बेटी के ससुराल में मां का हस्तक्षेप- हेमलता गुप्ता : Moral stories in hindi

और मम्मी क्या बताऊं आपको… मेरी सासू मां अपनी बेटी के लिए न जाने क्या-क्या करती रहती हैं, इनका तो बस नहीं चलता नहीं तो पूरा घर ही उनके नाम कर दे! अभी परसों दीदी (नंद)के यहां जलवे का फंक्शन है, और मम्मी जी ने उनके लिए ढाई लाख के कंगन बनवाए गए हैं, जब मैंने सुधीर जी से कहा… इतना महंगा आइटम देने की क्या जरूरत है, और भी तो बहुत सारा सामान दे रहे हैं, तो मुझसे कहते हैं.. अरे यार.. अभी पापा अपने पैसों में से ही खर्च कर रहे हैं ना ,तो तुम्हें टेंशन लेने की क्या जरूरत है,

और तुम्हें तो खुश होना चाहिए और मम्मी ऐसे करके तो यह सारा घर ही लुटा देंगे !साधना अपनी मम्मी सुलोचना से फोन पर बातें कर रही थी! ऐसा एक भी दिन नहीं होता जिस दिन मां बेटी घंटे तक फोन पर बातें नहीं करती हो! उधर की बातें इधर,-इधर की बातें उधर, होती रहती थी, यहां तक की साधना के घर में आज कौन आया है, क्या सब्जी बनी है, कौन से कपड़े खरीदने गए हैं, या कुछ भी हो रहा होता, सब बातें साधना के मायके तक पहुंच जाती! उधर सुलोचना जी भी जब तक बेटी को अपने यहां की बातें नहीं बता देती, उन्हें चैन नहीं पड़ता !साधना के भाई की शादी को अभी दो ही महीने हुए थे,

साधना अपनी भाभी से सिर्फ एक बार ही मिल पाई थी, वह भी सिर्फ दो दिनों के लिए, किंतु साधना की मां फोन पर हर समय अपनी बहू निवेदिता की बुराई में ही लगी रहती! साधना बेटा… देख ऐसी आई है तेरी नई भाभी.. जो उठकर चाय तक नहीं बना कर दे सकती, हमारे सामने भी ऐसे ही सूट में घूमती रहती है, चुन्नी भी नहीं डालती सर पर, खाना भी ऐसा बनाती है कि ,मरीज भी ना खाएं! उन्हें यह नहीं पता कि अनजाने में ही सही पर वह अपनी बहू और बेटी के रिश्तो में जहर घोल रही है! दोनों के रिश्ते में खटास आने लग गई! साधना को मम्मी की बातें सुन सुन कर अपनी भाभी से नफरत सी होने लगी!

फिर वह कहती… देखो मम्मी… एक आपकी बहू है, जो कुछ नहीं करती, एक मैं हूं जो सुबह 6:00 बजे की उठकर रात को 10:11 बजे तक लगी रहती हूं, हालांकि मेरी सासू मां मेरी बराबर से मदद करती है फिर भी मुझे तो बहुत सारा काम करना ही पड़ता है ना.. सबका नाश्ता टिफिन डिनर सब मुझे देखने पड़ते हैं, यहां तक कि अभी दीदी के यहां पर फंक्शन की तैयारी की शॉपिंग के लिए भी मुझे जाना पड़ता है, फिर आने के बाद वही घर के काम! क्या मम्मी… आपकी बहू के तो मजे ही मजे हैं! हां बेटी… हम भी क्या कर सकते हैं, तेरे ससुराल के मामलों में!

अब सब की किस्मत तेरी भाभी जैसी तो नहीं होती ना, तेरी भाभी की तो किस्मत अच्छी है जो उसे मुझ जैसी सास मिली है, और बेटी तू ज्यादा काम में फुर्ती मत दिखाया कर नहीं तो तेरी सास सारा काम तेरे ऊपर ही छोड़ देगी, कभी-कभी बीमार होने का नाटक भी कर लिया कर, वरना ससुराल वाले तेरी आखिरी सांस तक जान निकाल लेंगे और तू अपने पति को भी थोड़ा सा बस में रखा कर, सारे दिन मां मां करते रहते हैं, ऐसा लगता है तेरी तो कोई कदर ही नहीं है उन्हें! जब देखो तब घर के कामों में ही लगी रहती है! नहीं मां.. ऐसी कोई बात नहीं है,

सुधीर जी तो बहुत अच्छे हैं, मेरी हर बात का ध्यान रखते हैं, और मुझे बहुत प्यार करते हैं, यहां तक की मेरे सास ससुर भी मुझे किसी चीज के लिए नहीं रोकते टोकते! मेरी सास भी मेरे ऊपर काम की कोई जबरदस्ती नहीं करती और नंद भी बहुत अच्छी है! बेटी सब तेरे सामने दिखावा करते हैं, पीछे से देखना सब कितनी बातें बनाती होगी, जानती हूं मैं मुंह पर चिकनी चुपड़ी बातें करते हैं सब, क्या कभी तुझे भी इन्होंने ऐसे कंगन बनवाए हैं, नहीं ना… बेटा इन्हें लगता है, जितना हो सकता है अपने सामने बेटी को दे दे, बाद का क्या भरोसा! पर तू चिंता मत कर… जब तू मुझे ऐसी खुशखबरी देगी कि मैं नानी बनने वाली हूं

तो देखना मैं तुझे चार-पांच लाख का सोने का हार दूंगी,अच्छा बेटी और बता तेरे ससुराल में क्या-क्या हो रहा है, एक-दो दिन के लिए मम्मी से मिलने भी आ जाया कर, तू तो वहां जाकर जैसे हमको भूल ही गई! अरे नहीं मम्मी घर से निकलना ही नहीं हो पता अभी देखो ना आज ही गांव से चाचा चाचा जी और उनके बेटा बेटी भी आ रहे हैं, सभी को परसों दीदी के यहां फंक्शन में जाना है, तो मुझे उन सबकी कहानी खाने की, ठहरने की व्यवस्था देखनी है! हां बेटी.. सही कह रही है, मेरी फूल सी बेटी सारा दिन नौकरों की तरह काम करती रहती है,

एक हमारे यहां देख लो, 7:00 बजे से पहले तो बहु रानी सोकर नहीं उठती! खैर चल.. तू अपने घर का काम देख.. मुझे तो वैसे भी किसी की बुराई करने की आदत नहीं है! मां बेटी की ऐसी बातें सुनकर रमाकांत जी, (साधनाके पापा) जो की बहुत देर से मां बेटी की बातें सुन रहे थे, को बहुत तेज गुस्सा आने लगा और वह अपनी पत्नी सुलोचना से कहने लगे ….कैसी मां हो तुम…अपनी बेटी को ससुराल में एडजेस्ट होने की सलाह देने की बजाय उसको उनके ही खिलाफ भड़का रही हो,

अपनी बेटी को अच्छी सीख देने की बजाए उसका घर तोड़ने पर तुली हुई हो, अरे कौन मां चाहती है ऐसा कि उसकी बेटी ससुराल वालों की प्रिय ना रहे, यह तुम जो रोज घंटे घंटे तक बेटी से फोन पर बात करती हो, इसका नतीजा तुम देख लेना एक दिन, कितना खतरनाक होने वाला है, तुम्हारी बेटी का घर बर्बाद हो जाएगा ऐसे! अरे जब वह अपने घर में मन लगा रही है तो तुम उसको क्यों बरगला रही हो, क्यों उसके दिमाग में जहर घोल रही हो और एक बात बताओ…. हमारी बहू में क्या कमी है, सारे दिन तुम्हारे आगे पीछे मम्मी जी मम्मी जी करती हुई घूमती है, तुम्हारी हर बात मानती है, कितना बढ़िया खाना बनाती है,

