भगवान जी,,मेरी मम्मा से बात करा दो,मैं आपको चॉकलेट दूंगा – नीतिका गुप्ता 

सफेद रंग की लाल बॉर्डर वाली साड़ी में नीता दूर से ही सभी को होली खेलते हुए देख रही है। नीता को रंग लगाने से ज्यादा छुड़ाने में होने वाली परेशानी की वजह से होली खेलने से डर लगता है।

 

  मम्मा…. नीता ने जब आवाज की तरफ मुड़ कर देखा तो 5 साल के अंश ने पूरी पिचकारी उसके ऊपर चला दी और ख़ुशी से चिल्लाया देखो मैंने मम्मा को रंग लगा दिया। नीता ने अंश को अपनी गोद में उठा लिया और थोड़ा सा गुलाल उसके प्यारे से गालों पर लगा दिया। अंश खुशी से उसके गले लग कर बोला,”आई लव यू मम्मा” ममता से ओतप्रोत नीता भाव विभोर हो गई और अंश को और कस कर अपने सीने से चिपका लिया।

 

   छोड़ो ना मम्मा, जाने दो, मुझे होली खेलनी है बहुत सारी…अंश गोद से नीचे उतरने की कोशिश करने लगा

 

  “हां हां जाओ, आराम से जाओ… ठीक से होली खेलना आंखों में या कान में रंग न चला जाए,, नीता हिदायतें दे रही थी लेकिन अंश तो कब का भाग चुका था।

 

  नीता वापस अपने उसी कोने में जाकर बैठ गई और अतीत के ख्यालों में खो गई कि कैसे लगभग 1 साल पहले एक रॉन्ग नंबर की वजह से वो अंश के साथ इस अनूठे बंधन में बंध गई।

 

   आप सभी सोच रहे होंगे कि एक मां को उसका 5 साल का बेटा 1 साल पहले कैसे मिला और यह रॉन्ग नंबर का क्या माजरा है..?? आइए हम सभी जानते हैं कि आखिर नीता की जिंदगी में एक रॉन्ग नंबर का इतना महत्व क्यों है….

 

 एक साल पहले…..

   नीता कब तक ऐसे ही खुद को कोसती रहेगी.. उस हादसे को 2 साल बीत चुके हैं, तेरे सामने तेरी पूरी जिंदगी पड़ी है बेटा …अब खुद को माफ करके अपनी आने वाली जिंदगी के बारे में सोच…. अपने कमरे की खिड़की पर उदास बैठी चिड़ियों को निहारती नीता को उसकी ना समझाने की कोशिश कर रही थीं।

 

  मां बहुत देर तक नीता को समझाती रहीं और फिर हार कर वापस चली गईं। नीता का भी एक खुशहाल परिवार था प्यार करने वाला पति और एक 2 साल का छोटा सा बेटा… पति की प्राइवेट नौकरी थी और नीता अपने बेटे और घर को संभालती थी।

 



एक रविवार को नीता ने अपने पति से वाटर पार्क जाने की जिद की.. उन्हें केवल छुट्टी का दिन रविवार ही मिलता था तो वह सोना चाहते थे लेकिन नीता की जिद पर वो तीनों वाटर पार्क के लिए निकल गए। तीनों ने वाटर पार्क में बहुत मस्ती की, वहीं पर लंच भी किया और फिर घर के लिए वापस निकले। लेकिन उस दिन होनी को कुछ और ही मंजूर था कि नीता के पति का गाड़ी पर अचानक से ही कंट्रोल हट गया, ब्रेक भी ठीक से नहीं लग रहे थे कि तभी रॉन्ग साइड से आते हुए एक ट्रक से गाड़ी टकरा गई।

 

