अटूट बंधन…रश्मि झा मिश्रा : Moral stories in hindi

सुमित को स्कूल बस में चढ़ाकर… बाय करती हुई… जैसे ही सुधा पीछे मुड़ी… उसकी टक्कर अदिति से हो गई… “ओह…! माफ करना…!”

” कोई बात नहीं…!”

” लगी तो नहीं…!”

” नहीं…!”

” यह बेटी है तुम्हारी…!”

” हां… जिया नमस्ते करो आंटी को…!”

” नमस्ते आंटी…!”

” ठीक है ठीक है पहले बस में चलो लेट हो जाएगी…!”

” बाय-बाय बेटा…!”

 यह सुधा और अदिति की पहली मुलाकात थी… अब तो यह रोज का सिलसिला ही बन गया… बच्चों को बस में चढ़ाते हुए वे रोज मिलने लगीं… धीरे-धीरे दोस्ती प्रगाढ़ होती गई… सुमित पहली कक्षा का छात्र था और जिया एलकेजी… बच्चों की भी आपस में खूब पटती थी…!

 अदिति के पति वहीं शहर में अपना खुद का कारोबार करते थे… जो अक्सर घाटे में ही रहता था… अपना घर था… उसी में कई लोग किराए पर रहते थे… इसी सबसे उसका काम चलता था…!

 पर सुधा के पति बढ़िया नौकरी करते थे… आलीशान बंगला गाड़ी सब कंपनी का उसे मिला हुआ था… पर फिर भी उन दोनों के बीच इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा… उनकी दोस्ती दिन पर दिन गहरी होती गई…!

 इसी तरह करीब 10 साल निकल गए… अब तो बच्चे भी बड़े हो गए थे… सुमित दसवीं में पढ़ने लगा था… पर मांओं और बच्चों की दोस्ती में कोई फर्क नहीं पड़ा… रोज साथ स्कूल जाना… साथ वापस आना… और फिर शाम को साथ-साथ खेलना… घंटों मस्ती करना… कभी-कभी एक दूसरे के साथ डिनर करना… अब आम बात हो गया थी…!

 इसी बीच सुमित के पापा का तबादला दूसरे शहर हो गया… यह तबादला खुशी से ज्यादा दुख का कारण था… सुधा और अदिति तो गले मिलकर रोए ही… बच्चे भी एक दूसरे से लिपटकर रोते रहे… उनके लिए यह बिछड़ना बहुत कष्टदायक था… पर कर भी क्या सकते थे…!

 समय के साथ सुधा अपने नए घर… नए माहौल और मित्रों के साथ व्यस्त हो गई… पर अदिति की जगह कोई ना ले सका… बीच-बीच में जब भी दोनों की बात होती… घंटों एक दूसरे के सारे दुख सुख की बातें करती रह जातीं…!

 बच्चे भी कभी कभार बातें कर लेते थे… पर अब बच्चों की दुनिया बदल गई थी… नए दोस्तों ने पुराने की जगह ले ली…!

 कई साल बीत गए… अदिति की माली हालत तो ठीक नहीं ही थी… धीरे-धीरे स्थिति और बुरी हो गई थी… उसके पति ने समय की नजाकत देखते हुए अपनी ही बिरादरी के एक लड़के के साथ जिया का ब्याह ठीक कर दिया… लड़का अच्छा कारोबार चलाता था… उम्र थोड़ी अधिक थी… इसलिए जया को देखते ही उन्होंने पसंद कर लिया… पैसे भी नहीं मांगे… यह तो उसके पिता के लिए बहुत ही अच्छा मौका था इसलिए उन्होंने तुरंत हां कर दी…!

 जिया और अदिति इस रिश्ते से खुश नहीं थे… अदिति की तो रुलाए छूट गई… सुधा को बताते हुए… “क्या कहूं सुधा… क्या मेरी बेटी इतनी बोझ है मुझे… कुछ समझ नहीं आता…क्यों इसके पिता इतनी हड़बड़ाहट में इसका ब्याह करना चाहते हैं…!”

