बिन तेरे ज़िंदगी (भाग 3) – बेला पुनीवाला

रीमा : उसमें धन्यवाद की क्या बात है आंटी जी ? जैसी आपके लिए नैना वैसी ही मैं। तो फ़िर मैं अपनी बहन जैसी सहेली को कैसे दुखी होते हुए देखूँ ? अब आप उसकी बिलकुल फ़िक्र मत कीजिएगा। देखना आप, कुछ ही दिनों में नैना पहले की तरह हंसती-मुस्कुराती आपको नज़र आएगी। अपनी ज़िंदगी … Read more

बिन तेरे ज़िंदगी (भाग 2) – बेला पुनीवाला

 कहते हुए तूफ़ान की तरह नैना नीचे रसोई में चली गई, रीमा ने उसे रोकने की कोशिश की मगर वह शायद उसके पूछे जानेवाले सवालों से भी भाग रही थी। रीमा ये देख़ एक पल के लिए सोच में पड़ गई, नैना ऐसा क्यों कर रही है, पहले तो वह काम न करने का बहाना … Read more

बिन तेरे ज़िंदगी (भाग 1) – बेला पुनीवाला

नैना एकदम चुपचाप सी अपने कमरें में बैठी है, वह ना तो घर में किसी से कुछ बात करती है, नाहीं किसी से  कुछ सलाह मशवरा करती है। बस खिड़की की बाहर नज़र गड़ाए ऊपर आसमान की ओर देखे जा रही है। खुला आसमान, आसमान के पीछे बादलो में सूरज, सूरज की तेज़ किरणें सीधे … Read more

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