  नीता के पति की उसी समय मृत्यु हो गई जबकि उसे और बेटे को अस्पताल ले जाया गया। छोटा सा बच्चा इतनी सारी चोटों के साथ सरवाइव नहीं कर पाया और दुनिया छोड़ कर चला गया। जब नीता को होश आया तो उसे पता लगा कि उसकी तो दुनिया ही उजड़ चुकी है वो रात दिन खुद को कोसने लगी। उसकी मां उसे अपने साथ ले आईं,, उसका ख्याल रखतीं लेकिन उस पर कोई खास फर्क नहीं हुआ,, वह उस हादसे के लिए खुद को जिम्मेदार मानती थी।

 

   1 दिन दोपहर में मां अपने कमरे में सो रही थीं कि लैंडलाइन पर फोन की घंटी बजी। वैसे तो नीता फोन नहीं उठाती थी लेकिन क्योंकि मां सो रही थीं इस कारण से उसने फोन उठाया और दूसरी तरफ से आवाज आई, हेलो भगवान जी!! मैं अंश बोल रहा हूं आप मेरी मम्मा से बात करा दो.. प्लीज भगवान जी मम्मा को बोलो अब मैं गुड बॉय बन गया हूं वह मुझसे बात कर ले। प्लीज प्लीज गॉड जी मैं आपको अपनी चॉकलेट दे दूंगा…

 

  फोन कट गया… नीता फोन का रिसीवर हाथ में पकड़े स्थिर से खड़ी रही,, यह क्या था? क्यों था? उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन छोटे बच्चे की आवाज को सुनकर वो खुद पर काबू न रख सकी और वहीं फूट-फूट कर रोने लगी।

 

  2 सालों में पहली बार नीता इस कदर रोई थी,, उसका दिल बहुत हल्का हो गया था और मन में उतनी ही बेचैनी बढ़ गई थी उस बच्चे के बारे में जानने के लिए… कहां है उसकी मम्मा… इतना छोटा बच्चा और इतनी समझदार बातें… पूरे 2 दिन तक वह भगवान से सिर्फ एक ही प्रार्थना करती रही काश वह रॉन्ग नंबर फिर से लग जाए … अनजाने में ही सही छोटे से बच्चे से एक डोर सी बंध गई थी।

 

   आखिरकार भगवान ने उसकी प्रार्थना सुन ली और फिर दोपहर में उसी समय पर घंटी बजी। नीता ने दौड़कर फोन उठाया, हेलो भगवान जी!! … वही कानों में मिश्री घोलने वाली आवाज , नीता के अंतर्मन को आनंदित कर गई।  “हेलो भगवान जी आपने मम्मा से बोला वह मुझसे बात कर ले… मम्मा को बोलो आपका अंश बहुत याद करता है बहुत प्यार करता है…”

 

  अंश तो यह नाम है उस छोटे से बच्चे का.. अब नीता उस बच्चे की परेशानी काफी हद तक समझ चुकी थी। “हेलो कैसा है मेरा छोटा बेबी अंश.. मम्मा को मिस कर रहा था, मम्मा भी आपको बहुत मिस करती है।”

 

  खुशी के कारण बच्चा चिल्लाने लगा, सच्ची मम्मा अब गुस्सा नहीं हो, आप मुझसे लव करती हो, मुझे मिस करती हो…

 

   कोई मम्मा अपने बच्चे से कैसे नाराज हो सकती है.. अच्छा यह बताओ आपने खाना खाया।



 

   यस मम्मा मैंने खाना भी खाया और फ्रूट्स  भी खाए… मम्मा दादी आ रही हैं मैं आपको बाद में फोन करूंगा। बाय… फोन कट गया लेकिन नीता की बेचैनी और भी ज्यादा बढ़ गई। वह उस अनजान बच्चे की तरफ खींची चली जा रही थी । एक बार को मन में ख्याल भी आया कि इतना छोटा बच्चा एक ही गलत नंबर कैसे लगा सकता है लेकिन भगवान की माया बताकर उसकी ममता ने उसके दिमाग को चुप करा दिया।

 

