आज सही मायने में मुझे बेटी मिली – संगीता त्रिपाठी

जिंदगी भर जिसकी कद्र नहीं की,” आज  न जाने क्यों उसकी यादें, मेरी आँखों में आँसू भर रहे हैं..?, “तुम सही कह रही, राधा,.। आखिर हीरे की परख जौहरी ही तो करता हैं, पर हम हीरे की परख समय बीत जाने के बाद कर पाये..।               जो बहुएँ, आपकी नौकरी तक, हमारे आगे -पीछे घूमती … Read more

फैसला – माता प्रसाद दुबे

पोस्टमैन! शम्भु नाथ जी के घर के बाहर खड़े डाकिये ने आवाज दी। अभी आती हूं?”कहते हुए शम्भु नाथ जी की पत्नी गायत्री दरवाजा खोलते हुए बोली। गीता देवी! पोस्टमैन बोला।”हा हमारी बहू का नाम है?”गायत्री पोस्टमैन से बोली।”गीता देवी को बुलाइये?”पोस्टमैन बोला। गीता! बाहर आओ.. तुम्हारा लेटर आया है?”गायत्री जोर से बोली। गीता ने … Read more

मर्यादा का उल्लंघन – लतिका श्रीवास्तव

……मेट्रो ट्रेन अपनी रफ्तार से आगे बढ़ती जा रही थी….. आज कुछ ज्यादा ही भीड़ थी….सुदीप्ता काफी बेचैनी महसूस कर रही थी खड़े खड़े आज उसके पैर भी दर्द करने लगे थे…तभी अचानक उसे अपने एकदम नजदीक कुछ अनचाहा सा स्पर्श महसूस हुआ…एकदम छिटक कर उसने देखा तो एक स्मार्ट सा बंदा भीड़ का फायदा … Read more

 बेगाना होते हुए भी तुमने अपना बना लिया – अर्चना कोहली “अर्चि”

“अब क्या होगा। इतनी जल्दी इतने सारे पैसों का इंतजाम कैसे होगा। जिन भाइयों पर भरोसा था, उन्होंने ही कन्नी काट ली। माता-पिता के जाने के बाद जिन्हें अपने पैरों पर खड़ा किया। हर खुशी उन पर न्योछावर कर दी। आज मेरा व्यापार मंदा होने पर लगता है, जायदाद के साथ दिलों का भी शायद … Read more

मर्यादा के नाम पर…. संगीता त्रिपाठी

 लल्ला को जी भर कर कूटने के बाद भी पिता रामप्रसाद का जी नहीं भरा, पैरों से धकेल एक घूँसा और जड़ दिया। बचाने आई पत्नी और बड़ी बेटी तन्वी को भी कई हाथ पड़ गये। लल्ला के आँसू सूख गये, आखिर किस बात पर पिता ने उसे मारा, क्या कसूर था उसका। क्या बहन … Read more

“कर्तव्य” – ऋतु अग्रवाल

 “माँ, सुलेखा, देखो आज आप सबके लिए एक सरप्राइज है।” मयंक एक हाथ में मिठाई का डिब्बा और दूसरे हाथ में ब्रीफकेस लिए खड़ा था।        पर वहाँ उसकी बात सुनने वाला कोई ना था। हाथ का सामान टेबल पर रख मयंक माँ के कमरे में गया। माँ आंखें बंद किए लेटी थी।       “माँ! क्या हुआ? … Read more

 तुमने तो सगे रिश्तों का मान नहीं रखा! –  प्रियंका सक्सेना |  Short Hindi Moral Story

“लता, गुनगुन को मेरे साथ शहर भेज दो, शहर में पढ़ लिख कर कुछ काबिल बन जाएगी। यहां गाॅ॑व में देवर जी के गुजर जाने के बाद तुम बड़ी मुश्किल से खेतों में काम करके अपना गुजारा चलाती हो। कैसे इसको 12वीं के बाद पढ़ा पाओगी? अभी आठवीं में है, शहर से बारहवीं करवा कर … Read more

मैं ऐसा कभी नहीं कर सकती…. रश्मि प्रकाश

गरिमा की आँखों से अविरल आँसुओं की धारा बह रही थी…. उसका इस तरह अपमान होगा वो सोच ही नहीं पा रही थी…. बड़ी भाभी ने जो अपमान किया वो तो वो बर्दाश्त भी कर लेती पर क्या माँ को भी मुझ पर भरोसा नहीं रहा….सालों से इस घर में अपनी सेवा के परिणामस्वरूप ऐसा … Read more

सगे भाई का फर्ज – अनामिका मिश्रा 

सविता के दो बच्चे थे और उसके पति छोटी-मोटी नौकरी करते थे। वो एक स्कूल में शिक्षिका थी।  छोटे बच्चों को पढ़ाया करती थी।  सविता बहुत ही मिलनसार स्वभाव की थी सब स्कूल में उसे पसंद करते थे। एक दिन प्रधानाध्यापक ने किसी स्टाफ से पूछा, “मोहन, क्या बात है चार दिनों से सविता नहीं … Read more

  राखी – उमा वर्मा

 अब के बरस भेज भैया को बाबुल, सावन में लीजो बुलाये—“” गुनगुना रही थी नन्दिनी ।दो दिन बाद राखी है ।इस बार खुद जाकर राखी बांधना चाहती है वह ।”” भैया को क्यो, खुद ही चली जाओ ना,मै कल ही टिकट का इन्तजाम करता हूँ “” अजय ने कहा ।आठ साल बाद नन्दिनी अपने पीहर … Read more

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