डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -20)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

– जया

कुछ दिनों के बाद ही शादी की डेट फिक्स हुई थी।

विकास की याद अब उसकी पिछली जिंदगी का महज हिस्सा बन कर दफन होने को तैयार हैं।

” क्यों कि अपने पारिवारिक पृष्ठभूमि में उस बन्दिशों में मैं अगर चाहकर भी अपने पंख फैलाने की कोशिश करती तो शायद नाकाम होती या बुरी तरह ज़ख़्मी हो कर जमीन पर गिरती “

जया यही सोच रही है ,

शादी की रात जब मैं ने ट्रेन में रोहन की तरफ भरपूर नजरों से देखा तो मुझे उसपर प्यार आ गया।

वह हल्के से मुस्कुराया , यही होती है शायद औरत !

प्यार को एक पल में स्वीकार करने वाली। मेरी जिंदगी पर अब सिर्फ रोहन का हक होगा। वही मेरा नाविक और वही मेरा खेवईया।

बाकी  सब रात के अंधेरे में पेड़, पहाड़ , हवा और और घर के साथ अतीत के संग पीछे छूटते जा रहे हैं।

रोहन के घर के दरवाजे पर घर की लड़कियों की भीड़ स्वागत के लिए खड़ी थी। आरती की थाल लाई गई।

मैं ने चावल से भरे लोटे को घर के अंदर किया और मेरा गृहप्रवेश हो गया।

मैं गुड़िया सी बनी- सजी , अजनबी घर और  अंदर ढ़ेर सारा डर …

अपने पच्चीस साल से सहेजी हुई सबसे  कीमती चीज , अनमोल धरोहर मुठ्ठी बांधे समर्पण करने को तैयार बैठी थी रोहन के इंतजार में सोच रही थी।

” ये शादियों की रस्में, रीति- रिवाज , फूल , शहनाई ये बाजे- गाजे , बारात वास्तव में अगर ये सब ना हो हो तो इंसान कितना सहज बना रहे।

साथ ही यह भी कि,

अगर दो अजनबी जब एक बनते हैं। और अगर उनमें आपस में ना ही बने तो बंधन तोड़ने के पहले इन सब का ख्याल ही तो उन्हें बचा ले जाता है।

रात करीब एक बजे रोहन ने दरवाजा बंद किया।

रोहन मुझे देख कर मुस्कुराया मुझे बहुत शर्म सी महसूस हुई।  उसने कंधे पर प्यार से हाथ रखते हुए ,

” आज से हम पहले एक दूसरे को जानेगें , पसंद- नापसंद , एक दूसरे की अच्छी बुरी आदतें, कमियां – खूबियां ,

पहले हम धीरे- धीरे इसे अपनाएंगे तब एक दूसरे को अपनाएंगे ,

एकदम से आया कोई बदलाव  तुम्हें  बेचैन कर देगा। और मैं ऐसा नहीं करना चाहता सब सहज – स्वाभाविक ढंग से चलने दो “

ऐसा कह कर उसने मेरा माथा चूम लिया और फिर हमने सारी रात खूब ढ़ेर सारी बातें की।

अगला भाग

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