एन, जी,ओ, –  माता प्रसाद दुबे

रात के बारह बज रहे थे। गीता कमरे में गुमसुम उदास बैठी बार-बार खिड़की से बाहर की ओर देख रही थी। उसका पति रवि अभी तक घर वापस नहीं आया था। उसे अपनी जिंदगी में सिर्फ घनघोर अंधेरा ही दिखाई दे रहा था।दो साल पहले ही उसकी और रवि की शादी हुई थी। एक साल तक तो सब कुछ ठीक था,जब वह अपने सास ससुर के साथ गांव में रहती थी। और रवि शहर में नौकरी करता था, महीने में दो बार वह गांव जाता था।

एक साल पहले ही वह उसे अपने साथ शहर लेकर आया था।शहर में आने के बाद ही गीता रवि की हरकतों से रूबरू हुई थी। वह अव्वल दर्जे का शराबी था। आफिस से छुट्टी होने के बाद वह रोज इसी तरह शराब के नशे में चूर होकर घर आता था। गीता के विरोध करने पर उसके साथ मारपीट और गाली गलौज करना उसकी आदत हो चुकी थी।

“गीता! सो गयी क्या,दरवाजा खोलो?”बाहर से दरवाजा खटखटाने के साथ रवि की आवाज आ रही थी।”आज आप फिर पीकर आए है?”गीता झुंझलाते हुए बोली।”हा मैं पीकर आया हूं,क्या करूं मन ही नहीं मानता?”रवि झूमते हुए बोला।”और मैं यहां अकेली बैठी घुटती रहती हूं,आपने सोचा है कभी मेरे लिए?”गीता सवाल उठाते हुए बोली।”तुम बाहर जाकर घूम आया करो मैंने मना तो नहीं किया है तुम्हें?

“रवि गीता को फुसलाने वाले अंदाज में बोला।”ठीक है चलिए आप हाथ मुंह धो लीजिए, मैं खाना निकालती हूं?”कहकर गीता रसोईघर में चली गई। थोड़ी देर बाद जब वह खाना लेकर कमरे में आई,तब तक रवि सो चुका था। उसने उसे उठाना उचित नहीं समझा और अपनी किस्मत पर आंसू बहाते हुए बिस्तर पर चुपचाप जाकर लेट गई।




सुबह के दस बज रहे थे।रवि आफिस जाने के लिए घर से बाहर निकल चुका था। घर का दरवाजा खुला हुआ था।तभी बाहर से आवाज़ आई।”क्या मैं अंदर आ सकती हूं?”घर के बाहर से किसी महिला की आवाज आई।”आइये अंदर आ जाइए?”गीता आदरपूर्वक बोली।

“मेरा नाम सीमा है,मैं यही इसी कालोनी में रहती हूं?”वह युवती गीता को अपना परिचय देते हुए बोली।”जी मेरे पति तो आफिस जा चुके है,आप कल आइयेगा?”गीता उस युवती की ओर देखते हुए बोली।”मुझे आपके पति से नहीं आप से बात करनी है,अगर आप बुरा न मानें तो मैं आपसे कुछ पूछ सकती हूं?”वह युवती गीता के मन को कुरेदते हुए बोली।

“जी बताइए आपको मुझसे क्या काम है?”गीता हैरान होते हुए बोली।”क्या नाम है आपका?”वह युवती गीता से बोली।”जी मेरा नाम गीता है?”गीता अपना नाम बताते हुए बोली।”गीता जी!हम लोग पीड़ित शोषित महिलाओं के लिए काम करते है,उन्हें उनका हक सम्मान सुरक्षा न्याय दिलाने के लिए हमारी मैडम निशा जी ने एन,जी,ओ,खोल रखा है, मैं भी उसी की सदस्य हूं?

“वह युवती गीता को समझाते हुए बोली।”जी आप मुझे यह सब क्यूं बता रही है?”गीता संकुचित होते हुए बोली।”गीता जी! हमें आपके बारे में सब कुछ पता है,आपका पति रवि शराबी है,वह आपके अच्छा व्यवहार नहीं करता,नशे में मारपीट गाली गलौज करता है?”वह युवती गीता के मन को झकझोरते हुए बोली।

“जी आपको किसने कहा?”गीता आश्चर्यचकित होते हुए बोली।”जी हमारा काम ही है,महिलाओं के ऊपर होने वाले जुल्म का विरोध करना और उन्हें न्याय दिलाना?”वह युवती सीमा गीता से सहानभूति दर्शाते हुए बोली।”जी मैं कर भी क्या सकती हूं?”कहकर गीता खामोश हो गई।”आप बहुत कुछ कर सकती हैं,आप अकेली नहीं है,आपकी बहनें आपके साथ है?”वह युवती गीता को प्रेरित करते हुए बोली।”जी मैं आपका मतलब नहीं समझी?

