सांझ के बाद ही सबेरा है – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

…. नदिया की लहरें प्रतिदिन की भांति ही अठखेलियां कर रहीं थीं,मस्त सुरभि का झोंका उन्हें गुदगुदा रहा था ढलते सूरज की सुनहरी अलबेली रश्मियों ने आसमान को एक अनूठे चित्रकार की भांति अपनी तूलिका से रंग दिया था, ढलती सांझ में नीलाभ विस्तृत आकाश सुरमई प्रतीत हो रहा था। लेकिन आज अंगद को यह … Read more

जीवन की सांझ – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

आज सुबह सुबह ही कमला नीरजा भाभी को बता गई कि सरस्वती बहन जी आ गई है और आपको याद कर रही थी ।अरे इतनी जल्दी कैसे आ गई भाभी जी, कोई भारत में थोड़े ही थी कि इतनी जल्दी आ गई । अमेरिका गई थी ।और मुझे तो ये भी लगा कि  शायद लौटकर … Read more

ढलती सांझ – सुभद्रा प्रसाद : Moral Stories in Hindi

” चाचाजी, कल जो अंकल यहाँ आये है ं ना, उन्होंने कल से कुछ भी नहीं खाया है | सुबह की चाय भी नहीं पी है और अब नाश्ता भी नहीं कर रहे हैं |” मालती ने रमाशंकर जी से कहा |          ” तुमने पूछा नहीं , क्यों नहीं खा रहे  हैं? ” रमाशंकर जी … Read more

जीवन की इस ढलती सांझ में उन्हें आपसे क्या चाहिए – पूजा शर्मा : Moral Stories in Hindi

 राजन घड़ी दो घड़ी बस आपका साथ आप उनसे उनका थोड़ा बहुत हाल पूछ लो उनके पास बैठकर प्यार से बात कर लो इसके अलावा उन्हें नहीं चाहिए कुछ, क्यों पेंडुलम की तरह नचा रहे हो दोनों भाई अपने ही पिता को। लेकिन राधिका मैं पिछले 6 महीने से पापा को अपने साथ रख रहा … Read more

नई सुबह – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    ” ममता…ज़रा मेरी पीठ खुजला दे…।”       ” अभी आई…।” कहकर ममता शकुंतला जी की तरफ़ बढ़ी ही थी कि शीलप्रभा जी ने उसे आवाज़ दे दी,” ममता बहन..मेरी चोटी तो बना दे..।”       ” अभी आई शील दीदी..।” कहते हुए ममता  शकुंतला जी पीठ खुजलाकर शीलप्रभा जी के बिस्तर पर बैठकर उनकी चोटी बनाने लगी।तभी पास … Read more

“ढलती सांझ और मजबूत होते प्यार के बंधन” – कविता अर्गल : Moral Stories in Hindi

अविनाश और शीला जी गुलाबी गुलाबी ठंड में अपने आंगन में आती कुनकुनी धूप में बैठकर चाय का आनंद ले रहे थे।उनके अब तनाव रहित आराम के दिन गुजर रहे थे। वें दोनों बच्चों की सारी जिम्मेदारियों से मुक्त हो चुके थे,और बहू -बेटे के साथ जीवन की संध्या का ये समय बड़े मजे से … Read more

धड़ाम! – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

दोपहर का काम खत्म करके रमा अपनी जेठानियों के साथ गप्पें मार रही थी। सासू माॅं मालादेवी भी अपने कमरे में आराम कर रही थी। तभी किचन से खूब जोर की धड़ाम! की आवाज आई।आवाज़ सुन मालादेवी और उनकी बहुऍं किचन की ओर दौड़ पड़ी। वहाँ रमा के ससुर जी(बाबूजी) मुँह में लड्डू ठूँसे दोनों … Read more

यात्रा, फुटपाथ से घर तक की – मनु वाशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

आज जो मैं बताने जा रही हूं, वह कोई कहानी नहीं, बल्कि एक हकीकत बयां करता फुटपाथ से घर तक की यात्रा का प्रसंग है। ट्रिंग ट्रिंग… किसी अपरिचित का फोन था, तीन या चार जुलाई 2024 को, अशोक वाशिष्ठ ने व्यस्तता के चलते फोन रिसीव नहीं किया।अगली सुबह उन्होंने ट्रू कॉलर पर देखा तो … Read more

ढलती सांझ – सीमा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

“अपने जीवन की ढलती सांझ में प्रभु से एक ही विनती है कि शारीरिक कष्ट चाहे कितना ही दे देना, पर चलते हाथ-पांव की अवस्था में ही उठा लेना। हे प्रभु! बस शैय्याग्रस्त न होना पड़े। बच्चों को हमारी वजह से कष्ट न उठाना पड़े।” संगीता जी ने कहा। “संगीता, ये तो तुम सही कह … Read more

‘ढलती सांझ और घर के बुजुर्ग एक समान होते हैं’ – प्रतिभा भारद्वाज ‘प्रभा’ : Moral Stories in Hindi

“मां, आज पेरेंट्स टीचर मीटिंग है” “हां, मुझे याद है, चलूंगी, वैसे भी तेरी शिकायतें सुनने से ज्यादा कुछ नहीं होता वहां…तुझे कितना भी समझा लो कि शैतानी मत किया कर, पढ़ाई में मन लगा लेकिन तुझे समझ ही नहीं आता…तैयार हो जाना 9 बजे तक…” वरुण और उसकी मां माधवी जैसे ही विद्यालय में … Read more

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