“पत्नी के स्वाभिमान से समझौता?कभी नहीं!” – कुमुद मोहन 

पापा! चुप रहिये! जब देखो आप रीमा को किसी ना किसी बात पर टोकते रहते हैं, वह बेचारी आगे से आगे दिन भर आप लोगों की खिदमत में लगी रहती है फिर भी आप लोगों को उसे सुनाऐ बिना चैन ही नहीं आता! विनय सुबह सुबह गुस्से से अपने पचहत्तर साल के पिता रमेश जी पर चिल्ला कर बोला!

यह वो गुबार था जो बेडरूम में रात भर रीमा ने सास-ससुर के खिलाफ विनय के दिमाग में उल्टा-सीधा लगाकर भरा था।

रमेश जी का गुनाह बस इतना था कि उन्होंने रीमा को चाय में थोड़ी कम चीनी डालने को कह दिया था!

रमेश जी अपनी पत्नी रमा को डॉक्टर को दिखाने के लिए गांव से अपने इकलौते बेटे विनय के पास मुम्बई आए थे।

दरअसल रीमा होली पर विनय और बबलू को लेकर अपने मायके पुणे जाना चाहती थी रमेश जी के प्रोग्राम की वजह से उसे अपना कार्यक्रम कैंसिल करना पड़ गया था जिसकी वजह से वह जली-भुनी बैठी थी।

विनय मां बाप का इकलौता बेटा था, उसकी दो बहनों निया और रिया की शादी उन्होंने जैसे-तैसे कर के निपटा दी थी।

रमेश जी एक कंपनी में क्लर्क की नौकरी करते थे। एक्सट्रा इन्कम के लिए वे दफ्तर के बाद एक जगह पार्ट टाइम काम करते।

रमा घर के कामों के बाद जो टाइम मिलता उसमें कपड़ो की सिलाई करके कुछ कमा लेती।जिससे विनय की पढ़ाई और कोचिंग का इंतज़ाम हो सके।

रमा और रमेश की एक मात्र इच्छा थी कि किसी तरह विनय पढ़ लिख कर अच्छी नौकरी में आ जाए जिससे उनकी यह तपस्या पूरी हो।

भगवान ने रमेश और रमा की मेहनत का फल विनय को अच्छी सरकारी नौकरी दिला कर दे दिया।विनय के ही बॉस की बेटी से विनय का ब्याह हो गया।बड़े अफसर की बेटी रीमा अपने पिता के ओहदे और पैसे के आगे विनय और उस के मां-बाप को कुछ भी नहीं समझती।

विनय ने अहसानो और पैसे के तले दबकर अपना स्वाभिमान और व्यक्तित्व एक तरह से अपने सास-ससुर और रीमा के पास गिरवी रख दिया था।वह रीमा की कही हर सही-गलत बात के खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता।

रीमा न तो सास-ससुर को अपने घर बुलाती ना ही कभी होली दीवाली गाँव जाना चाहती!



एकाध  बार बेटे के बहुत लाड़ में आकर वे शहर आ भी गऐ तो रीमा ने उनसे ऐसा रूखा व्यवहार किया कि अपमान सहने के बजाए उन्होंने विनय के घर न जाना ही बेहतर समझा!

कुछ दिनों से रमा का अस्थमा बहुत बढ़ गया था वही मुम्बई में किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाने के लिए आना पड़ा।

रीमा न उन्हें टाइम से नाश्ता खाना देती,न उनके पास बैठती ! खुद तो वह विनय के ऑफिस जाते ही घूमने ,शाॅपिंग या किट्टी पार्टी में चल देती और नौकर को भी उसने सास-ससुर की चौकीदारी के लिए लगा देती!कहीं वे रसोई घर से कुछ लेकर खा पी न लें!उनके सामने ही रीमा अपने बेडरूम का ताला लगाकर जाती!

रीमा के वापस लौटने पर नौकर झूठी सच्ची शिकायतें कर रीमा के मन में बसे जहर को और बढ़ाता!