“गीता उस युवती की ओर देखते हुए बोली।

“बहन तुम परेशान मत हो,यह हमारा पता है,वहा तुम आ जाना तुम्हारी अनेक बहनें तुम्हारे साथ है?”वह युवती गीता के हाथ में विजिटिंग कार्ड पकड़ाते हुए बोली।”जी”गीता कार्ड लेते बोली।”अच्छा मैं चलती हूं,आफिस में मैं आपका इंतजार करूंगी नम्बर लिखा हुआ है, आने से पहले आप फोन कर दीजियेगा?”बोलती हुई वह युवती गीता के घर से बाहर निकल गई।




गीता विजिटिंग कार्ड को ध्यान से देख रही थी। श्रीमती निशा समाजसेविका जी का आफिस और घर का पता और फोन नम्बर उस कार्ड पर अंकित था।रात को रवि फिर देर से नशे में धुत्त होकर आया, गीता के मन में रवि के प्रति आदर भाव धूमिल होता जा रहा था। उसके लाख प्रयासों के बाद भी रवि का रवैया जस का तस था। उसने दूसरे दिन रवि के आफिस जाने के बाद निशा जी से मिलने का फैसला कर लिया था।

सुबह के ग्यारह बज रहे थे। रवि घर से जा चुका था। गीता ने विजिटिंग कार्ड से निशा जी का नम्बर निकाल कर उन्हें काल करके अपने आने की सूचना दी और घर से बाहर निकल गई।

पते के मुताबिक गीता निशा के एन,जी,ओ,आफिस बहुत चुकी थी। उसे उम्मीद थी कि उसके पति रवि की नशेबाजी और गाली गलौज करने की लत से छुटकारा दिलाने में निशा जी उसकी मदद करेंगी और रवि को सही राह पर लाने जैसे कदम उठाने में एन,जी, ओ,की बहनें उसका सहयोग करेंगी।

“क्या मैं अंदर आ सकती हूं?”गीता आफिस के अंदर प्रवेश करते हुए बोली।”आइए गीता जी हम आपका ही इंतजार कर रहे थे?”चार पांच युवतियों के संग बैठी सीमा गीता को देखकर बोली।”नमस्ते सीमा जी!”गीता सीमा का सम्मान करते हुए बोली। सीमा ने गीता को वहीं पर  उन युवतियों के पास बैठाया और सबका परिचय गीता से कराया।

“गीता अभी कुछ देर में ही निशा मैडम आने वाली है,मैंने उन्हें तुम्हारे विषय में बताया था?”सीमा गीता को दिलासा देते हुए बोली। गीता ने हामी भरते हुए सिर हिला दिया। गीता ध्यान से उन युवतियों को देख रही थी।कही से भी पीड़ित या परेशान नहीं लग रही थी वे युवतियां,वे तो काफी खुश और फैशनेबल कपड़े और सम्पन्नता की चादर ओढ़े हुए दिखाई पड़ रही थी। कुछ ही देर में एक युवती ने प्रवेश किया जिसे देखकर सभी युवतियां उसके सम्मान में खड़ी हो गई,वह युवती सिर हिलाते हुए सामने बनें केबिन में चली गई।”गीता मैडम आ गई है,चलों तुम मेरे साथ?

“सीमा गीता को केबिन की ओर इशारा करते हुए बोली।”जी”कहकर गीता सीमा के साथ चल दी।”गुड मॉर्निंग मैडम! सीमा सामने बैठी निशा मैडम का अभिवादन करते हुए बोली। गीता ने भी निशा मैडम का हाथ जोड़कर अभिवादन किया।”गीता जी बैठिए,और बिना संकोच के अपनी सारी समस्याएं हमें बताएं?”निशा मैडम गीता को बैठने का इशारा करते हुए बोली।”जी मैडम! कहकर गीता ने अपनी पूरी कहानी निशा मैडम को विस्तार पूर्वक बताई।

“गीता जी क्या उम्र है आपकी?”गीता की पूरी कहानी सुनने के बाद निशा मैडम बोली।”जी बाइस साल?”गीता निशा मैडम की ओर देखते हुए बोली।”आपकी उम्र ही अभी क्या है,अभी आपकी कोई संतान भी नहीं है,ऐसे आदमी से आपने शादी कैसे कर ली?”निशा मैडम गीता के चेहरे के भाव को पढ़ते हुए बोली।”जी यह हमारे बस में नहीं है?”गीता उदास होते हुए बोली।”आप कैसे काट पाएगी ऐसे व्यक्ति के साथ पूरा जीवन, जिसने शराब को ही अपना साथी बना लिया है?