  अब तो यह रोज का ही सिलसिला हो गया दोपहर के टाइम उस बच्चे का फोन आता और नीता उससे बातें करती। बातों ही बातों में नीता ने यह भी पता कर लिया कि उस बच्चे ने डायरी में से उसका नंबर डायल किया था। नीता ने सोचा कि शायद डायरी में किसी और का नंबर लिखा होगा जिसका कोई डिजिट गलत होकर उसके घर का नंबर बन गया। 

 

  पहले जब मोबाइल फोन नहीं हुआ करते थे तब हम सभी डायरी में सभी के नंबर नोट किया करते थे। आज के जमाने में मोबाइल की वजह से ज्यादातर लोगों को किसी एक का भी नंबर याद नहीं होता जिसके कारण कई बार बहुत परेशानी हो जाती है।

 

   नीता के अंदर का बदलाव उसकी मां ने भी महसूस किया। नीता अब थोड़ा-थोड़ा खुश रहने लगी थी।

 

   लगभग एक महीना हो चुका था नीता को उस बच्चे से उसकी मां बन कर बात करते हुए कि 1 दिन नीता की मां ने उससे पूछा,”नीता क्या तुम सच में अंश की मां बनना चाहोगी”

 

  मां के सवाल से नीता चौंक गई और उसने पूछा, मां आप अंश के बारे में कैसे जानती हो?



 

   बेटा मैं तुम्हें सब कुछ विस्तार से बताती हूं। अंश की दादी मेरी सहेली हैं… अंश की मां पेट से थी, डिलीवरी के समय उसकी हालत खराब होने से बच्चा और वह दोनों ही नहीं बच पाए। अंश 4 साल का है और अपनी मां को याद करके रात दिन बहुत रोता था। लेकिन पिछले कुछ दिनों से उसमें बदलाव हुआ है,, जब उसकी दादी ने उस पर नजर रखनी शुरू की तो पता लगा कि दोपहर में सब के सो जाने के बाद लैंडलाइन से किसी को फोन करके उससे बात करता है। अंश के फोन रखने के कुछ समय बाद जब उन्होंने नंबर डायल किया तो हमारे घर फोन आया और मैंने उठाया और तभी मुझे सारी बात पता लगी।

 

    वह तुम्हारे बारे में भी सब जानती हैं और उन्होंने अपने बेटे से बात कर ली है। अब फैसला सिर्फ तुम्हारा है.. क्या तुम अंश की मां बनना चाहोगी?

 

   भगवान के इस अनोखे खेल से हर कोई हैरान था। कब किसका दिल वो कहां जोड़ दें कोई नहीं जानता… एक बच्चे के द्वारा उन्होंने एक टूटी हुई औरतों में मां को जगा दिया। नीता को उसके जीने की वजह मिल चुकी थी और अंश को उसकी खोई हुई मम्मा वापस मिल गई थी। 

 

  नीता ने अंश के पिता से यह वादा लिया था कि जब अंश समझदार हो जाएगा तब हम उसे अंश की स्टार मम्मा के बारे में सच बता देंगे। नीता ने अंश के दिल में उसकी असली मम्मा को स्टार मामा के नाम से जीवित रखा है। मां मां होती है सगी या सौतेली नहीं…

 

  नीता अपने ख्यालों में ही खोई रहती कि अंश ने पुकारा, मम्मा बहुत भुख्को आई है… आई बेटा… चलो हम दोनों साथ में अंश की फेवरेट आलू पूरी खाते हैं।

 

   येह!! आलू पूरी मम्मा मुझे आलू पूरी खिलाएगी…

 

    अंश और नीता को तो एक रॉन्ग नंबर ने इस अनोखे बंधन में बांध दिया लेकिन समाज में ऐसी बहुत सारी औरतें हैं जिनके साथ ऐसे हादसे हो जाते हैं और उनका पूरा जीवन नर्क बन जाता है। ईश्वर करें कभी किसी बच्चे से उसकी मां का साथ ना छूटे और ना ही कभी किसी मां की गोद सूनी हो।

 #बंधन

  स्वरचित एवं मौलिक रचना

बहुत-बहुत धन्यवाद आपका

     नीतिका गुप्ता

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