रमा की बिगड़ती हालत देख कर रमेश जी ने विनय को कहा कि वह किसी अच्छे डॉक्टर को रमा को दिखा दे पर

रीमा ने विनय को पट्टी पढ़ाई कि प्राइवेट डॉक्टर बहुत पैसा लेगा इस लिए रमा को सरकारी अस्पताल में दिखा दो।

सुनकर रमा की आँखों के आगे वो दृश्य आ गया जब एक बार विनय ने कॉलेज में टूर पर जाने की जिद की थी उनके पास बिल्कुल पैसे नहीं थे रमेश जी ने तो साफ़ इन्कार कर दिया था पर रमा ने रात भर जागकर किसी के कपड़े सिलकर आर्डर पूरा करके पैसे ला कर दिये थे,पैसे पाकर आई विनय के चेहरे की चमक को देखकर रमा की रात भर की थकान एकदम उतर गई थी।

डॉक्टर ने रमा को खाने का परहेज बताया तो रीमा हर वक्त बड़बड़ाती कि उसे सबके लिए अलग अलग तरह का खाना बनाना पड़ता है। इतवार को वह घर में खाना ना बनाकर बाज़ार से आर्डर करती! वो रमेश जी और रमा से उनकी पसंद पूछना भी जरूरी नहीं समझती। वे लोग पिज्जा-बर्गर चाऊमीन नहीं खाते पर रीमा को ये ही पसंद था।

दोपहर को विनय तो ऑफिस में रहता रीमा रमेश और रमा को टाइम से खाने को भी नहीं पूछती, अगर रमा किचन में जाती तो रूखेपन से उन्हें कहती कि वो उसे अपने हिसाब से काम करने दें। रमा समझ गई कि उसे रमा का किचन में आना पसंद नहीं।

रीमा ने आइसक्रीम मंगाई, जो रमा को बहुत पसंद थी। रमा ने थोड़ी सी आइसक्रीम मांगी तो बहू ने साफ मना कर दिया!रमा मन मसोस कर रह गई।



रीमा ने रात का बचा चाऊमीन  रमा और रमेश को लंच में दे दिया जिसकी वजह से रात में रमा को बहुत खांसी उठी,आवाज़ सुनकर रीमा ने विनय को कहा” लगता है मम्मी ने चोरी से आइसक्रीम खा ली है मुझसे मांग रहीं थी,मैने मना कर दिया था,अब सबकी नींद हराम कर रही हैं”।

एक तो पापाजी रात में कितनी ही बार बाथरूम जाते हैं और सुबह सुबह इनका खांसना शुरू हो जाता है,अपने ही घर में चैन की नींद भी नहीं सो सकते!

बस!इतना सुनते ही विनय दनदनाता हुआ आया”मम्मी!हद हो गई चटोरपने की,क्या अपनी जीभ पर कंट्रोल नहीं रख सकतीं थी?अब आधी रात में सबको परेशान कर रही हैं,ज्यादा तबियत खराब हो गई तो कहां-कहां ले के भागता रहूंगा?

रमा बेचारी अपनी सफाई में यह भी नहीं कह पाई कि उसने मन होते हुए भी आइसक्रीम छुई तक नहीं थी।

रमा और रमेश जी को वह दिन याद आ गया जब विनय बुखार में तप रहा था और वे दोनों घोर जाड़े में आधी रात को उसे गोदी में उठाकर पैदल चलकर डॉक्टर के पास ले गए थे क्योंकि डॉक्टर ने घर आने के बहुत पैसे मांगे थे जो उनके पास नहीं थे।आज वही बेटा कार वाला होकर भी ऐसा ताना दे रहा है!