“निशा मैडम गीता को कुरेदते हुए बोली।” जी इसलिए तो मैं आपके पास आई हूं कि किसी तरह मेरे पति को शराब और उसके नशेड़ी दोस्तों को उनसे दूर करने में आप मेरी मदद करें?”गीता विनती करते हुए बोली।”ठीक है हम आपकी मदद जरूर करेंगे और आपके पति को सबक भी सिखाएंगे आप अपने पति रवि के आफिस और उसके दोस्तों के बारे में जो कुछ जानती है,सब सीमा मैडम को लिखकर दें दें,आप चिंता मत करें?

“निशा मैडम गीता का हौसला बढ़ाते हुए बोली। “जी मैडम आपकी बहुत कृपा होगी?”गीता हाथ जोड़कर विनती करते हुए बोली।”गीता अब तुम सारी चिंता छोड़ कर नया जीवन शुरू करने के लिए तैयार हो जाओ?”सीमा गीता से बोली। गीता ने रवि के आफिस और उसके दोस्तों के बारे में सारी जानकारी जो उसे पता थी सीमा को लिखकर दें दिया और अपने जीवन की उलझन को सुलझने की उम्मीद लेकर अपने घर की ओर चल पड़ी।




तीन दिन बीत चुके थे।शाम के छह बज रहे थे। रवि घबराया हुआ घर पहुंचा।”गीता तुमने यह अच्छा नहीं किया है,तुम्हें जो कुछ कहना था,वह दूसरे तरीके से भी कह सकती थी,मगर मेरे आफिस में तमाशा करवाकर तुमने ठीक नहीं किया है?”रवि गीता को देखकर गुस्से में लाल पीला होते हुए बोला।”मैंने क्या किया है तुम्हारे आफिस में?”गीता अनभिज्ञ होते हुए बोली।”तुमने कुछ नहीं किया है,और महिलाओं की फौज मैंने खुद बुलवाई थी अपने आफिस में अपनी बेइज्जती करवाने के लिए,तुमने एन,जी,ओ,की औरतों को भेजकर आफिस में तमाशा करवाकर क्या साबित करना चाहती हों?

“रवि झुंझलाते हुए बोला।”जब आप मेरे साथ रोज गलत व्यवहार करते है,तो मेरी बेइज्जती नहीं होती, अगर आप सही होते तो मुझे वहां जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती?”गीता हिम्मत जुटाते हुए बोली।”ठीक है मैं अब आफिस ही नहीं जाऊंगा,अब तुम जाओ उन्हीं औरतों के पास?”कहकर रवि गीता को दरवाजे की ओर ढकेलने  लगा और गीता को बाहर करके दरवाजा अंदर से बंद कर लिया।

दो घंटे बीत जाने के बाद भी रवि ने दरवाजा नहीं खोला,उसका मोबाइल भी घर के अंदर झूट गया था।वह निशा मैडम से बात करके मदद भी नहीं मांग सकती थी। रात के नौ बज रहे थे,आफिस भी बंद हो चुका था।तभी उसे ख्याल आया निशा जी का कार्ड उसके पास मौजूद था, जिसमें उनके घर का पता लिखा था। गीता ने निशा मैडम के घर जाने का फैसला कर लिया और निकल पड़ी निशा मैडम के घर की ओर।

निशा मैडम के आलीशान दो मंजिला फ्लैट के नीचे गाड़ियों का तांता लगा हुआ था। सामने अंदर जाने के रास्ते पर गार्ड खड़े हुए थे। निशा बिना झिझके सीधे फ्लैट की ओर बढ़ रही थी। फ्लैट के मुख्य द्वार पर खड़े गार्ड ने गीता को देखकर नहीं रोका और अभिवादन करके उसे अंदर जाने का इशारा किया।

अंदर का नजारा देखकर गीता के होश उड़ गए, अंदर जोरदार पार्टी चल रही थी।शराब शबाब सभी कुछ मौजूद था उस पार्टी में, निशा मैडम नशे में किसी पुरुष की बाहों में झूम रही थी। सीमा व अन्य युवतियां भी किसी पुरुष साथी के साथ आपत्तिजनक जनक अवस्था में नशा करते हुए नजर आ रही थी।”हे भगवान छी!कितनी गंदी और घिनौने काम करती है समाजसेविका की आड़ में?”कहते हुए गीता ने अपने मुंह को अपनी साड़ी से ढक लिया, जिससे कि उसे कोई पहचान न सके।