” तुम रो क्यों रही हो अदिति… तुम्हें नहीं पसंद है रिश्ता तो मना कर दो ना…!”

” कैसे मना कर दूं …यह नहीं मानेंगे… ब्याह का सारा खर्च वही लोग उठा रहे हैं… यह इसी खुशी से फूले नहीं समा रहे.…!”

” पर वे लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं…!”

” पता नहीं… सुनने में आया है शायद लड़के की यह दूसरी शादी है… उसकी उम्र भी काफी अधिक लगती है… जिया तो अभी बच्ची है… क्या करूं…!”

 सुधा भी चिंतित हो गई… उसने सारी बातें अपने घर में पति और बेटे सुमित को बताई तो सभी को चिंता हुई… सुमित तो कुछ ज्यादा ही परेशान हो गया… तुरंत जिया से बात करने फोन लेकर बैठ गया… बात करते ही जिया रो पड़ी… “सुमित मुझे ऐसी शादी नहीं करनी… मुझे अभी अपनी पढ़ाई खत्म करनी है… पर पापा जिद पर अड़ गए हैं…!”

जिया से बात करके सुमित भी बहुत उदास हो गया… अचानक सुमित बहुत गुमसुम रहने लगा… उसके इस बदले व्यवहार से सुधा आशंकित हो गई… इसी बीच जिया की शादी का न्योता आ गया… महीने भर बाद शादी थी… न्यौता देखकर तो सुमित और भी परेशान और दुखी हो गया… सुधा अपने बेटे के मन का भाव जान गई थी… पर वह कर ही क्या सकती थी…!

 नियत समय पर जब वे लोग ब्याह से एक दिन पहले अदिति के घर पहुंचे… तो सब कुछ बिखरा हुआ था…ब्याह की कहीं कोई सजावट नहीं थी… सुधा भाग कर अंदर गई तो सब सर पकड़े बैठे थे…” क्या हुआ…!”

 सुधा को देख अदिति उसके गले लग गई…” वे लोग जबरदस्ती शादी करने पर अड़े हैं… अब तो इन्हें उनकी असलियत पता चली वे अच्छे लोग नहीं हैं… तो इन्होंने मना किया शादी से… पर उन्होंने कह दिया है… अगर कल शादी नहीं हुई तो बिरादरी में कहीं भी बेटी की शादी नहीं होने देंगे…!”

 सुधा थोड़ी देर चुप रही फिर बोली…” उनसे डरो मत… क्या लड़के केवल तुम्हारी ही बिरादरी में हैं… मेरे सुमित से करोगी जिया का ब्याह…!”

 “क्या कहती हो सुधा…!”

” ठीक ही तो कहती हूं… हमारे बीच के प्यार का…दोस्ती का…अटूट बंधन… अब बच्चों के शादी के अटूट बंधन में बदल जाए… तो क्या हर्ज है… क्यों जिया और सुमित…?

 दोनों बच्चों ने एक दूसरे की तरफ देखकर इकरार में शर्माकर सर झुका लिया…!

” और हां अदिति… ब्याह कल नहीं… आज ही करेंगे… आने दो उन्हें…!”

” पर इतनी जल्दी कैसे होगा…!” जिया के पापा बोल पड़े…

” सब हो जाएगा… अभी मंदिर चलकर बच्चों का ब्याह करा देते हैं… बाद में जैसे ही इन लोगों से पीछा छूट जाए… और जिया की पढ़ाई खत्म हो जाएगी… हम धूमधाम से बच्चों की शादी करेंगे…!”

 जिया तो खुशी से चहक उठी… दौड़ कर सुधा के गले लग गई…” आंटी आपने मुझे बचा लिया…!”

” आंटी नहीं अब मां बोलने की आदत डाल…!”

 और हुआ भी वही… अगले दिन जब सबको पता चला तब तक तो ब्याह हो गया था… वे बस हाथ मलते रह गए…!

 जिया अपने शादी के अटूट बंधन में बंध चुकी थी…!

स्वलिखित

रश्मि झा मिश्रा

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