हर बेटा शादी के बाद नहीं बदलता – मीनाक्षी सिंह

सुमित एक एमएनसी में बी .टेक करके एक बड़े ओहदे पर कार्यरत था  ! छह बहनों में एकलौता  भाई और सबसे छोटा था सुमित ! सभी उसी से उम्मीद लगाते थे कि अब ये ज़िम्मेदारियां संभालेगा ! और उम्मीद गलत भी नहीं थी ,सुमित था भी ऐसा ! स्वभाव से बहुत ही सरल ,मृदुभाषी और … Read more

बेटी – गीता चौबे “गूँज”

फोन का रिसीवर रखने के बाद रजनी के मन में अपनी बिटिया रंजीता के आखिरी शब्द बहुत देर तक गूँजते रहे…  ‘बेटी को बेटी ही रहने दो, उसे बेटा मत बनाओ…’   रजनी अवाक रह गयी और गहराई से सोचने लगी कि उससे चूक कहाँ हुई। इतना आक्रोश कैसे भर गया उसकी बेटी के मन में। … Read more

संस्कार तो बेटे को भी देने पड़ते हैं। – अर्चना खंडेलवाल

“मुझे उम्मीद नहीं थी सात साल बाद ऐसा कुछ होगा!!! अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था सामने प्राची को देखकर लग रहा था कि दुनिया बहुत ही छोटी है सोना कभी प्राची से फिर से मिलेगी ऐसा सोना ने सपने में भी नहीं सोचा था। जो रिश्ते संज्ञाहीन और भावशून्य हो जाये उन … Read more

अतीत का सबक – डॉ. पारुल अग्रवाल

संजना को आज बेटी सांभवी के करुणा से भरे हुए शब्दों और विनती ने आज से लगभग तीस साल पहले पहुंचा दिया था। जब वो बीस बाइस साल की कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा थी। जिसकी दुनिया घर से कॉलेज और कॉलेज से घर तक ही सीमित थी। जिसे कॉलेज में पढ़ने के लिए तो … Read more

वारिस – कमला अग्रवाल

बच्चे का मुख चूमते हुए सुधीर ने आवाज दी , ” रुपा मैं चला ,सलोने का ख्याल रखना “। ” अरे ! आज तो चाय पी के जाइए “   ” नहीं रुपा ! तुम जानती हो ,घर पर सुप्रिया मेरा इन्तजार कर रही होगी ,चाय उसी के साथ पिऊंगा ।” रुपा के चेहरे पर … Read more

घर की मर्यादा – सविता गोयल

मिनाक्षी की शादी एक सम्पन्न परिवार में हुई थी। किसी चीज की कोई कमी नहीं थी ससुराल में| शहर में बहुत इज्जत और नाम था उसके ससुर जी का| घर में एक जेठ-जेठानी और एक कुंवारा देवर था जो बाहर पढ़ता था| मिनाक्षी की जेठानी बहुत ही सीधी-साधी सी थी, बस अपने काम से मतलब … Read more

मुझे अपने संस्कारों से समझौता पसंद नहीं – अर्चना कोहली “अर्चि”

माया का रंग कुछ दबा हुआ था। इस कारण उच्च पद पर होने के बावजूद उसकी शादी में रुकावट आ रही थी। माता-पिता द्वारा बहुत चप्पलें घिसने के बाद एक जगह उसकी बात बन गई। शादी का मुहूर्त दो दिन बाद निकला। समय कम था। ज़ोर-शोर से शादी की तैयारियाँ शुरू हो गई।। एक दिन … Read more

आखिरी विदाई – रश्मि प्रकाश

“अरे बेटा ध्यान से अपनी माँ को तैयार करो…. बिल्कुल सोलह श्रृंगार करना उसका… और हाँ उसकी शादी वाली चुनरी भी ज़रूर ओढ़ा देना।”अपनी बहुओं को हिदायत देते किशोर बाबू अपनी धर्मपत्नी को निहार रहे थे। सुनंदा जी की आँखें ज़रूर बंद थीं पर चेहरे पर मुस्कुराहट विराजमान थी ….दोनों बहुएँ जया और हिना और … Read more

बहू भी तो बेटी है – रश्मि प्रकाश

“हैलो माँ हम लोग मथुरा जाने का सोच रहे है, तुम बोल रही थी ना तुम्हारा बहुत मन है मथुरा घूमने का तो तुम यहां आ जाओ फिर हम जाएंगे। तुम आओगी ना? टिकट करवा देती हूँ। बस तुम ये बता दो कब आओगी फिर हम जाने की तैयारी करेंगे।” राशि ने माँ से पूछा। … Read more

स्वार्थी बेटा – माता प्रसाद दुबे Moral Stories in Hindi

दो दिन गांव में बिताने के बाद रवि वापस घर आ रहा था। उसे अपनी अम्मा की चिंता हो रही थी। जिसे वह ईश्वर की तरह पूजता था। जो दमा की बीमारी से पीड़ित थी। उसके बड़े भाई किशन भाभी सीमा व पांच साल का भतीजा अंकित उसकी अम्मा पुष्पा देवी के पास घर पर … Read more

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