डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -19)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

— नैना

मैं ने नोटिस किया आंटी जी एक टक से जया दी को घूरे जा रही थीं।

रोहन कुमार मंद- मंद मुस्कुरा रहे हैं।

जया एकदम से झेंप गई थी।

जब आंटी जी  करीब आ विस्मित जया को गले से लगा लिया था।

मैं हतप्रभ सी कभी उनको और कभी किचन के सामने खड़ी मां को देख रही थी।

उन्होंने जया के गले में सोने की माला डालते हुए ,

” जया आज से तुम मेरी बहू हुई “

यह सुनते ही वहां खड़े हम सब के कान झंकृत हो गये। हम सबके लिए अभूतपूर्व था।

मैं ने संभवतः पहली बार पिता के आंखों में आंसू देखे थे।

मां बाबरी सी घर के ही मंदिर में  रखी घंटियां डुलाती हुई रो पड़ी ।

जया ! 

अपने व्यक्तित्व की सार्थकता का स्वाद पूरे मन से चख रही थी।

और मैं मन ही मन गहरी सांस … भर रही थी।

” तो अब हमारे घर जया दी की बारात आएगी।

और दी हम सबको छोड़कर ‘रोहन कुमार ‘ के संग  ‘ विकास ‘ की यादों के संग विदा हो जाएगी  “

विकास हमारे पड़ोसी थे। जिनके आत्मिक संबंध दी से जुड़ गये थे। जिनसे सिर्फ एक बिरादरी के नहीं होने के कारण पारिवारिक  दबाव में आकर  दीदी  उन्हें स्वीकार नहीं कर पाई थी। लेकिन दिन -रात बिसूरती रहती थीं।

नहीं ,

यह जीवन की सुंदरता नहीं हो सकती ।

कम से कम मेरे लिए तो कत्ई नहीं हो  सकती।

यह मेरा परिवार है। तो इनका सुख- दुख मेरा है।

पर मेरा सुख- दुख सिर्फ मेरा है।  मैं उसे इनके साथ नहीं बांट सकती। क्यों कि एक हद तक ही ये उसे समझ पाएंगे।

मेरी मंजिल इस सबसे हट कर कहीं और है। इसका तनिक भी भान तक इन्हें नहीं है।

अपने लिए यह विचार स्वीकृत करने में नैना को एक पल भी नहीं लगा।

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