एक हफ्ते के बाद , नैना अपने छोटे से लगेज के साथ घर पहुंची थी। तो दरवाजा पहले से ही खुला था। और सामने सोफे पर पिता , विनोद भाई और रोहन कुमार लाइन से बैठे हुए बातचीत में मशगूल थे।
जया उससे तीन दिन पहले ही पहुंच चुकी थी।
विनोद भाई के बेटे के अन्नप्राशन में घर का माहौल खूब हंसी- खुशी वाला लगा।
नैना ने नमस्ते की तो भाई ने उठ कर उसे गले से लगा लिया और पिता ने गहरी सांस ली।
वह पिता के पांव छूने ज्यों ही झुकी उनकी आवाज भर्रा गयी।
” आओ नैना ! ” आखिर तुम न आती तो रस्म कैसे पूरी होती ? “
रोहन कुमार हंस कर बोले। वह जवाब में कुछ बोलती इसके पहले ही छोटी शुभ्रा अंदर से निकल कर उसकी बांहों में झूल गयी।
तब तक भाभी अनुराधा भी आ गई उसे बांहों से पकड़ कर अंदर मां के सामने ले जा कर खड़ी कर दी।
नैना ने देखा मां के चेहरे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट हैं।
लेकिन मां ?
नैना के अभिवादन के जवाब में
उन्होंने अपने खास स्वर में ताना मार ही दिया,
” आ गई , हमारी अफसरानी बिटिया, नैना रानी बहुत दिनों बाद सुध ली “
जया दी ने उन्हें बीच में ही टोक दिया ,
” क्या मां इतने दिनों बाद घर आई है , उसे बैठने तो दो ”
उसके हाथ से लगेज लेकर घर की पुरानी महरी बिंदु को दे दी।
अनुराधा ने सुंदर मुस्कान के साथ अपने बेटे को नैना की गोद में ले दिया।
नैना ने देखा दो नन्ही- नन्हीं आंखें उस चकित भाव से देख रही हैं। उसने गीली मुस्कान से उसका चुंबन ले लिया , तो वह प्रसन्न भाव से उसके चेहरे को छूने लगा।
” बहुत जल्दी दिल्ली वाली बूआ से दोस्ती हो गई ? ” अनुराधा बोली,
” और तुम्हारे क्या हाल हैं ? ब्रांड एम्बेसडर की नौकरी कैसी चल रही है ? “
यों तो रिश्ते में अनुराधा उससे बड़ी है।
पर नैना ही विनोद से उसकी सगाई से लेकर शादी तक की सभी रस्मों में साथ रही है। तो उन दोनों में सहेलियों जैसे ही व्यवहार हैं।
” सब उपरवाले की मर्जी है “
अनुराधा पल भर उसे ध्यान से देखती रही जैसे नैना का चेहरा ना हो कर कोई पहेली है फिर,
” तुम्हारी माया तुम ही जानो। वैसे आगे के जीवन के बारे में क्या सोचा है ? “
नैना मुस्कुराई ,
” क्यों तुम्हारा जीवन तो मजे में कट रहा है अब मेरा क्या ? मैं जी नहीं रही हूं क्या ?
” मैं पूछ रही हूं ब्याह कब करोगी ?
” मैं ब्याह नहीं करूंगी “
” यह क्या कह रही हो तुम ? यह कोई जीवन है नैना ? “
” आइ एम इन लव “
” यह तुम क्या कह रही हो लड़की ?
हमारे घर में सात पुश्तों तक किसी ने प्रेम किया है ?
और प्रेम-विवाह की तो सोचना भी मत “
मां जो कब से इन भाभी ननद की चुहलबाज़ी सुन रही थीं। एकदम से बिफर उठी थीं।
थोड़ी देर के लिए मौन छा गया था।
नैना सोचने लगी , सोचा तो था , हिमांशु मिल भी गये हैं पर उसका साथ ?
सोच कर ही उदास हो गई है नैना।
शाम को बच्चे के अन्नप्राशन की पूजा हुई।
मां – बाबा ने जो कुछ भी उसके मुंह में डाला उसे वो खूब मजे से चुभलाता रहा। नैना ने भतीजे की कितनी तो तस्वीरें उतारीं हैं।
रात को फंक्शन के पूरा होने के बाद सब एक साथ बैठे थे।
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डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -43)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi