सिर्फ बहू से बेटी बनने की उम्मीद क्यों? – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

सुधा की नजरें बहुत देर से एक माॅं- बेटी की जोड़ी पर टिकी हुई थी। वह उन्हें पहचानने की कोशिश कर रही थी। “माॅं, प्लीज मान जाइए ना। यह लाल रंग की ड्रेस आप पर बहुत अच्छी लगेगी।” “देख बेटा, जिद मत कर। मैंने कह दिया ना मैं इतना ब्राइट कलर नहीं पहनूॅंगी। बिल्कुल बूढी … Read more

अपनों का साथ और आशीर्वाद – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“मैम, मेरी मम्मा आपसे मिलना चाहती हैं।” “हाँ-हाँ मिलवाओ। मैं भी उनसे मिलने के लिए बहुत उत्सुक हूँ।” “अभी तो कोई अर्जेंट काम के कारण उन्हें फंक्शन से जाना पड़ा है लेकिन उन्होंने कहा है कि वह कल कॉलेज में आपसे मिलने आएगी।” “ठीक है। कल 11से 12 बजे तक मैं फ्री हूँ।” “ओके मैम। … Read more

जिम्मेदार कौन – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

रिद्धि आज स्कूल से आई तो बहुत उदास और गुमसुम सी थी। न तो रोज की तरह आते ही मम्मी भूख लगी है का शोर मचाया और न ही मम्मी के गले मे बाहें डालकर झूमी। चुपचाप स्कूल ड्रेस चेंज कर खाना खाने लगी। न कोई उठापटक, न कोई शोर-शराबा। रोज जिसकी बातें खत्म होने … Read more

निर्णय – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

शाम का समय था, आकाश में डूबते सूरज की नारंगी छटा बिखरी हुई थी। मंदिर के बाहर, लोग हाथ में पूजा और चढ़ावे की थाल लिए सरोज देवी की पूजा समाप्त होने का इंतजार कर रहे थे। सरोज देवी, 55 वर्षीय महिला, माथे पर बड़ी सी लाल बिंदी, माॅंग में सिंदूर की लंबी लाल रेखा … Read more

सौभाग्यवती भवः – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“नहीं, वह नहीं लगवायेगी।आप जाइए।” यह कहकर जैसे ही रूद्र दरवाजा बंद करके घर के अंदर आया, उसके कानों में गौरी की आवाज आई। वह बेहद ही धीमे और कमजोर स्वर में पूछ रही थी “ऐ जी, कौन आया था?” “मेहंदी लगाने वाली दीदी आई थी। मैंने मना कर दिया है। तुम आराम करो।” “अरे,यह … Read more

अहमियत – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“मम्मीजी,आज फ्रेंडशिप डे पर हम सभी फ्रेंड्स का मूवी और डिनर का प्रोग्राम है। मैं जाऊॅं ना? स्नेहा ने आशा भरी नजरों से मालती जी की ओर देखते हुए पूछा। “कबतक आ जाओगी?” “जी, रात में 9:30 बजे तक आ जाऊॅंगी।” “इतनी देर रात तक अकेले बाहर रहना घर की बहू-बेटियों को शोभा नहीं देता। … Read more

धोखा- श्वेता अग्रवाल  : Moral Stories in Hindi

“कमला, तुम जरा इन सब डोंगों को बाहर डाइनिंग टेबल पर रखो। मैं सबको बुलाकर लाती हूॅं। कमरे में घुसकर गप्पे लड़ा रहे होंगे।” यह कहकर राधा किचन से निकलकर जल्दी-जल्दी कमरे की ओर बढ़ने लगी। एक -एक करके उसने घर के सारे कमरे देख लिए लेकिन, उनका कोई अता-पता नहीं था। कहीं छत पर … Read more

मुझे दादाजी-दादीजी चाहिए-श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“वंश बेटा, कैसी थी बर्थडे पार्टी? खूब मजे किए ना?” “हाँ, मम्मा|” “तो फिर इतने सेड क्यों लग रहे हो?” मनीषा ने अपने बेटे से पूछा| “मम्मा, मेरे दादाजी-दादीजी कहाँ हैं? मुझे भी अपने दादाजी- दादीजी के साथ रहना है| उनके साथ खेलना है| कहानियाँ सुननी है| पार्क जाना है| आज पता है, अंकुर के … Read more

अनकहा बंधन (भाग-1) – श्वेता अगवाल : Moral Stories in Hindi

“मम्मा, मेरी ‘बेड टी’।” रूही लगातार चिल्लाए जा रही थी। “ये ले तेरी ‘बेड टी’। इत्ती बड़ी हो गई लेकिन अक्ल ढेले भर की भी नहीं। अब तुझे मम्मा को सुबह की चाय बनाकर पिलानी चाहिए। उल्टे खुद ही ‘बेड टी’- ‘बेड टी’ चिल्लाए जा रही है।” “क्या दीदी, अब सुबह-सुबह प्रवचन सुनाकर मूड मत … Read more

यह बंधन है प्यार का – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“अरे वाह! आज तो लगता है,कोई बहुत खुश है | तभी तो गजलें गुनगुनाई जा रही है| ऑफिस से आकर सनी को गजलें गुनगुनाते देख मीनल ने हंसते हुए कहा| “हाँ, मीनल पता है मेरा प्रमोशन हो गया है| सैलरी भी डबल हो गई है| आज ही गणतंत्र दिवस के फंक्शन में चेयरमैन सर ने … Read more

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