके  दिल  की गवाही   ,

” हिमांशु के साथ बंधने का निर्णय कहीं जल्दबाजी में लिया गया निर्णय ना साबित हो”

फिर मन ही मन ,

” अभी तो मुझे परिवार की जिम्मेदारी निभानी है, तब तक शायद  हिमांशु भी  …  ” 

इस परिणाम तक पहुंचने के लिए उनके विचार एवं लाइफ- स्टाइल और ताने- बाने और अधिक साफ और सुलझे हुए होने चाहिए।

अब उसे लग रहा है ,

” आंटी की सोच , कहीं उनके साथ ही तो दफ़न नहीं हो गई ? “

” संभालों खुद को हिमांशु, ढ़ेर सारी जिम्मेदारी तुम्हारे उपर है “

हिमांशु और माया दी को उबरने में कुछ समय लग गया था।

वहां से ही औफिस करती हुई नैना को घर वापस लौटने की फुर्सत तीन दिनों बाद मिली।

सपना बीच- बीच में  फोन करके  उसके हाल समाचार ले लिया करती है।

आगे …

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