उस जगह मौजूद सभी युवक और युवतियां नशे में चूर थे।किसी ने भी गीता की ओर ध्यान नहीं दिया। गीता निशा मैडम के दोहरे चेहरे को देखकर हैरान हो रही थी। उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि एन,जी,ओ,की आड़ में नशे और जिस्म का कारोबार किया जाता है,उसकी जैसी दुखी और परेशान महिलाओं को फंसाकर उनको नशे और जिस्म के व्यापार की ओर का रास्ता दिखाया जाता है, जीवन में सुख और पैसा गाड़ी आदि का लालच देकर,शायद यही सबसे सरल तरीका था महिलाओं को बरगलाने का,गीता ने मन ही मन निशा मैडम का नकली चेहरा सारी दुनिया को दिखाने का फैसला किया और जिस तरह आई थी,उसी तरह वहां से बाहर निकल गई।

निशा के कदम तेजी से महिला थाने की ओर बढ़ रहे थे। कुछ ही देर में उसने वहां पहुंचकर निशा मैडम और उनकी सहयोगी महिलाओं को एन,जी,ओ,की आड़ में घृणित कर्म करवाने की रिपोर्ट दर्ज कराई, महिला पुलिस अधिकारी ने गीता को साथ लेकर निशा मैडम के घर पर छापा मारकर सभी लोगों को गिरफ़्तार कर लिया। सामने निशा मैडम और सीमा को देखकर गीता बोली।”मैं अपने पति का नशा छुड़ाना चाहती थी न खुद का सौदा करके मौज मस्ती करना चाहती थी,

तुम लोगों का दोहरा चरित्र और चेहरा न जाने कितनी मुझ जैसी औरतों को नरक की जिन्दगी जीने को मजबूर किया होगा,मुझे अपने पति से उतना दुख नहीं मिला, जितनी खुशी आज मुझे तुम जैसी औरतों का असली चेहरा सामने लाने में प्रतीक हो रहा है?”गीता के चेहरे पर खुशी के भाव छलक रहें थे।

निशा मैडम सीमा व अन्य लोग अपना मुंह छुपाने का प्रयास कर रहे थे।”गीता! मुझे माफ कर दो, मुझे आज खुद पर गर्व हो रहा है कि तुम मेरी पत्नी हों?”गीता के सामने रवि हाथ जोड़कर विनती करते हुए बोला।

“इसे माफ कर दो गीता यह अपनी गलतियों का पश्चाताप कर रहा है,मैंने ही इसे यहां बुलाया है?”महिला पुलिस अधिकारी गीता से बोली। गीता कुछ देर तक रवि की ओर देखती रही फिर बोली।”रवि!यह तुम्हारा असली चेहरा है न,कही फिर तुम दोहरा चरित्र और चेहरा नहीं दिखाओगे मुझे?”कहते हुए गीता भावुक हो गईं।”गीता! मैं कसम खाता हूं कि मैं कभी भी शराब को हाथ नहीं लगाऊंगा और जीवन के अंत तक यही मेरा असली चेहरा रहेगा?”रवि गीता का हाथ पकड़ते हुए बोला।”ठीक है जल्दी चलिए रात के एक बज रहे है,बाकी बात घर पहुंचकर करेंगे?”कहते हुए गीता रवि का हाथ पकड़कर अपनी खुशियों को मन में समेटे हुए निकल पड़ी अपने पति रवि के साथ अपने घर की ओर।

#दोगले_चेहरे

माता प्रसाद दुबे

मौलिक स्वरचित

अप्रकाशित कहानी

लखनऊ

3 thoughts on “एन, जी,ओ, –  माता प्रसाद दुबे”

  1. बहुत बढिया संदेश दिया है और समाज की कुछ बुराई को भी उजागर किया है और स्त्रियो को सावधान रहने का संदेश भी है आप ऐसी कहानी के माध्यम से लोगो को जाग्रत कर रहे है आपको बहुत बहुत धन्यावाद 🙏🙏🙏

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  2. Yes it’s my suggestion
    Bahut samjhane ke bad pati ne sharab ki nahin to apni sham ko added par pahunch gayi aur Ravi samne baith gayi Ravi usko dekh kar chauk Gaya bola tum yahan kaise wo boli mene tumhare sath Pini hai pati bola ye jagah thik nahi hai jawab Diya jahahn tum Roz ja ate ho kharab kaise order do par pati bola mujhe nahin Pina ghar chlo wo Ghar agyi ye sisiln3 ya4 din chala fir ghar ka ho gaya.daroo khana band

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  3. आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं एन जी ओ के बारे मैं अपने जो कुछ लिखा हुआ है कल्याण कारी है कल्याण सिंह

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