रोहन के लिए … मैं ठीक थी। बस इतना ही काफी था। लेकिन सासु मां उखड़ी-उखड़ी रहतीं।
मैं अक्सर अपने पेट पर हाथ फेरती पर अब वहां कोई हलचल नहीं मिलती।
जब तक घर में रोहन रहते तब तक तो सब ठीक रहता लेकिन उनके घर से निकलते ही ,
” हो गई मास्टरी ! बन गई अफसर ! गिरा दिया ना बच्चा!
जब किताबें ही बांचनी थी तो रहती अपने ही घर में ही, शादी ही क्यों की थी ? “
ऐसे सुंदर- सुंदर वाक्यों से नवाजती रहती।
दुखी तो रोहन भी थे। थोड़ी शिकायतें उन्हें भी थीं। लेकिन अगर अच्छा दोनों का था।
तो बुरा भी दोनों का होगा। यह सोच कर चुप ही रहते।
मैं धीरे- धीरे सब भूलने लगी थी।
एक सुबह जब सब ब्रेकफास्ट पर बैठे थे।
जया को बहुत जोरों से उबकाई आती थी। वह भागी- भागी बाथरूम में गई।
सासु मां का चेहरा चमक गया था।
जया के माथे पर पसीने की बूंद चुहचुहा आई
वह दुबारा पेट से थी।
पूरे घर में जश्न का माहौल था।
रोहन भी खुश थे। बल्कि सासु मां तो अभी से लड़के का नाम खोजने में लग गई थीं । जिसे देख कर मैं मन ही मन कुढ़ती,
” यह क्या बात हुई रोहन ? उन्हें कैसे पता मुझे लड़का ही होगा ?
लड़का हो या लड़की ? हमारी औलाद है , हमारे लिए दोनों बराबर है “
जया ने दो टूक कहा था।
” तुम्हें अंदाजा नहीं है वे कितनी खुश हैं। अच्छा तुम ये सब छोड़ो इस बार ध्यान से रहना।
पहले भी — ”
उसे जया का यह विद्रोही स्वरूप जरा नहीं पसंद आया था।
वह कुछ कहता हुआ चुप हो गया था।
लेकिन जया , उस कुछ ना कहे हुए को भी मन ही मन समझ गई थी ,
” क्या पहले भी ? क्या मेरी ग़लती से सब कुछ हुआ है “
” आप सबने ने जितना सहा है। उससे कहीं ज्यादा मैंने सहा है ” तुम्हारी मां भी हरदम मुझे ही सुनाती हैं। उन्हें मेरी भावी संतान प्यारी है पर मैं नहीं “
” अब तुम मां को बीच में मत लाओ ” कहते हुए रोहन बाहर निकल गया।
कुछ दिनों तक घर में ऐसा तनाव बना रहा कि तीली दिखाओ तो विस्फोट हो जाए।
फिर जया ने सोचा इन लोगों की ‘ वेव लेंथ ‘ ही बिल्कुल दूसरी है।
और उसने फिर से नैना को वहां बुलाने की मांग रख दी।
रोहन ने भी अपनी मंजूरी दे दी थी यह सोच कर कि ,
” इस समय अधिक तनाव जया की सेहत के लिए ठीक नहीं होगी “
आगे …
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डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -28)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi