मुझे अपने संस्कारों से समझौता पसंद नहीं – अर्चना कोहली “अर्चि”

माया का रंग कुछ दबा हुआ था। इस कारण उच्च पद पर होने के बावजूद उसकी शादी में रुकावट आ रही थी। माता-पिता द्वारा बहुत चप्पलें घिसने के बाद एक जगह उसकी बात बन गई। शादी का मुहूर्त दो दिन बाद निकला। समय कम था। ज़ोर-शोर से शादी की तैयारियाँ शुरू हो गई।।

एक दिन लड़के प्रशांत की माँ का घर पर फोन आया। उन्होंने बताया, प्रशांत माया को अच्छी तरह से जानने के लिए मिलना चाहता है। माया के माता-पिता को इसमें कोई आपत्ति नहीं थी। वैसे भी रोका तो हो ही चुका था। इसी कारण सहजता से उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया।

एक कॉफी होम में प्रशांत और माया मिले। मुलाकात सही रही। अभी वे एक दूसरे को अच्छी तरह से जानना चाहते थे। आखिर पूरी ज़िंदगी का सवाल था। फिर से मुलाकात करने का दिन निश्चित किया गया। इस बार भी मुलाकात की जगह कॉफी होम था।तीसरी मुलाकात में औपचारिक बातचीत के बाद प्रशांत ने माया से मुसकराते हुए पूछा- “लिव इन रिलेशन के बारे में आपका क्या विचार है”!

अचानक पूछे गए इस प्रश्न से एक क्षण को तो माया भौचक्की रह गई, फिर कहा-

“ये सब तो केवल पाश्चात्य सभ्यता के असर से हो रहा है। ये हमारी संस्कृति नहीं। अपने को आधुनिक कहलाने के लिए युवावर्ग इसके पीछे भाग रहा है। हर चीज़ की एक मर्यादा होती है। संस्कार होते हैं”। माया ने सौम्यता से कहा।

“मैं तो आपको आज के ज़माने की लड़की समझता था। आपके विचार तो बहुत संकीर्ण हैं। मुझे नहीं पता था कि रंग के साथ-साथ आपकी सोच भी  संकीर्ण है”। प्रशांत ने तल्खी से कहा।

माया ने सौम्यता से कहा-

” बात संकीर्णता की नहीं अपने संस्कारों की है। जिसे हम पाश्चात्य सभ्यता के फेर में भूलते जा रहे हैं। लिव इन रिलेशन हो या कॉन्ट्रैक्ट मैरिज। मैं समझ नहीं पा रही हूँ लिव इन रिलेशन के मुद्दे पर आप इतने नाराज़ क्यों हो रहे हैं। इस मुद्दे द्वारा आप कहना क्या चाहते हैं, सीधे-सीधे बताइए। और रही बात रंग की,  आपको पहले ही पता था, मेरा रंग दबा हुआ है। पहले ही मना कर देते”।

“अरे-अरे! तुम तो बुरा मान गई। सीधे तरीके से मैं यह कहना चाहता हूँ, एक दूसरे को अच्छी तरह से जानने के लिए हमें लिव इन रिलेशन में रहना चाहिए। अब तो इसे सरकारी मान्यता भी मिल चुकी है”। प्रशांत ने गुस्से पर काबू पाते हुए ज़ोर से उसका हाथ दबाकर कहा।


“मुझे अपने संस्कारों से, मर्यादा से समझौता पसंद नहीं। मर्यादा, संस्कारों के नाम पर सब कुछ गंवा देना क्या सही है। फिर कल को अगर लिव इन रिलेशन के बाद किसी कारणवश शादी टूट गई तो•••”

“ऐसा कुछ भी नहीं होगा । प्रशांत ने धीरे से कहा।

“क्या आप जो कह रहे हैं, उसे स्टैंप पेपर पर लिखकर दे सकते हैं कि लिव इन रिलेशन के बाद अगर मैं आपको पसंद नहीं आई, तब भी आप मुझसे ही विवाह करेंगे”। माया ने प्रशांत की तरफ़ देखकर कहा।

वो वो••

“क्या हुआ। जवाब नहीं है न! मुझे अपने संस्कारों और देश की संस्कृति पर बहुत गर्व है। इसे मैं किसी भी कीमत पर भंग नहीं कर सकती। अच्छा अब मैं चलती हूँ। ये रहे मेरी कॉफी के पैसे”। माया ने पर्स से पैसे निकालकर प्रशांत के हाथ में देते हुए कहा।

“ये क्या”? प्रशांत ने हैरानी से माया से पूछा।

“मिस्टर प्रशांत। हमारा साथ यहीं तक था। मुझे यह रिश्ता मंजूर नहीं। कल को कहीं आपको मेरे दबे रंग और संकीर्ण विचारों के कारण पछतावा हो। इसीलिए अभी से अलग होना ही बेहतर है। आधुनिकता की दौड़ में अपनों को लज्जित करना और खुद की नज़रों में गिरना मुझे मंजूर नहीं। और हाँ,  आपको पहचानने में किसी लिव इन रिलेशन में रहने की भी मुझे ज़रूरत नहीं। उसके लिए तो मन की आँखों को खोलना ही काफी हैं, कहकर पर्स को उठाकर माया आत्मविश्वास के साथ उठ खड़ी हुई।

#मर्यादा

अर्चना कोहली “अर्चि”

नोएडा (उत्तर प्रदेश)

1 thought on “मुझे अपने संस्कारों से समझौता पसंद नहीं – अर्चना कोहली “अर्चि””

  1. जब शादी का मुहूर्त दो दिन बाद निकला तो दो दिन में इतनी मुलाकातें कहां से हो गयी?
    एक दिन लड़के की मां का फ़ोन आया, मतलब कुछ दिन बाद…… लेकिन तथ्य सही नहीं है।

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