डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -43)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

वहां मां के अलावा और सभी लोग मौजूद थे।

अनुराधा ने तो सवाल पर सवाल दाग कर नैना को परेशान कर दिया था। लेकिन नैना ने तनिक भी घबराए और बिना हिचक के उसके एक- एक सवाल के जवाब विनम्रता पूर्वक दिए थे मसलन ,

” अनुराधा … हमने सुना है तुम वहां लगातार सुशोभित के संपर्क में हो यहां तक कि अभी तुम जहां रह रही हो वह घर भी उसी के मार्फत मिला है तुम्हें  “

“हां , सही सुना है तुमने भाभी

” और यह भी कि तुम उसके साथ नाटकों में भी काम किया करती हो अपनी नौकरी के अलावा ?”

“हां यह भी सच है। “

” लेकिन! तुम्हें किस तरह मालूम ?”

” मेरी दूर के रिश्ते की बहन ने तुम्हें देखा था कहीं स्टेज पर उसने ही हमें बताया “

अब पिताजी खखाड़ उठे थे ,

” यह  हम क्या सुन रहे हैं ?

तुम वहां नौटंकी करने गयी हो  ?  और कोई काम नहीं बचा है खानदान की नाक कटाने को ? “

” और यह भी कि तुम प्रेम विवाह करना चाहती हो। ऐसा तुम्हारी मां ने कहा है “

नैना ने कटी हुई नाक लहराते हुए ,

” अभी ऐसी कोई बात नहीं है,  पहले मैं अपनी लगी हुई नौकरी में जम जाऊं फिर नाटकों में भी अच्छे पैसे मिल जाते हैं बाबा ,

” आपको क्या परेशानी है ?

यहां की हालत मैं देख रही हूं। घर की छत  चू रही है। विनोद भाई  की  छोटी सी प्राइवेट नौकरी, मां की दिन पर दिन बद्तर होती हालत और अब ये उपर से मुन्ने की परवरिश सब कुछ  इतना आसान हो रखा है क्या  ? “

” और आप अपना स्वास्थ्य देख रहे हैं सिर्फ चमड़ी और हड्डियां बच रही है “

अगले कुछ मिनटों तक …

नैना ने खुद  को यह सब कहते हुए सुना …।

एक बार बहुत छुटपन में  नैना ने बाबा को  मां से यह  कहते हुए सुना था ,

” अगर नैना, की जगह हमारा लड़का होता तो घर चलाने में हमारी मदद करता “

तभी से नैना ने घर  की जरुरत के समय खड़े रहने की सोच ली थी।

आज उसे कुछ वैसी ही आवश्यकता दिख रही है। और शायद इसलिए बाबा के सामने कभी भी कुछ कह पाने की हिम्मत नहीं  करने वाली नैना भी

उनके  सामने आज इतना बोल पाई।

तभी  …

” यानी प्रेम और नौटंकी चलती रहेगी ? खानदान पर कीचड़ उछालती रहोगी ?  “

यह विनोद भैया का स्वर था।

” मेरा व्यक्तिगत जीवन मेरा सरोकार है विनोद भाई “

सुना है , आप  इन दिनों तंगी की हालत में चल रहे थे और घर से बाहर कहीं निकल कर अपनी किस्मत आजमाने की सोच रहे हैं।

लेकिन पिता  असामान्य ढ़ंग से शांत हो गये थे।

शायद वस्तुस्थिति समझ पा रहे थे।

ठीक है !  कहते हुए वे उठ खड़े हुए।

” बड़े शहर की बड़ी बातें ! तुम जो कर रही हो वह पतन का रास्ता है।  मैं डरता हूं बाद में तुम्हें पछतावे के चलते शर्मिंदगी ना उठानी पड़े। “

” और अगर सफल रही तो ? “

कहते हुए नैना की आवाज  कांप गई थी।

पिता के  हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में उसके सिर पर थे।

दद्दा!

नैना सिसक उठी थी।  वह समझ नहीं पाई यह आंसू खुशी के हैं या  समझौते के  ?

” अरे भाई कलाकार  साली साहिबा , खुशी के मौके पर यह क्या  ? “

रोहन कुमार बीच में बात संभालते हुए हो… हो … कर हंस उठे थे।

आगे अनुराधा ने ,

” तुम्हारे पास रहने को कितनी जगह है।

‌‌‌‌‌से लेकर ,

” हर महीने  घर का कितना किराया भरती  हो ?”    के बहाने नैना की आर्थिक हैसियत  से लेकर सामाजिक हैसियत जानने  तक में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी।

यों नैना ने  इस सब कुछ के बारे में सच- सच बता दिया है।

लेकिन वह जानती है, अनुराधा ने इसपर विश्वास नहीं किया था।

फिर उसने बातों ही बातों में  दबे स्वर में हिमांशु के बारे में भी जानने के प्रयास किए थे।

इन सारे वाकयातों से गुजरते हुए अनुराधा की आंखों में जो भाव दिखाई दिए थे वो यह था कि ,

” अगर इसके वश में होता तो ये अभी भी सब कुछ छोड़ कर मेरे साथ चली चलतीं “

” तुम्हारी डेली रूटीन क्या रहती है? “

नैना ने शौर्ट में बताया।

” तुम्हारी आलमारी तो कपड़ों से भरी होगी ? और सौन्दर्य – प्रसाधन के अनगिनत सामान होंगे ? “

नैना थक चुकी है जवाब देते- देते तो हंसती हुई ,

” चली चलो,  अनुराधा रानी इस बार मेरे साथ सब अपनी आंखों से देख लेना  “

अनुराधा की आंखें चमक उठीं ,

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