दिल की दुआ – लतिका श्रीवास्तव 

वो कुछ नहीं करता है… वो कौन..!मेरा बेटा सूरज …! हां वो कुछ ऐसा नहीं करता जो आज कल की दुनिया में कुछ करने लायक की परिभाषा में फिट हो सके..मसलन मेरे   भाई का लड़का पूरी यूनिवर्सिटी में टॉप किया है और अभी विदेश में जॉब ऑफर मिला है….करोड़ों का ऑफर है….अब वो वहीं … Read more

संस्कारी बेटा – मीनाक्षी सिंह 

शर्मा जी ,आपके बेटे ने पिछली साल भी तो एसएससी का पेपर दिया था ,इस साल भी दे रहा हैँ ! पास नहीं हुआ था क्या ?? पड़ोसी पांडेय जी चुटकी लेते हुए शर्मा जी से बोले ! हाँ जी ,फिर से दे रहा हैँ ,दो नंबर से रह गया था ! शायद उतनी मेहनत … Read more

एक रिश्ता शुक्र तारे सा – लतिका श्रीवास्तव

नमस्ते चाचीजी  जी नमस्ते चाचा जी …. वही आदर भरा  मधुर सम्मोहित संबोधन सुन कर वसुधा जी ने भी पलट कर नमस्ते नमस्ते बेटा ..कैसी हो सब बढ़िया है ना..!!कहा तो बदले में उत्साह से भरा..” जी चाचीजी आपका आशीर्वाद है ……प्रत्युत्तर मानो दिल से ही निकला…मुस्कुराहटो का आदान प्रदान हुआ और वो आगे बढ़ … Read more

एन, जी,ओ, –  माता प्रसाद दुबे

रात के बारह बज रहे थे। गीता कमरे में गुमसुम उदास बैठी बार-बार खिड़की से बाहर की ओर देख रही थी। उसका पति रवि अभी तक घर वापस नहीं आया था। उसे अपनी जिंदगी में सिर्फ घनघोर अंधेरा ही दिखाई दे रहा था।दो साल पहले ही उसकी और रवि की शादी हुई थी। एक साल … Read more

जंजीर  – पुष्पा कुमारी “पुष्प”

“कब तक अपने पिता के घर में बैठी रहोगी सौम्या?. अपनी पसंद से ही सही विवाह कर तुम भी अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने की कोशिश क्यों नहीं करती!”. आज सौम्या से मिलने आई उसकी बचपन की सहेली और अब दो प्यारे-प्यारे बच्चों की मांँ बन चुकी राधिका ने बातों ही बातों में सौम्या को … Read more

रिश्ते हमेशा बराबर वालों से बनाने चाहिए.. – संगीता त्रिपाठी

रत्ना  और किशोर जी ने सीमित आय में भी अपने दोनों बेटों अमित और सुमित की पढ़ाई में कोई व्यवधान नहीं आने दिया। खुद की जरूरतों को अनदेखा कर बच्चों की परवरिश अच्छी तरह की। जब अमित पढ़ाई खत्म कर जॉब में आया तो रिश्तों की बाढ़ सी आ गई। आये भी क्यों ना, अमित … Read more

स्वाभिमान से बढ़कर कुछ नहीं – सरोज प्रजापति

“भाभी आप खाना तैयार रखो, हम अभी बड़े भैया के घर से होकर आते हैं।” “दीदी खाना तैयार है। खा कर आराम से चले जाना। मैं जब तक सारा काम निपटा लूंगी।” “क्या भाभी, आपको तो बस अपने काम की पड़ी रहती है। अरे दो-चार दिन देर से काम कर लोगी और नहीं सोओगी तो … Read more

“पत्नी के स्वाभिमान से समझौता?कभी नहीं!” – कुमुद मोहन 

पापा! चुप रहिये! जब देखो आप रीमा को किसी ना किसी बात पर टोकते रहते हैं, वह बेचारी आगे से आगे दिन भर आप लोगों की खिदमत में लगी रहती है फिर भी आप लोगों को उसे सुनाऐ बिना चैन ही नहीं आता! विनय सुबह सुबह गुस्से से अपने पचहत्तर साल के पिता रमेश जी … Read more

स्वाभिमान जाग उठा – संगीता त्रिपाठी 

छनाक…. आवाज सुन कर रमा जी भागी -भागी बाहर के कमरे में आई, जहाँ शीशे का गिलास कई भाग में टूटा पड़ा था। निगाहें कोने में गई, जहाँ पाखी आँखों में आँसू भरे थर -थर काँपती खड़ी थी। रमा जी समझ गई, आज फिर प्रसून और पाखी में झगड़ा हुआ।   “हड़बड़ी में कोई काम ठीक … Read more

दर्द का बंटवारा – Emotional Story

शाम हो गई थी |बूढ़ी सरला काकी ने अपनी चाय की दुकान समेट ली |जाड़े का समय था |अब किसी ग्राहक के आने की उम्मीद न थी |वह चूल्हे के आग पर रात के लिए रोटियां सेंक रही थी |रात के साथ- साथ वह सुबह के लिए भी रोटी बना लेती थी| शाम को चूल्हे … Read more

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