बहू भी औलाद है – शुभ्रा बैनर्जी
बचपन में एक कहावत सुनी थी कि एक आंगन से उखाड़ कर दूसरे आंगन में लगाया गया पेड़ कभी जीवित नहीं बचता।मेरा मन कभी नहीं स्वीकारा इस सत्य को।कितने ही पेड़ पड़ोस के घर से मांगकर लाती रही और लगाती रही थी मैं। सकारात्मक सोच की धूप और प्रेम के पानी से सभी आज जिंदा … Read more