पर क्या तुमसे उसकी अच्छाई देखीं नहीं जा रही या तुम्हें लगता है कि उसके आने से तुम्हारी रेपुटेशन कम हो जाएगी घर में! अरे भाग्यवान.. कुछ तो शर्म करो, नंद भाभी के रिश्ते में तो जहर घोलना बंद करो, चैन से जी लेने दो उसे भी और यहां इस बहू को भी! अरे तो मैंने कौन सा गलत कुछ कहा उसको, मैं तो उसको सही सलाह तो दे रही थी कि जितना ज्यादा काम करेगी उतना ज्यादा ही ससुराल वाले काम करवाएंगे, तेरी कदर एक कामवाली जैसी होकर रह जाएगी और सब कुछ वह अपनी बेटी को ही दे देंगे क्या… हमारी बेटी उस घर में कुछ नहीं है! क्यों… अभी कुछ देर पहले तुम भी तो तुम्हारी बेटी को सोने का हार देने की कह रही थी, तब तुमने यह सोचा, यह सब सुनकर तुम्हारी बहू को कैसा लगेगा?

अरे कम से कम बेचारी इस नई आई दुल्हन पर तो रहम करो, तुम्हारे डर की वजह से कभी साधना से बात तक नहीं करती की कहीं साधना इसको कुछ उल्टा सीधा ना सुना दे और यह सब हुआ है सिर्फ तुम्हारे कारण, अरे… दोनों घरों में शांति बनी रहने दो, बेटी को तो ऐसी सीख दो की ससुराल वाले उसे सर आंखों पर बिठाए और उसके संस्कारों पर गर्व करें ! और जब बेटी को ससुराल में मान सम्मान मिलेगा तो सोचो जरा.. हमारा मान सम्मान कितना बढ़ जाएगा सभी जगह! तुम चाहती हो तुम्हारी बेटी को उसके ससुराल वाले बेटी की तरह माने तो तुम अपनी बहू को बेटी का प्यार क्यों नहीं दे सकती?

वह भी तो अपने मां-बाप को छोड़कर हमारे घर आई है और इसी उम्मीद के साथ इस घर में रह रही है कि हम दोनों उसे माता-पिता के जैसा लाड देंगे और उसकी हर इच्छा का सम्मान करेंगे! तुम्हारी बेटी अपने पति के साथ में पिक्चर जाए घूमने जाएं और घर का काम ना करे तो अच्छी बात… अगर तुम्हारी बहू अपने पति के साथ दो पल के लिए कहीं बाहर चली जाए तो तुम्हें इतनी आपत्ति क्यों होती है? उसके भी अभी खेलने खाने के दिन है,

तो बस मेरी तुमसे एक ही गुजारिश है कि तुम अपनी बेटी को उल्टी सीधी सलाह देना बंद कर दो और घरों में जो प्रेम विश्वास चला रहा है उसे रहने दो, कहीं ऐसा ना हो कि इसका परिणाम तुम्हारी बेटी को ही भुगतना पड़ जाए !कभी कबार फोन पर बात कर ली ठीक है, लेकिन रोज-रोज घंटे तक तुम जब बेटी से बात करोगी तो सभी तरह की बातें होती होगी, इसलिए अपने आप को थोड़ा सा बदलो और जो समय तुम फालतू समय अपनी बेटी के घर बिगाड़ने में लगा रही हो, वह अपनी बहू की जिंदगी संवारने में लगाओ, शायद तुम्हें अभी मेरी बात बुरी लग रही होगी किंतु कभी अकेले में बैठकर सोचना की क्या तुम एक मां का और सास का फर्ज सही से निभा रही हो? मेरे ख्याल से तो रमाकांत जी ने बिल्कुल सही कहा! इस बारे में आपकी क्या राय है? क्या एक मां को अपनी बेटी के ससुराल की विषय में इतना हस्तक्षेप करना जरूरी है?
हेमलता गुप्ता स्वरचित
बेटियां 6th जन्मोत्सव प्रतियोगिता (5)

1 thought on “बेटी के ससुराल में मां का हस्तक्षेप- हेमलता गुप्ता : Moral stories in hindi”

  1. लड़की की मां को उसके ससुराल के मामलों में दखल नहीं देना चाहिए और अपनी बेटी को गलत सलाह कभी भी ना दें नहीं तो आपकी बेटी का ही अपने पति से रिश्ता टूट जायेगा।जब विवाद गंभीर हो तभी मायके वालों को दखल देना चाहिए।

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