औरत की चाहत -संगीता अग्रवाल : Moral stories in hindi

नितिका एक बहू , पत्नी , माँ सब है । शादी को दस साल हो गये तबसे सारे घर को अपने दम पर संभाले है । क्योकि पति शशांक अपनी चार बड़ी बहनो से कई साल बाद पैदा हुआ तो सास ससुर की भी उम्र हो चली है इसलिए सास ससुर का ध्यान रखना , शशांक के समय से सब काम करने और बच्चे होने के बाद उनकी परवरिश सब नितिका बहुत अच्छे से संभाल रही है।

पर जैसा की हर महिला सोचती है ऐसे ही कभी कभी नितिका के दिल मे एक हूंक सी उठती मैं सबके बारे मे सोचती हूँ मेरे बारे मे कौन सोचता है ? फिर खुद से ही जवाब देती शायद कोई नही । वक्त के साथ साथ नितिका के मन मे यही सब बाते घर करने लगी थी और हमेशा हंस कर सबका ख्याल रखने वाली नितिका उदास सी रहने लगी थी।

ये सब शशांक भी देख रहा था पर ज्यादातर पुरुषों की तरह समझ नही पा रहा था ऐसा क्यो है ।

” ओह उठने मे आज इतनी देर हो गई । बच्चो और शशांक को लेट होगा अब !” आज नितिका ने जैसे ही घड़ी देखी फटाफट उठते हुए बड़बड़ाई और कमरे से बाहर निकली।

” हैप्पी बर्थडे टू यू !” अचानक उसके कानो मे आवाज़ आई उसने देखा घर के सभी लोग बैठक मे इक्कट्ठा है और उसे सजाया हुआ है । सामने एक केक रखा था । उसे तो याद भी नही था आज उसका जन्मदिन है  उसकी आँख मे आँसू आ गये। उसने सास ससुर के पैर छुए । बच्चो ने उसे खुद के बनाये कार्ड दिये ।

और शशांक ने उसकी पसंद के रंग की ड्रेस दी। उसने जल्दी से केक काटा और रसोई की तरफ भागने लगी। आज उसे बहुत स्पेशल फील हो रहा था क्योकि सबको उसका भी ख्याल है ये उसे आज पता लगा था क्योकि जन्मदिन उसका पहले भी मनता था पर वो केक काटने तक सिमित था ।

” ओ मैडम कहाँ चली !” शशांक उसे रोकते बोला तब तक सास ससुर अपने कमरे मे चले गये थे।

” अरे हटो इतना लेट हो गया बच्चो का स्कूल तुम्हारा ऑफिस कैसे होगा सब । खाना कैसे बनेगा !” वो परेशान हो बोली।

” तुम चिंता मत करो बस जल्दी से नहा धोकर ये ड्रेस पहनो । बच्चो का टिफिन तैयार है और मैने आज छुट्टी ली है अपनी प्यारी बीवी को स्पेशल फील करवाने के लिए । बच्चो के आने पर लंच करने बाहर चलेंगे । तब तक मैं सबका नाश्ता बनाता हूँ !” शशांक बोला।

” शशांक पर तुम ये सब कैसे !!” हैरान परेशान नितिका बोली।

” नितिका मुझे थोड़ा बहुत खाना तो बनाना आता है यार पहले बना भी लेता था पर जबसे तुम जिंदगी मे आई तुमने मुझे आलसी बना दिया सारी जिम्मेदारी खुद उठाकर वो भी हँसते हँसते । लेकिन कुछ दिनों से तुम्हारा उदास चेहरा देख समझ नही आ रहा था क्या हुआ है तुम्हे तब मेरा एक दोस्त बोला पत्नियां भी कभी कभी स्पेशल फील करना चाहती है जैसे वो हम सबको करवाती है । फिर ध्यान आया तुम्हारा जन्मदिन आने वाला है तो बस सोचा आज के दिन तुम्हे तुम्हारी मुस्कान लौटाई जाये।” शशांक मुस्कुरा कर बोला।

नितिका के मन से सारी शिकायते दूर हो गई और वो पति के गले लग गई। क्योकि औरतें ज्यादा कुछ नही चाहती बस थोड़ी सी देखभाल , सम्मान और प्यार ये काफी है उनके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए। उसके बाद वो दुगने जोश से जुट जाती है अपने फर्ज निभाने को ।

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल

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