रामपाल की जमीन – नेकराम Moral Stories in Hindi

उन दिनों में एक सेंटमार्क पब्लिक स्कूल का सिक्योरिटी गार्ड था स्कूल में पहली कक्षा से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थी पढ़ते थे उस स्कूल का मालिक अमीरचंद बहुत अमीर था ,,,,,
स्कूल के गेट पर डंडा लिए मैं कुर्सी पर हमेशा बैठा रहता था वेतन भी ठीक-ठाक मिल जाता था
नाइट वाले गार्ड की अचानक तबियत बिगड़ जाने पर मुझे नाइट ड्यूटी पर आना पड़ा,
रात के 2:45 बज चुके थे स्कूल के अंदर और स्कूल के बाहर चारों तरफ सन्नाटा था मैं स्कूल के गेट का अच्छे से ताला लगाकर स्कूल के हर कमरों को एक-एक करके गौर से देखने लगा
प्रिंसिपल के बगल वाले कमरे पर ताला लगा हुआ था मैंने जोर से सीटी बजाई तो उस बंद कमरे से कुछ चीज गिरने की आवाज आई जैसे कोई कुर्सी गिरी हो,,
हो सकता हो,,,,, मेरा वहम हो,,,, यह सोच कर मैं जैसे ही चलने को हुआ फिर एक जोर की आवाज आई,,,
इस बार मैंने ताले पर जोर-जोर से डंडे मार कर ताला तोड़ दिया
कुंडी खोल के कमरे के भीतर गया तो वहां कुर्सी पर एक बूढ़ा व्यक्ति
रस्सी से बंधा हुआ था,,
मैंने तुरंत रस्सी खोलकर उन्हें आजाद किया पूछा आप कौन हो और यहां किसने आपको बांधा है,,
उसने बताया मेरा नाम रामपाल है शहर से 400 किलोमीटर दूर हमारा एक छोटा सा गांव है उस गांव में मैं एक बहुत बड़ी जमीन का मालिक था किंतु जमीन बंजर थी खेती-बाड़ी नहीं हो पाती थी, उसी गांव में मेरा एक मित्र था अमीरचंद वह हमेशा अमीर बनने के सपने देखा करता था
बेईमानी लालच उसमें कूट-कूट कर भरी हुई थी।
एक दिन वह मुझे मेरे खेतों में मिला और उसने बताया शहर से मैं पढ़ाई करके आया हूं मैं शहर में एक स्कूल खोलना चाहता हूं स्कूल में बहुत ज्यादा कमाई है हर महीने लाखों रुपए कमाए जा सकते हैं
मैं पढ़ा लिखा तो हूं मगर मेरे पास 1रुपया भी नहीं है
तुम अगर अपनी यह बंजर जमीन बेचकर मुझे रुपया दे दो
तो मैं शहर में जमीन खरीद कर स्कूल बना लूंगा स्कूल से होने वाली कमाई पर आधा हिस्सा तुम्हारा रहेगा और आधा हिस्सा मेरा
मैं उसकी बातों में आ गया वैसे भी जमीन बंजर थी मेरे किसी काम की नहीं थी तभी मुझे याद आया विदेश से कोई इंजीनियर आया था उसने यहां पर केमिकल की फैक्ट्री खोलने के लिए जिक्र किया था तब मैंने मना कर दिया था उन्होंने मुझे मोबाइल नंबर दिया था और कहा था जब तुम्हारा इरादा हो जमीन बेंचने का तो फोन करके बुला लेना
मैंने उसी दिन उस इंजीनियर को बुलावा लिया अपनी जमीन 40 लाख रुपए की बेचकर सारे रुपए अपने मित्र अमीरचंद को दे दिए
अमीरचंद रुपए लेकर शहर चला आया कई महीने बीत चुके थे ना उसका फोन आया ना अमीरचंद गांव लोटकर आया
मैं अमीरचंद को ढूंढते ढूंढते शहर चला आया मगर इतने बड़े शहर में उसे कहां ढूंढता लेकिन उसने स्कूल बनाने का जिक्र किया था इसलिए मैं हर स्कूलों में अमीरचंद को खोजता रहता
