बेटी एक आत्मानुभूति – प्राची लेखिका : Moral Stories in Hindi

Moral stories in hindi

Moral Stories in Hindi : सोमेश एक प्राइवेट कंपनी में काम करने वाला एक मामूली मुलाजिम है। उसकी आमदनी सीमित है। परिवार में उसकी पत्नी ज्योति और दो बेटियां नैना और प्रिया है। मध्यमवर्गीय परिवारों में आर्थिक समस्या चलती ही रहती हैं। सोमेश दोनों बेटियों से भी थोड़ा कटा-कटा सा रहता था। वह सोचता अगर … Read more

अब कैसी शिकायत? – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : ” बहू,  आज कहाँ जा रही हो ?? “ ” माँ जी, वो मुझे कुछ सामान लेना था इसलिए मार्केट जा रही हूँ। ” बोलकर रूही गाड़ी की चाबी घुमाते हुए घर से निकल गई।    वंदना जी मुंह देखती रह गई और पीछे से बड़बड़ाते हुए बोलीं, ” हुंह… ये … Read more

अब से बहू की शिकायत ना बाबा ना…- रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : आज सुबह से मानसी का मन कर रहा था माँ से बात कर लूँ….. कब से कह रही थी पोते पोती से मिलने का मन कर रहा है..इतने दिनों बाद भाई भाभी के पास गई है तो मैं भी हर दिन फ़ोन नहीं करना चाहती ….पता नहीं भाभी ये ना … Read more

कुछ लोगों की आदत नहीं होती शिकायत करने की! – प्रियंका सक्सेना : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : आज सुबह से ही घर में सन्नाटा पसरा हुआ है। माला की तबीयत कुछ ठीक नहीं है तो वह बिस्तर पर ही है। अरे ना! ना! अपनी मर्ज़ी से नहीं वो तो माला के पति सुबोध ने जब उसकी हालत खराब देखी तो उठने ही नहीं दिया। माला तो उठ … Read more

इस गुनाह की माफ़ी नहीं! –  प्रियंका सक्सेना

आज गार्गी और राकेश बहुत परेशान हैं बार-बार एकदूसरे को देख रहे हैं। वे दोनों पापाजी के रूम में कुर्सियों पर बैठे हैं ,पास में ही पापाजी लेटे  हैं शायद अब जाकर उनकी आँख लग गई है।  तभी उन दोनों ने एकदूसरे को आँखों ही आँखों में कुछ इशारा किया और पापाजी के रूम से … Read more

 वक्त  – प्रियंका सक्सेना

“मां, आज खाने में शाही पनीर‌ बनाना, प्लीज़।” सोहम ने लाड़ से कहा तो सुधा ने बोला ,” ठीक है बेटा। तुम जब तक अपना सारा होमवर्क और टेस्ट की तैयारी कर लो मैं शाही पनीर और मटर-पुलाव बना देती हूं। ” “मेरी प्यारी मां॑!” “बस-बस! मक्खनबाजी नहीं, पढ़ाई ‌करो।” धीरे से प्यार से गाल‌ … Read more

‘एक नई आस्था –  प्रियंका सक्सेना

प्यार के दो शब्दों के लिए तरस गई थी वह लेकिन इस घर में मानो किसी को उसकी जरूरत ही नहीं थी सब अपने आप में व्यस्त रहते हैं। कतरा कतरा होकर बिखर चुका था उसका आत्मविश्वास और आत्मसम्मान… स्वाभिमान किसे कहते हैं उसे तो शायद मालूम ही नहीं है! सासु माॅ॑ रमोला जी का … Read more

सोने का  मंगलसूत्र – प्रियंका सक्सेना

 “माँ, तुम  काला धागा गले में क्यों पहनती हो?” मीरा ने पूछा. “बेटा, ये मंगलसूत्र है, सभी औरतें पहनती हैं।” कांता ने बर्तन साफ करते-करते बेटी को बताया. तभी रसोई घर में विभा आ गई, मीरा को देखकर कहा, “अरे! आज मीरा भी आई है, कांता तुम्हारे संग।” “जी मेमसाब, इसके स्कूल में छुट्टी चल … Read more

चिर स्वाभिमानी बेटी – प्रियंका सक्सेना

  “अम्मा, मैं जा रही हूं पीछे से खाना खा लेना। मेरी चिंता मत करना मैं दोपहर में समय से आ जाऊंगी।” सुधा ने अम्मा से कहा “बिटिया, तुमने नाश्ता कर लिया?” अम्मा ने विद्यालय जाती सुधा से पूछा “अम्मा, इंटरवल में कैंटीन से कुछ मंगा लूंगी। अभी देर हो जाएगी फिर प्रिंसिपल सर की … Read more

भरोसा माॅ॑ का! – प्रियंका सक्सेना

“तुम्हें कुछ खबर भी है, कहां जाता है तुम्हारा बेटा?” रामेश्वर जी ने शांता जी से कहा ” अरे,आप क्यों परेशान हो रहे हैं। आता ही होगा। गया होगा किसी दोस्त से मिलने। अरे हाॅ॑! याद आया ग्रुप प्रोजेक्ट कर रहें हैं साथ में बच्चे।” शांता जी बोली ” समझा करो शांता। रोहन बड़ा हो … Read more

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