रमेश और रमा पोते से लाड़ लड़ाने का ख्वाब भी अधूरा रह गया क्योंकि रीमा ने बबलू को भी दादा-दादी के पास जाने को मना कर दिया था कि कहीं उसे भी कोई इन्फेक्शन ना लग जाए।

रीमा के पापा ने एक लड़का काम करने के लिए भेज रखा था जो गेस्ट रूम में रहता वहीं छोटा टीवी देखता। रमेश और रमा के आने से वह अपना मनपसंद सीरीयल नहीं देख पा रहा था क्यूंकि रमेश खबर देखते।

लड़का रमेश और रमा की झूठी शिकायतें रीमा के पास करता और रीमा विनय के ऑफिस से लौटने पर उसकी शिकायतों में नमक मिर्च लगा कर बताती, विनय उसे समझाने की बजाए रमेश जी पर ही बरस पड़ा “पापा! आप अखबार पढ़ते तो हैं आपको कौन सी कचहरी करनी है जो टीवी पर न्यूज़ देखे बिना रह नहीं सकते।

यह लड़का भाग गया तो रीमा को कितनी मुश्किल हो जायेगी इसका अंदाज़ा भी है आपको?”



एक दिन रीमा के घर किट्टी थी रीमा को पता था कि रमा बहुत अच्छी कचौड़ी,दही बड़े और मूंग का हलवा बनाती है!उसने रमा से मीठी मीठी बातें कर सबकुछ बनवा लिया!अपनी तबियत की परवाह न करते हुए भी रमा ने सबकुछ खुशी खुशी बना दिया यह सोचकर कि शायद इससे रीमा का रवैया उन दोनों की तरफ बदल जाए! 

किट्टी में आई रीमा की सब सहेलियों ने खाने की जबर्दस्त तारीफ कर रीमा से पूछा कि इतना स्वादिष्ट खाना किसने बनाया तो रीमा ने शान से जवाब दिया “हमने हाल ही में एक नई कुक रखी है,गांव की है पर खाना बहुत अच्छा बनाती है”

“वाओ! यू आर सो लकी!आजकल खाना बनाने वाली अच्छी नौकरानियां कहाँ  मिलती हैं?”कुछ एक ने रीमा को सुनाया!

दूसरे कमरे में रमेश जी और रमा ने उनका वार्तालाप सुना तो रमेश जी आपे से बाहर हो खड़े हो गए! बड़ी मुश्किल से रमा ने उन्हें रोका!

रमेश जी बोले मैं कुछ भी बर्दाश्त कर सकता हूं पर तुम्हारे लिए ऐसे ओछे शब्द कभी नहीं सुन सकता!तुम फौरन सामान बांधो,हम अभी गाँव वापस जाऐंगे!तुम्हारे लिए ऐसे गंदे डायलॉग सुनकर मैं इस घर में एक मिनट भी नहीं रह सकता “कहते कहते रमेश जी रो पड़े! 

अपने ही बेटे के घर में अपनी ही बहू के मुँह से अपनी पत्नी के लिए नौकरानी सुनकर उनके स्वाभिमान को बहुत ठेस लगी!

रोज़ाना की चीख़-पुकार और शिकवे शिकायतों को सुनकर रमेश जी समझ गए थे कि बहूरानी को उनका रहना अखर रहा है पर बहू इतना नीचे गिर जाऐगी कि अपनी सास को नौकरानी बना देगी ऐसा उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था!

जिस बेटे के ठाठ-बाट और सुखी गृहस्थी देखने,बेटे-बहू -पोते के साथ कुछ समय बिताने का सपना लेकर वे दोनों आए थे बहू के व्यवहार ने उसे हफ्ते भर से पहले ही तहस-नहस कर दिया।

सही कहा है किसी ने मां-बाप जिस बेटे को हमेशा अपने साथ रख सकते हैं उसी बेटे के घर में उनका दो दिन भी गुजारा नहीं।मां-बाप के घर पर हमेशा बेटे का अधिकार है परन्तु बेटे के घर में उनके लिए अपना एक कोना तक नहीं।जिस घर में सम्मान की जगह मां-बाप के स्वाभिमान को ठेस पहुंचे वहाँ घुट घुट कर मरने से अच्छा है वहाँ से चले ही जाना!

पर मां-बाप अपने बच्चों को कोस भी तो नहीं सकते थे कि भगवान ने उन्हें भी बेटा दिया है जो हमारे साथ किया कहीं इतिहास इसी को दोहरा ना दे।

#स्वाभिमान 

कुमुद मोहन 

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