2 दिन पहले मैंने उन्हें एक लाल बत्ती पर सफेद रंग की गाड़ी में बैठे हुए देखा मैं अमीरचंद का चेहरा कैसे भूल सकता था पीछा करते-करते मैं यहां इस स्कूल तक आ पहुंचा
दोपहर का समय था स्कूल के गेट पर बैठे सिक्योरिटी गार्ड को मैंने बताया मेरा नाम रामपाल है यहां के स्कूल मालिक से कहो गांव से उनका मित्र रामपाल आया है,,
गार्ड ने अंदर जाकर सूचना दे दी,,,,,,
10 मिनट के बाद गार्ड बाहर आकर मुझसे बोला ,,
,
आप अंदर जा सकते हैं स्कूल मालिक ने आपको अंदर बुलाया है
कमरे के भीतर पहुंचने के बाद अमीरचंद ने मुझे प्यार से बिठाया पानी पिलाया ,,,
और मुझे समझाते हुए कहने लगा शहर में जमीन खरीदी और फिर उसमें 20 कमरे बनवाए एक महीना तो यूं ही बीत गया स्कूल के प्रचार के लिए काफी पैसा खर्च हो गया दिल्ली सरकार से परमिशन मांगने का भी काफी खर्चा आया इस शहर में सरकारी स्कूल बहुत सारे हैं आसपास के सरकारी स्कूल के प्रिंसिपलों को रिश्वत देनी पड़ती है
ताकि सरकारी स्कूल के टीचर बच्चों की ठीक से पढ़ाई ना करें और वह बच्चे हमारे प्राइवेट स्कूल में पढ़ने के लिए आए और हम उनसे मोटी-मोटी फीस ऐंठ सके,,
तब मैंने कहा,,,, तुम्हारे पास यह सफेद रंग की गाड़ी कहां से आई बाहर के लोगों से पता किया कि तुमने शहर में एक नया फ्लैट भी खरीद लिया है एक विद्यार्थी से तुम 7 हजार रुपए महीने के लेते हो किताबों के पैसे अलग से 1000 से ज्यादा बच्चे,,,, तुम्हारे इस स्कूल में पढ़ते हैं
अगर ₹1000 को 7000 से गुणा करते हैं तो 70 लाख रुपए बनते हैं तुम हर महीने के 70 लाख रुपए कमाते हो
गांव में मां बीमार है अस्पताल में भर्ती है तुम सिर्फ मेरे 40 लाख रुपए वापस लौटा दो चाहे तो थोड़े-थोड़े करके लौटा दो अभी मुझे एक लाख रुपए की जरूरत है
और अमीरचंद मुझे इस कमरे में ले आया यह कहते हुए चलो ठीक है मैं तुम्हें एक लाख रुपए दे देता हूं बाकी रुपए धीरे-धीरे लौटा दूंगा
पर यह इस कमरे में मेरे हाथ पैर मुंह रस्सी से बांधकर बाहर से कमरे का ताला लगा दिया
रामपाल की दर्द भरी कहानी सुनकर मैंने कहा इसका मतलब यह है जमीन तुम्हारी है और तुम इस जमीन के असली मालिक हो अमीरचंद जैसे विश्वास घाती मित्रों की जगह सिर्फ जेल में है तुम्हारे सारे बयान को मैंने अपने मोबाइल से वीडियो में कैद कर लिया है
मैं इस वीडियो को अभी यहीं बैठे-बैठे थाने में पहुंचा देता हूं
पुलिस ने उसी रात अमीरचंद को उसके घर पर ही उसे दबोच लिया
और वह जमीन रामपाल के नाम करवा दी
मैं आज भी उसी स्कूल में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता हूं बस स्कूल का मालिक बदल गया,,
नेकराम सिक्योरिटी गार्ड दिल्ली से

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