मृगमरीचिगा – आरती झा आद्या

तू क्यूं नहीं समझ रही है रक्षा, शादीशुदा है वो। जिंदगी बर्बाद हो जाएगी तेरी.. रक्षा के ही दफ्तर में काम करने वाली सुरम्या उसे समझा रही थी। पता नहीं तुझे उससे क्या दिक्कत है सुरम्या। कितना तो ख्याल रखता है मेरा। जब मुझे प्रिय कहकर संबोधित करता है तो ऐसा लगता है जैसे वो … Read more

अधिकारों को आग लगा दी है – गीता वाधवानी

नई नवेली बहू सुरभि घर में आ चुकी थी। आशा जी का बेटा सौरभ उसे ब्याह कर लाया था। सुरभि और सौरभ एक ही ऑफिस में साथ काम करते थे।       आशा जी एक शांत, गहरे व्यक्तित्व की स्वामिनी थी। माथे पर बिंदी, बालों का जूड़ा, दोनों हाथों में सिर्फ एक एक सोने की चूड़ी, गले … Read more

अपने पैसों का तोहफा – रश्मि प्रकाश

‘‘क्या इसी दिन के लिए तुम्हें इतना पढ़ाया लिखाया? अरे बेटा जी जिन्दगी में हर चीज हाथ में मिल जाए तो मेहनत के फल का मोल कैसे जानोगे।’’ बड़े प्यार से नेहा  को उसके पापा समझा रहे थे जो अपने पति से नाराज़ हो कर कुछ देर पहले मायके आ गई थी बात बहुत खास … Read more

वो मनहूस नौलखा – कुमुद मोहन

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बिस्तर पर लेटी राधा छत पर घूमते पंखे की घूमती पंखुड़ियों को ध्यान से देख रही थी जिनके घूमने के साथ साथ जैसे वक्त का पहिया कई साल पीछे चला गया हो। सोचते सोचते यादों की किताब के पन्ने जैसे एक-एककर खुलने लगे। वक्त की स्याही धुंधली जरूर पड़ गई थी पर शब्दों के निशान … Read more

राखी का अनमोल तोहफ़ा,, ना कभी देखा होगा ना सुना होगा,, – सुषमा यादव

,, मेरे प्यारे भैया, कहां हो तुम ? जहां भी होंगे, अच्छे से ही होंगे,, राखी का त्यौहार आ रहा है, तुम्हारी बहुत याद आ रही है, और उस राखी पर तुमने मुझे ऐसा अनमोल उपहार दिया शायद ही किसी भाई ने आज़ तक अपनी बहन को दिया होगा ,, तुम्हें याद है,जब मैं तुम्हारे … Read more

नींव का पत्थर – नम्रता सरन”सोना

“अरे भाभी! घर का तो नक्शा ही बदल दिया, ऐसा लग ही नही रहा कि यह वही घर है, जहाँ मेरा जन्म हुआ, जहाँ मैं पली- बढ़ी, सब कुछ बदल गया। हाँ,  पर अच्छा किया आपने रिनोवेशन करवाकर” संस्कृति ने चारों तरफ नज़र घुमाते हुए कहा। संयोगवश काफी समय के बाद संस्कृति मायके आई थी, … Read more

स्नेहिल छाँव – सपना शिवाले सोलंकी

“सुनों बहू ,इतनें सालों से खूब संभाल ली इस गृहस्थी को अब मेरे बस की बात नहीं …” रमा ने बड़े ही तल्खी के साथ कहा था। नेहा को सुनकर थोड़ा अजीब तो लगा पर उसनें बड़े ही प्यार से कहा, “जी मम्मी आप समझा दीजिएगा जैसा आप कहेंगी मैं वैसा कर लूँगी” और उस … Read more

फ़ैसला – प्रीति आनंद अस्थाना

“मैं नहीं रह सकता अब एक भी दिन इस जाहिल औरत के साथ! इसके शक्ल से चिढ़ हो गई है मुझे!” अविनाश की तेज आवाज़ सुन शोभना जी ड्रॉइंग रूम में पहुँची तो वहाँ का नज़ारा कतई ख़ूबसूरत नहीं था। काँच के टुकड़े ज़मीन पर बिखरे हुए थे। कार्पेट गीला हो रहा था। अविनाश का … Read more

भाभी की सीख – अनुपमा

मानसी मानसी कहां हो , जल्दी बाहर आओ तुम्हे कुछ दिखाना है । आशु आवाज देता हुआ सीधे मानसी के कमरे मैं चला गया और उसे लगभग खींचता हुआ बाहर ले आया और उसे अपनी नई बाइक दिखाने लगा । मानसी और आशु पड़ोसी थे ,साथ है बचपन से , नर्सरी से कॉलेज भी साथ … Read more

संजीवनी बूटी सा मायका — डॉ उर्मिला शर्मा

ट्रैन से उतरकर नम्रता ने आंखों में गहरे उतार लेने वाली नजरों से प्लेटफार्म को देखा। मन एकसाथ घोर अपनापन और परायापन दोनों से भर उठा। यह उसका अपना शहर, अपना मायका है। वह यहां एक दिन के लिए एक सेमिनार में आई थी। घर से निकलते समय पड़ोसन शिल्पा ने उसे लगेज के साथ … Read more

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