मुझे अपने संस्कारों से समझौता पसंद नहीं – अर्चना कोहली “अर्चि”

माया का रंग कुछ दबा हुआ था। इस कारण उच्च पद पर होने के बावजूद उसकी शादी में रुकावट आ रही थी। माता-पिता द्वारा बहुत चप्पलें घिसने के बाद एक जगह उसकी बात बन गई। शादी का मुहूर्त दो दिन बाद निकला। समय कम था। ज़ोर-शोर से शादी की तैयारियाँ शुरू हो गई।। एक दिन … Read more

आखिरी विदाई – रश्मि प्रकाश

“अरे बेटा ध्यान से अपनी माँ को तैयार करो…. बिल्कुल सोलह श्रृंगार करना उसका… और हाँ उसकी शादी वाली चुनरी भी ज़रूर ओढ़ा देना।”अपनी बहुओं को हिदायत देते किशोर बाबू अपनी धर्मपत्नी को निहार रहे थे। सुनंदा जी की आँखें ज़रूर बंद थीं पर चेहरे पर मुस्कुराहट विराजमान थी ….दोनों बहुएँ जया और हिना और … Read more

बहू भी तो बेटी है – रश्मि प्रकाश

“हैलो माँ हम लोग मथुरा जाने का सोच रहे है, तुम बोल रही थी ना तुम्हारा बहुत मन है मथुरा घूमने का तो तुम यहां आ जाओ फिर हम जाएंगे। तुम आओगी ना? टिकट करवा देती हूँ। बस तुम ये बता दो कब आओगी फिर हम जाने की तैयारी करेंगे।” राशि ने माँ से पूछा। … Read more

स्वार्थी बेटा – माता प्रसाद दुबे Moral Stories in Hindi

दो दिन गांव में बिताने के बाद रवि वापस घर आ रहा था। उसे अपनी अम्मा की चिंता हो रही थी। जिसे वह ईश्वर की तरह पूजता था। जो दमा की बीमारी से पीड़ित थी। उसके बड़े भाई किशन भाभी सीमा व पांच साल का भतीजा अंकित उसकी अम्मा पुष्पा देवी के पास घर पर … Read more

रिश्ता अपना सा लगे – अर्चना कोहली “अर्चि”

अनुष्का का आखिरी महीना चल रहा था। इसी कारण सौरभ बहुत चिंतित था, अकेले कैसे सँभालेगा! यद्यपि सौरभ ने अनुष्का की देखभाल के लिए सुबह 8 बजे से रात नौ बजे तक के लिए एक सेविका का भी इंतज़ाम कर दिया था। पर ऐसे समय में किसी अपने के साथ से मानसिक संबल मिल जाता … Read more

बड़े घराने की बहू – डाॅ संजु झा

हमारे पड़ोस में एक पांडेय परिवार रहते थे,उनसे हमारा आत्मीय सम्बन्ध था।उनकी पत्नी श्वेता हमारी दोस्त थी।पांडेय  परिवार  जितने ही संपन्न थे,उतने ही सभ्य भी।उनके दो बेटे थे-सुमित और सुन्दर। सुमित  देखने में साधारण  था,परन्तु पढ़ने में उतनी ही कुशाग्र बुद्धि का।उसे शिक्षा का महत्त्व पता था,इस कारण वह अपना ध्यान  पूरी तरह पढ़ाई-लिखाई में … Read more

सौतेली माॅ॑ – माता प्रसाद दुबे

रमादेवी गुमसुम उदास बैठी कमरे की दीवार पर लगी तस्वीर को एकटक देख रही थी। एक साल पहले का,आज वही दिन था..जिस दिन रवि के पापा एक दुर्घटना में परलोक सिधार गए थे। पैंतीस वर्ष तक रेलवे में गार्ड के पद पर ईमानदारी से कार्य करते हुए कुछ महीनों बाद ही वे सेवानिवृत्त होने वाले … Read more

क्या अपने सगे भी करते ऐसा धोखा….? – रश्मि प्रकाश 

सीता कुंज में आज बहार थी… घर के इकलौते चिराग़ की शादी जो होने वाली थी…. हल्दी, संगीत सब ख़ूब धूमधाम से हुआ….चारबहनों के इकलौते भाई की शादी जो थी… सबने मनपसंद कपड़े पहने हुए थे… साज सजावट देखते बन रही थी… आज शादी का दिनऔर बारात बड़ी धूमधाम से निकली… सब खूब मस्ती कर … Read more

अंतिम इच्छा – पुष्पा ठाकुर 

” मां आज खाना हमारे साइड खाना,तुम्हारी बहू ने आज तुम्हारी पसंद की चना भाजी और मक्के की रोटियां भी सेंकी है।”          राघव अपनी बात को लगभग जाते जाते ही कह गया,जो देहरी पर बैठी उसकी बूढ़ी मां ने अच्छी तरह सुन भी ली थी।सुनती भी क्यों न ……….आज पूरे एक महीने बाद बड़े … Read more

टिमटिमाती आंखें – रानी गुप्ता 

दादी एक बात बताओ आप ये हर समय मुझमें  क्या देखती रहती हो?गौरी अपना गुस्सा दबाते हुए दादी से हंसते हुए पूछ ही लिया….पता है आपको मुझे अच्छा नही लगता कि कोई मुझ पर चैबीसो घंटे नजर रखे ,जबकि मैं कुछ गलत नही करती। अरे बिटिया नाराज न हो अपनी दादी से हम तुम्हाये ऊपर … Read more

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