” हां!”
मैं यहां काम करती हूं “
” कहां ?”
” मैक्स में ब्रांड लीड करती हूं। “
” वाह! “
” शुक्रिया ” फिर उसने हिमांशु के उसे छोड़ कर चले आने के बाद से लेकर के अब तक की कहानी एक- एक कर बिना एक भी पन्ना भूले सुना दी थी।
और अब अपने जया दी से अलग हो कर रहने और शोभित की दास्तान भी बिना कुछ छिपाए हुए वृतांत से बता दिया।
” तुम्हारी जिंदगी उठान पर है ” सुन नैना को याद आई जया दी ने कहा था ,
” अपनी जिंदगी सवांर ले नैना “
हिमांशु से मिल कर एक बार फिर से सब कुछ पहले के जैसा गड्ड-मड्ड और बेतरतीब लग रहा है।
नैना सत्ब्ध है,
” मैं तुम्हें अपनी मां और बहन से मिलवाना चाहता हूं “
इस एक वाक्य के बोलने से हमारे बीच के न जाने कितने अबोले हुए वाक्यों के बांध टूट गये।
बीच का कुछ कच्ची मिट्टी की दीवार की तरह भरभरा रहा था।
मीनू बंद करते हुए नैना ने बैरे से दो खस के शर्बत के लिए कहा ।
पूछना चाहती थी ,
” इतने बर्षों तक याद क्यों नहीं किया ? कोई खोज खबर क्यों नहीं ली ? “
पर नहीं पूछ सकी सिर्फ पूछी,
” कहां रहते हो ? “
मैं चुप था। उससे माफी मांग सकता था पर उसपर माफ कर देंनें का एक्स्ट्रा बर्डेन नहीं डालना चाहता हूं।
— बताओ कुछ । कहां रहे ? क्या किया ? “
उसकी सब कुछ जान लेने को उतावली आंखों में सीधे झांकते हुए,
” आनन-फानन में वहां से तबादला करवा के यहां चला आया। तब से यहीं नौकरी की अब तो सीनियर हो गया हूं।
” दिल्ली में ही रह गए ? “
” हां ! उस दिन जया इंटरव्यू के लिए आई थी जिससे मुलाकात के बाद खुद को रोक नहीं पाया “
वह सुनती रही । फिर यकायक ,
” कब ले चल रहे हो अपने घर ? “
हिमांशु ने कोई जवाब नहीं दिया था।
शाम ढ़ल रही थी। वे रेस्तरां से निकल कर सी .पी तक पैदल ही चल पड़े थे।
इस मुलाकात के अगले ही दिन सपना सुबह-सुबह उसके पास आई थी। नैना उस वक्त चाय जानने जा रही थी। उसे चाय का प्याला पकड़ाती हुई ,
” इतने तनाव में क्यों हो “
” नैना, आय’म डेस्पेरेटली इन लव ! “
” बट , इसमें कौन सी नयी बात है, यूं हैव बीन डेस्पेरेटली इन लव फ्रौम ए लांग टाइम “
सपना ने नैना को , ‘देवेन्द्र राज’ से पहले ही मिलवाया था।
किसी कंपनी में एक्जीक्यूटिव था।
शांत, मितभाषी और गंभीर। चुलबुली सपना के ठीक उलट उसकी पर्सनेलिटी में गंभीरता थी।
इस समय सपना आत्मलीन और गंभीर है ,
” देवेन्द्र के घरवालों ने उसकी शादी तय कर दी है। जो अगले ही महीने होनी है “
” ऐसी हालत में अगर हमें कुछ करना है मेरा मतलब शादी तो अगले ही हफ्ते करनी होगी “
नैना सन्नाटे में आ गई ,
” देवेन्द्र , क्या वह राजी है ?
” हां ! कहता है अगले ही हफ्ते में कर लो शादी”
” लेकिन आंटी जी ? उनका क्या ? जया दी को तो मैं जानती हूं “
” उन्हें माननी पड़ेगी ! यही एक कांटा मेरे मन ही चुभ रहा है नैना ” उसने नैना के हाथ पकड़ लिए,
” मैं देवेन्द्र को किसी कीमत पर नहीं खो सकती”
अगले इतवार की शाम को हनुमान गंज के आर्यसमाज मंदिर में एक सादे समारोह जिसमें हिमांशु और उसकी बहन माया दोनों आए थे।
में सपना की विधिवत् शादी हो गई थी।
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डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -39)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi