डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -41)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

पंद्रह मिनट बाद ही वह किचन में जल्दी – जल्दी आंटा गूंध रही थी।

आलू प्रेशर कूकर में उबल रहे थे। एक तरफ उसने  चटनी के लिए बैंगन टमाटर पकने को रख दिए थे।

लगभग तीस  मिनट बाद वह कमरे में आलू के परांठे ,टमाटर की चटनी और मग में गर्म काॅफी की ट्रे ले कर कमरे में आई।

हिमांशु कमरे में घूम कर सेल्फ पर रखे तस्वीरें देखने में व्यस्त हैं।

एक तस्वीर जिसमें नैना, सपना  और शोभित के साथ खड़ी है। हिमांशु के हाथ में वही तस्वीर लहरा रही है।

उसे यह ख्याल आया यह तस्वीर उसे हटा देनी चाहिए थी।

नैना बैठ गई ।

दो निवाले खाने के बाद बोला,

” अच्छे बने हैं। तुम भी खाओ ना “

कहते हुए काॅफी के दो घूंट लिए। अच्छी गृहस्वामिनी बनने के काफी लक्षण हैं तुम्हें “

हिमांशु बोला था। उसका स्वर गंभीर है।

नैना कुछ नहीं बोली उसे माया की याद आई,

” हिमांशु जिसे प्रेम करता है। उसके प्रति पजेसिव हो जाता है “

मुझको लेकर हिमांशु में अधिकार की भावना है। आखिर प्रेम में लोग पॅजेसिव क्यों हो जाते हैं ?

वो ट्रे किचेन में रख कर लौटी तो हिमांशु ने उसे हाथ पकड़ कर पास ही बैठा लिया। फिर कंधे से पकड़ कर साथ सटा लिया उसकी बड़ी -बड़ी आंखों में झांकते हुए ,

” तुम्हारी आंखें कितनी गहरी हैं इनमें  सिवाय मेरे किसी की परछाई  ?

नैना मन ही मन उद्वेलित हो गई।

” तुमने मेरी बात का जवाब नहीं दिया  ? मुझसे गुस्सा हो ? कहते हुए उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया ।

स्पर्श परिचित था। पहचान की तरंग ने नैना की

देह को तरंगित कर दिया।

धीमें से ,

” नाराज़ नहीं हूं, पर उलझन में जरूर हूं “

” किसे ले कर , मुझे ?  “

” तुम्हे लेकर, खुद को लेकर  “

हिमांशु एक क्षण को अलग हुआ फिर त्वरित गति से पास आ कर ,

”  मुझे तुमसे यह कहने की जरूरत नहीं है, कि हम कितने पास थे  “

नैना चौंक गयी।

उसके स्वर से ऐसी ध्वनि आ रही है।

जैसे किसी अपरिचित या फिर अपराधी ?

उसने हिमांशु की ओर देखा — सामान्य दृष्टि — किसी विशेष भाव से विहीन।

तभी फ़ोन घनघना उठा था , घर से पिता का फोन है। पल भर में उसे अपना अतीत , वर्तमान और  घर परिवार में सारे सम्बन्ध याद आ गये।

उसने हिमांशु से अलग हट कर फोन उठाया था।

फोन पर पिताजी का भारी स्वर  ,

” विनोद के बच्चे का अन्नप्राशन है सभी तुम्हारी राह देख रहे हैं,  जया और रोहन कुमार भी आ रहे हैं “

आवाज से स्पष्ट था, आग्रह नहीं आदेश है।

हिमांशु ने हाथ थामने की कोशिश की थी। लेकिन तब तक नैना संभल चुकी थी।

उसने सिगरेट सुलगा ली और पैंट की जेब से एक पुड़िया निकाल रहा है।

नैना ने कनखियों से देखा , फिर नज़र घुमा ली।

उसे माया दी से हिमांशु के इस नये शौक का पता चल चुका है।

अन्नप्राशन की डेट एक हफ्ते बाद की थी , तो औफिस से छुट्टी लेने और सारी तैयारियां पूरी होने में  ही समय निकल गया।

अगला भाग

डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -42)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!